मंगलवार, 10 जून 2014

कांग्रेस ध्वस्तीकरण के सुपरनायक

कांग्रेस ध्वस्तीकरण के सुपरनायक 

कांग्रेस को विश्व की प्रथम प्राथमिक भ्रस्ट  सरकार होने का गौरव प्राप्त हुआ है। किसी सरकार में कोई एक आदि शख्शियत भ्रस्ट हो सकती है लेकिन देश में यह पहली बार हुआ , पूरी (कांग्रेस )सरकार ही भ्रस्ट दिखलाई दी। 

इसे इस मुकाम तक पहुंचाने वाले खलनायकों में अग्रणी श्रीमणिशंकर ऐेयर साहब रहे हैं जिन्होनें अपने कार्यकाल में पोर्टब्लेयर (पूर्व में कालापानी के नाम से विख्यात सेलुलर जेल )की जेल से अमर स्वतंत्रता सैनानी वीर दामोदर सावरकर की प्रतिमा उखड़वाकर कांग्रेस ध्वस्तीकरण  की नींव रख दी थी। जब लोगों ने मणिशंकर का पुतला बनाकर उस पर जूते बरसाए तब ज़नाब ने बड़ी बे -शर्मी  से कहा था सावरकर की शक्ल तो मेरे से मिलती नहीं थी फिर मेरे पुतले पर लोग नाहक जूते क्यों बरसा रहे हैं। 

दूसरी बड़ी गलती इस महानायक ने कांग्रेस के जयपुर महाअधिवेशन में श्री दामोदर नरेंद्र मोदी को जयपुर आकर अधिवेशन के दौरान चायस्टाल लगाने का निमंत्रण देकर की। 

इस एक चायवाले ने पूरी कांग्रेस को कब्र में डाल दिया।  मोदी अपने को चायवाला कहते हुए आगे बढ़ गए।  बढ़ते रहे।  

 मणिशंकर अय्यर के  दुर्मुख से सदैव ही कटु वचन निकले हैं। आकस्मिक नहीं है इनका थरूर साहब पर बौखलाना क्योंकि इन महानुभाव को किसी की तारीफ़ करने का सुख पता ही नहीं है। ये अपने अहंकार का बटन दबाये रहते हैं (24X7).

कांग्रेस को सुपुर्दे ख़ाक करने वाले दूसरे बड़े नायक (खलनायक )हैं श्री दिग्पराजय सिंह। न मालूम किस झौंक में माँ -बाप ने इनका नाम दिग्विजय सिंह रख दिया लेकिन इन्होनें अक्सर पराजय को ही गले लगाया है।विजय का स्वाद तो कभी चखा ही नहीं।   

जहां कहीं भी किसी आतंकवादी की ह्त्या गुज़िश्ता सालों में हुई ये दुर्मुखों में अग्रणी वहां वहां उनके घरजाकर अफसोस करने पहुँच जाते। यही वे व्यक्ति थे जिन्होनें ने खूंखार आतंकी ओसामा को ओसामा जी कहा था साथ में यह भी कहा- मुसलामानों को पानी में नहीं ज़मीन पे दफन किया जाता है। सबको आदर पूर्वक सुपुर्दे ख़ाक किया जाना चाहिए। इनका बस चलता तो अपने भोपाली आँगन में उनकी एक मज़ार बनवा देते। 

ये तो किसी भले कांग्रेसी ने इन्हें पाकिस्तान जाने से रोक दिया वरना ये कसाब के घर भी अफ़सोस ज़ाहिर करने पहुँच जाते। 

बस धीरे धीरे भारत धर्मी समाज को यह यकीन हो गया कि कांग्रेस की सरकार आतंकियों की समर्थक सरकार है।हश्र इस सरकार का आपके सामने है वह भी एक चायवाले के हाथों।  



(ज़ारी ....शेष अगली क़िस्त में पढ़िए ) 

कोई टिप्पणी नहीं: