शनिवार, 4 जून 2011

लघु कथा :हम लड़ रहें हैं .

"हम लड़ रहे हैं"-डॉ .वेदप्रकाश श्योरान ,व्याख्याता भौतिकी ,राजकीय महाविद्यालय ,रोहतक (हरियाणा ).
हमारे शहर के सबसे पॉश सैक्टर में दो पड़ोसियों के बीच कोर्ट में मुकदमा चल रहा हैं । पहले पुलिस केस हुआ था । ताकत की जोर आजमाइश भी हुई । एक पड़ोसी की तूती सरकार में बोलती है तो दूसरे का दबदबा न्याय व्यवस्था में है । पहले ने केस दर्ज नहीं होने दिया तो दूसरे ने हाई कोर्ट में केस डाल दिया । दोनों ही पढे लिखे ओहदेधारी अमीर हैं । केस कुत्ते की टट्टी को लेकर है । एक को जानवर पालने का शौक है । दूसरे में सहनशीलता नहीं है । हो भी क्यों ? कुत्ता पाला है तो गंदगी भी अपनी कोठी के सामने ही फैलाए । पहले का तर्क है पाखाना अभी किया नहीं था, पहले ही पत्थर क्यों फेंक कर मारा ? दूसरा कहता है करने के बाद क्या कर लेता ? जनाब अब इस गंदगी पर कोर्ट केस चल रहा है हम यहां अमेरिका में शर्म के मारे मरे जा रहे है। आप पूछेंगें क्यों ? कल हमने वाशिंगटन (डी सी ) में सड़क किनारे यंहा एक डस्टबिन लगा देखा । जिस पर लिखा था फार पेट्स वेस्ट ।
मैं सोच रहा हूं कहां ये लोग सुपर पावर बन गए हैं और हम अभी जानवरों के पाखाने पर हाई -कोर्ट में केस लड़ रहेहैं
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ).

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