मंगलवार, 1 नवंबर 2016

भोपाल जेल से सिमी के आठ खूंखार आतंकियों का कर्तव्य निष्ठ जेलर की हत्या करके फरार हो जाना फिर

भोपाल जेल से सिमी के आठ  खूंखार आतंकियों का कर्तव्य निष्ठ जेलर की हत्या करके फरार हो जाना फिर गाँव  वालों की मदद से निश्चित सूचना मिलने पर पुलिस एनकाउंटर में चन्द घंटों बाद ही मारा जाना देश के लिए परम संतोष का विषय होना चाहिए लेकिन   ,दिग्विजय सिंह और ओवेसी जैसी सोच के लोगों से यह पच नहीं रहा है। बकौल इनके भीड़ को आतंकियों की गोली से मारे जाने का तो हक़ है लेकिन आत्मसुरक्षा में उन्हें मार डालने का हक़ नहीं है। क्या पुलिस को उनसे पहले उन सिम्मी के ज्ञात आतंकियों से उनकी जाति पूछनी चाहिए थी ?

और यदि दुर्मुख दिग्विजय सिंह जी को इतनी ही उनसे हमदर्दी है तो पहले उनका विधिवत श्राद्ध करें और फिर उस कर्तव्य निष्ठ जेलर की लड़की की शादी करवाएं जिसके लग्न तिथि सब सुनिश्चित हो चुकी थी।

दोस्तों ये वही  दिगपराजय सिंह हैं जिन्होनें ओसामा के लिए कहा था -सम्मान पूर्वक सुपुर्दे ख़ाक किए जाने का हक़ ओसामा जी को भी हासिल था। हमने तब भी कहा था आप अपने भोपाली आँगन में इनकी कब्र बनवा दें। चादर चढ़ाया करें नित उस पर।किसने रोका है ?

यह प्रतिक्रिया सिम्मी आतंकियों के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद अज़ीमतर दोस्त डॉ नन्द लाल मेहता वागीश से एक दूर  संवाद विमर्श के बाद लिखी गई है।

एक और प्रतिक्रिया पढ़िए इसी बाबत जो मैंने रात को (कैंटन ,मिशिगन के स्थानीय समय रात्रि दो बजे प्लेटर हिंदी पर लिखी थी ):

As I see it with Sanjeev Srivastava! 1st November, Tuesday


-11:26
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Virendra Sharma

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Virendra Sharma11:26 चाहें दिल्ली पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इन्स्पेक्टर मोहन लाल शर्मा की बाटला हाउस में छिपे आतंकवादियों द्वारा हत्या का मामला हो या फिर गुजरात में इशरतजहां और तीन और एक ही कौम के लोगों का पुलिस एनकाउंटर में मारा जाना हो ओवेसी -दिग्विजय सिंह-और अमरसिंह सोच के लोग हमेशा ही इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाते रहेंगे हो लें जांच भी जो होनी है ,फिर से दूध का दूध और पानी का पानी होगा बहर -हाल हमारी सहानुभूति उस जेलर के साथ है जो कर्तव्य निष्ठा पर शहीद हो गया ,हमारी सिम्पेथी उनके परिवार के साथ है उस भारत की बेटी के साथ है जिसके उन्हें हाथ पीले करने थे ,अब ये काम मध्यप्रदेश सरकार को उसी निर्धारित वक्त पर करना चाहिए।

इंग्लैंड धीरे -धीरे भारतीय चोट्टों की पनाहगाह बनता जा रहा है फिर चाहें वह सुधीर चौधऱी हों या विजय माल्या। आपका विश्लेषण सदैव की भांति संतुलित एवं मानवीय पहलू को साथ साथ लिए रहा। बहन मायावती अपने बड़बोलेपन के लिए हमेशा ही जानी गईं हैं उनके उस्ताद रहे काशीराम जी का भी इस नारे के अलावा क्या योगदान रहा है -तीर तराजू और तलवार,इनको मारो जूते चार। इन छोटे स्तर छोटी सोच वाले लोगों को सनातन परम्परा -वर्णाश्रम धर्म (जो स्वाभव अनुरूप था ,जिसमें नीचे से ऊपर जाने की आज़ादी थी ,जो जाति प्रधान नहीं कर्म -स्वभावज व्यवस्था थी जहां यह बिलकुल ज़रूरी नहीं था ब्राह्मण कुल में पैदा बालक ब्राह्मण ही कहलाए ,उसे शूद्र ही समझा जाता था जब तक वह श्रोत्रिय न हो ,ब्राह्मण उसे ही समझा जाता था जिसने ब्रह्म को जान लिया है जो श्रोत्रिय है वेदों का ज्ञाता है। अन्य को इसीलिए द्विज ही कहा गया ब्राह्मण नहीं। संजीव जी आप और एडिट-प्लेटर अपने मानवीय पहलू का पल्लू कभी नहीं छोड़ता यह बड़े गर्व की बात है उसके लिए देशधर्म और मानवीयता पहले है। दशतगर्दों के बारे में तो यही कहा जा सकता है -जैसी करनी पर उतरनी (वैसी भरनी ).
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Prashant Sinha0:00 Good Morning .Little bit late. I was waiting for this. Thanx for your news n views.
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Edit Platter हिंदीSorry will be back in time from tomorrow
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Vivek Raj5:11 It is important to punish people who stage fake encounters. These 8 people weren't convicted - on the other hand terrorist maya kodnani who has been convicted for multiple murders - she is out on bail. What justice are you talking about?
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Durdana Ansari11:26 Splendid sequence of analysis
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Jeet Bhati0:42 Good morning sir
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Rameshwar Nath Tiwari0:37 बेहद सुन्दर
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Sudhir Chowdhary1:30 I am here lol...ha ha
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2 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ... लाजवाब और सटीक लिखा है ... सहमत सैट प्रतिशत आपकी बात से ...

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ह्त्या जेलर की नहीं गार्ड की हुई थी