सेकुलर ऐसी आड़ है जिसके पीछे आप छिप सकते हैं। हर आदमी इसके पीछे से पत्थर उछालता है। तरह तरह के सेकुलर हैं :
(१)जातिवादी सेकुलर
(२) मज़हबी सेकुलर
(३) जातिवादी -मजहबी संयुक्त सेकुलर
(४ )जेहादी सेकुलर
(५)राष्ट्र दोही सेकुलर
राष्ट्रवादियों को छोड़कर यहाँ सब सेकुलर हैं। मूल्य इनके लिए कोई महत्व नहीं रखता इनका एक ही मूल्य है जितना लूटा जा सके लूट
लो । इसी सेकुलर फ्रेम को आईना दिखलाती एक रचना पढ़िए डॉ. वागीश मेहता ,नन्द लाल की :
" वोट -लार बहाते कुत्ते "
"सेकुलर है हिंसक मकरी "
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वोट बड़ा या देश ज़रूरी ,बहस हो चाहे बुरी भली ,
मलकवा कौन पुडलवा कौन ,चली है चर्चा गली गली।
वोट ;लार बहाते कुत्ते ,हड्डी पर झपटा झपटी ,
राज -नीति धंधेबाजों ने ,फाड़ी लोकलाज चुनरी
लूमड़ लक्कड़ बग्घों ने मिल रौंदी सारी रंगपुरी
किसकी बारी कब आ जाए ,मची हुई अफरा तफरी।
थुक्कड़ चाटें आसमान पर ,अपने मुंह पर आन पड़ी ,
कमुनल कौन कौन है सेकुलर ,व्यर्थ विवादों में नगरी।
भारत -भाव का सागर कमुनल ,सेकुलर है हिंसक मकरी।
विशेष :यहाँ मकर (capricorn)मकरी यानी मगरमच्छ की मगर -मच्छी शब्द बनाया गया है।
भारत भाव यानी प्रजातंत्र का सागर,भारत धर्मी समाज तो यहाँ कमुनल घोषित कर दिया गया है ,प्रजातंत्र का रक्त चूसने वाली
मकरी सेकुलर समझी गई है भारत की वर्तमान अपगामी ,निकृष्ट राजनीति में ।
मलकवा शब्द मालिक से बना है और पुड्लवा शब्द पूडल से गढ़ा गया है। पूडल यहाँ कौन किसका है आप सब लोग जानते हैं।
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1 टिप्पणी:
इस शब्द के पीछे कितना कुछ छिपा ले गये सब।
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