रविवार, 29 नवंबर 2015

विकलांग आदमी मन से होता है न कि तन से ,शारीरिक रूप से थोड़े अक्षम लोग शरीर का अतिक्रमण कर हमारे प्रेरक बन सकते हैं बस हम उनके प्रति एक बार अपना नज़रिया तो बदल के देखें।




 
पहली मर्तबा आज इस बहुश्रुत कार्यक्रम को देखने सुनने का अवसर मिला। गौरवान्वित महसूस करता हूँ , पहली मर्तबा मेरे देश को एक ऐसा सहृदय प्रधानमन्त्री मिला जो देश और दुनिया ,सामाजिक सरोकारों ,हमारे वक्त की जलवायु परिवर्तन जैसी आलमी समस्याओं से बा -वास्ता है। जो ऊर्जा संरक्षण की जब बात करता है तो नूरजहाँ  का उल्लेख करना  नहीं भूलता जो एक  पूरे गाँव को सौर लालटेन मुहैया करवाने के सामाजिक यज्ञ में मुब्तिला है। 

विकलांग आदमी  मन से होता है न कि तन से ,शारीरिक रूप से थोड़े अक्षम लोग शरीर  का अतिक्रमण कर हमारे प्रेरक बन सकते हैं बस हम उनके प्रति एक बार अपना नज़रिया तो बदल  के देखें। 

दो तरफ़ा संवाद  बनाता है यह कार्यक्रम। ऑर्गेनिक खेती से जुड़े एक प्रश्न  पर प्रधानमंत्री  की टिप्पणी बड़ी संवेदनाओां को संग लिए थी। कृषि कचरे से आप ऑर्गेनिक खाद बना सकते हैं लेकिन जब आप उसे यूं ही जला  देते हैं, भूमि की उर्वरा शक्ति छीज़ती है , पृथ्वी की बाहरी चमड़ी झुलस जाती है।         

2 टिप्‍पणियां:

Rajendra kumar ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति, आभार।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

प्रधान मंत्री मोदी कितनी ही अच्छी बात कर लें लेकिन कुछ लोग उनके हाथ धो कर पीछे पड़े हैं ..