सोमवार, 21 मई 2018

मूल्य विहीन 'विषकन्या -कांग्रेस' भारत को कैटिल डेमोक्रेसी बनाने पर आमादा है

'विषकन्या -कांग्रेस 'के एक चाटुकार प्रवक्ता  अमित शाह के  प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए वक्तव्य पर टिपण्णी करते हुए कह रहे थे- 'खिसियानी बिल्ली खम्भा नौंचे' अमित शाह ने कहा था -'कांग्रेस ने पूरे   अस्तबल का ही अपहरण कर लिया।' अपने  सारे विधयाकों को पंचतारा होटल में बंद कर दिया।वो बाहर होते तो 'कर -नाटक ' कुछ और होता। 

लगता है इन चाटुकार महोदय को हिंदी मुहावरों का अर्थ ही नहीं मालूम। बिल्ली खम्भा तब नौंचती है जब वह अपना शिकार न पकड़ पाए और वह  खम्भे के पास बैठी  हो। लगता है निरानन्द शर्मा चाटुकारिता करते करते भाषा भी भूल गए जबकि जिसे जनता बुद्धू कहती है वह कमसे कम बोलना  तो सीख ही गया। लगता है मनुष्य के भेष में चाटुकार प्रवक्ता साक्षात लंगूर हैं जो खम्भे पे ही चढ़के  बैठ गया है।

ऊपर से ये तुर्रा के बीजेपी माफ़ी मांगे कर्नाटक की जनता से। 

ये तो वह बात हो गई जो छात्र यूनिवर्सिटी में फस्ट आया है वह सबसे माफ़ी मांगे। और कांग्रेस रिरियाके अपने से भी कम सीट पाने वाली जेडीयू को विजयी घोषित कर दे खुद अपनी चालीस सीटें गँवा के।किस बात के लिए बीजेपी कर्नाटक की जनता से माफ़ी मांगे?

इस बात के लिए के उसने सबसे ज्यादा सीटें जीती।

मूल्य विहीन 'विषकन्या -कांग्रेस' भारत को कैटिल डेमोक्रेसी बनाने पर आमादा है।   

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