सोमवार, 6 जून 2011

पारिभाषिक शब्द (मल्तिपिल स्केलेरोसिस )ज़ारी ......

इंटर -फेरोंन ?
यह एक कुदरती तौर पर पाया जाने वाला पदार्थ है जो विषाणुओं की द्विगुणित होने की क्षमता में व्यवधान (व्यतिरेक )पैदा करता है .वायरस के रिप्रोडक्शन में अड़ंगा डालने की इसकी इसी क्षमता की वजह से ही इसे "इंटर -फेरोन कहा जाता है .इसका पता लगाया था सन १९५७ में एलिक इसाक्स (आइसक्स)और जें लिंदेंमन्न ने ।
तीन वर्गों में रखा गया है इंटर -फेरोंस को :
(१)एल्फा इंटर -फेरोंस ।
(२)बीटा इंटर -फेरोंस ।

(३)गामा इंटर -फेरोंस ।
ये प्रोटिनें हैं जिन्हें लिन्फ़ोकाइन्स भी कहा जाता है ,जिन्हें इन्फेक्शन की अनुक्रिया के फलस्वरूप शरीर खुद तैयार करता है .
रिकोम्बिनेंत डी एन ए टेक्नोलोजी(आनुवंशिक इंजीनियरिंग ) की मदद से इनका संश्लेषण भी अब किया जाता है ।
इंटर -फेरोन -थिरेपी :का लक्ष्य संक्रमित व्यक्ति के शरीर से विषाणु का उन्मूलन करना होता है ।
अपेक्षा तो यह रहती है ,हिपेताइतिस -बी और सी वायरस का उन्मूलन भी (खात्मा करके )इंटर -फेरोंस -थिरेपी "सिरोसिस "और लीवर कैंसर के विकास को आगे के लिए रोक देगी .लेकिन ऐसा होने में महीनों का क्या सालों भी लग सकतें हैं और कुछ मरीजों पर यह असरकारी भी नहीं रहती है ।

साइड इफेक्ट्स ऑफ़ इंटर -फेरोंस थिरेपी :इसकी थिरा -पेटिक डोज़िज़ को बर्दाश्त करना मुश्किल सिद्ध होता है . फ्ल्यू जैसे लक्षण मसलन फटीग ,हेडेक और एक्स के अलावा कभी कभार इन पार्श्व प्रभावों में" लो थाई -रोइड एक्टिविटी "भी देखनें में आती है ."लो प्लेट काउंट" और "डिप्रेशन" भी इसके अवांछित परिणामों में शामिल हैं .इनमें मरीज़में आत्म हत्या की ओर भी प्रवृत्त हो सकता है .
ल्यूकेमिया ?
ब्लड सेल्स के कैंसर को" ल्यूकेमिया" कहा जाता है .इसमें ब्लड सेल्स के ग्रोथ(बढ़वार) और विकास दोनों ही असामान्य हो जाते हैं .
वास्तव में ल्यूकेमिया को केवल वाईट ब्लड सेल्स(ल्यूको -साइट्स ) का ही कैंसर कहा जाना चाहिए .(कैंसर ऑफ़ दी ल्यूको -साइट्स )।
लेकिन प्रेक्टिस में इसका हवाला किसी भी सेल्युलर एलिम्नेट की जो खून में मौजूद रहतें हैं की मलिग्नेंसी के सन्दर्भ में भी दिया जाता है .चाहें इस मलिग्नेंसी का सम्बन्ध बोन मेरो से हो या रेड सेल्स से .रेड सेल ल्यूकेमिया को एरिथ्रो -ल्यूकेमिया भी कह दिया जाता है ।
ल्यूकेमिया एक कैंसर का टाइप है .कैंसर स्वयं में सौ रोगों से भी ज्यादा रोगों का एक समूह है .जिनमें दो महत्वपूर्ण बातें कोमन या यकसां रहतीं हैं .
(१)कुछ कोशायें शरीर में एब -नोरमल हो जाती हैं ।
(२)शरीर इन एब -नोर्मल कोशाओं की एक फौज ही पैदा करता रहता है ।
हर साल २७ ,०० वयस्कों और २००० अमरीकी बच्चों को इस बात का इल्म होता है उन्हें ल्यूकेमिया रोग है ।
मलिग्नेंट ?
मलिग्नेंट का मतलब होता है जिसमे गंभीर होने का रुझान हो ओर जो समय के साथ गंभीर होता भी चला जाए .बद से बदतर की ओर बढ़ जाए .जैसा "मलिग्नेंट हाई -पर -टेंशन" में भी होता है ।
ट्यूमर के सन्दर्भ में :
जो आसपास के ऊतकों को भी चपेट में लेले उन्हें नष्ट करने की कूवत रखता हो .जो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी पहुँच जाए रक्त प्रवाह के ज़रिये (मेटा -स्ता -साइज़ )करे .इसीलिए कैंसर को सारे अंगों का ही रोग माना जाता है ।
दी वर्ड मलिग्नेंट कम्स दी लेटिन कोम्बिनेशन ऑफ़ "मॉल "मीनिंग "बेड "एंड "नस्कोर "मीनिंग "बोर्न टू बी बेड ".

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