शनिवार, 5 नवंबर 2016

Edit Platter हिंदी

मत कहो, आकाश में कुहरा घना है,
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है!

सूर्य हमने भी  देखा नहीं है  सुबह से,
क्या करोगे, सूर्य का क्या देखना है?

इस सड़क पर इस कदर कीचड़ बिछा है,
हर किसी का पाँव घुटने तक सना है!

पक्ष और प्रतिपक्ष संसद में मुखर हैं,
बात इतनी है की कोई पुल बना  है।

रक्त वर्षो से नशों में खौलता है,
आप कहतें हैं क्षणिक उत्तेजना है!!!!!!

हो गई  हर घाट पर पूरी व्यवस्था।
शौक से डूबे  जिसे भी डूबना है!!

दोस्तों, अब मंच पर सुविधा नही है,
आज कल नेपथ्य में संभावना है।

बड़ी मौज़ू हैं दुष्यंत जी की ये पंक्तियाँ आजकल के हालात का तपसरा न सही कुछ तो ऐसा है जो इस दौर में मोदीजी की कद काठी के अनुरूप नहीं लगता -एनडीटीवी का कद इतना बड़ा नहीं है ,उस पर प्रतिबन्ध लगाया जाए ,हमारे दौर का सबसे ज्यादा विवादित ,चैनल समझा गया है ,जहां बुनियादपरस्तों की गोद  में खेलने वाले अपनी सी करवा रहें हैं। खुद ही जनता की नज़रों में गिर गया है ये चैनल और इससे जुड़े सुदर्शन कुमार और सुदर्शनाएँ। शिवराज जी चौहान ने सद्भावना बनाए राखी है अपना हट छोड़के जांच बिठा दी है ताकि दूध का दूध पानी का पानी हो जाए। 

एनडीटीवी से भी प्रतीकात्मक ही  सही एक दिनी प्रतिबन्ध भी हटा लिया जाए खुद चैनलिये उनका साथ  छोड़ गए हैं मरे हुए को क्या मारा जाए। एक बार फिर एडिट प्लेटर को सलाम उनके विनयपूर्ण अनुरोध को माना जाए। 

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