चिंता ताकि कीजिये जो अनहोनी होय ,
लेख न मिटिए हे सखी ,जो लिखिआ करतार।
होता है बस वो सखी जो भी होना होय ,
हंट किए कछु होय न लाख करे किन कोय।
अलावा इसके एक बात और डोनाल्ड ट्रम्प पर लागू होती है जिनका दानवीकर कुछ वैसे ही किया गया है जैसा २०१४ से पहले हमारे अज़ीमतर प्रधानमंत्री मोदी का होता रहा है।
नीचे लिखी पंक्तियाँ इसका खासा खुलासा करेंगी -
हर तरफ एतराज़ होता है ,
मैं जहां रौशनी में आता हूँ।
बहरसूरत वस्तुस्थिति का इतना निर्मम और बेलाग विश्लेषण एडिटपलेटर ही प्रस्तूत कर सकता है। डोनाल्ड ट्रम्प पहलवान रहें हैं पहलवान को कभी भी बुद्धि तत्व के लिए नहीं जाना गया है ,वो जो ठान लेता ठान लेता है फिर अच्छा बुरा होय सो होय।
दुनिया और हमारी हवा पानी वैसे भी बदल ही रही है।
विनाशकाले विपरीत बुद्धि -नागर बोध से ठसाठस अमरकियों के बारे में ऐसा कहना बड़ा मुश्किल है अमरीका सबसे पहले स्वहित का पोषक संरक्षक देश रहा है। अलबत्ता परिवर्तन तो शाश्वत ही माना कहा गया है ओबामा अपनी भलमनसाहत के बा -वज़ूद बिना बघनखों के राष्ट्रपति दीखते थे ट्रम्प के बारे में ऐसा आसानी से नहीं कहा जा सकेगा। सीनेट और प्रतिनिधि सभा उनकी जब में रहेगी ?
एक प्रतिक्रिया दिए हुए सेतु पर मौजूद प्लेटर पर :
https://www.facebook.com/shiv.kant.792
1 टिप्पणी:
finally trump became the President
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