सोमवार, 13 अगस्त 2012

फाइबरो -मायाल्जिया का भी इलाज़ है काइरोप्रेक्टिक में

Fibromyalgia is a disorder causing aching muscles ,sleep disorders ,and fatigue ,associated with raised levels of the brain chemicals that transmit nerve  signals (nerotransmitters.). 

Imagine having to live with fatigue and radiating ,gnawing ,shooting or burning muscle , tendon and joint pain all the time .Imagine your body full of "tender points "on your neck ,shoulders ,chest ,rib cage ,lower back ,thighs ,knees ,elbows and buttocks along with increased sensitivity to pain ,heat ,cold ,touch and bright lights .

As if the above were not bed enough you may have sleeplessness ,irritable bowel syndrome ,headaches ,irritable bladder (interstitial cystitis ),depression and /or anxiety .Sounds terrible ,doesn't it ?That's what people who suffer from fibromyalgia -also known as fibromyositis and myofascial pain syndrome- must endure .For some ,this condition is annoying ,but for others ,the symptoms are all but disabling.

देखा आपने चंद जैव -रसायनों (जो जहां होतें हैं वहां ट्रांस -मीटर्स का काम करतें हैं और इसीलिए न्यूरो -ट्रांस -मीटर्स कहलातें हैं आखिर न्यूरोन -न्यूरोन संवाद ही तो चलता है हमारी तमाम काया में जिसका नियंता हमारा दिमाग है और वहीँ तो ये हद हो रही है ये रसायन ज्यादा बन रहें हैं )का खेल जिनका बढा हुआ स्तर ये सारे गुल खिलाता है .मेरी बहन को है यह "रोग -फाइबरो -मायल -जिया " जब भी मिलो- कहती हुई मिलेंगी क्या बताऊँ भैया सारे बदन में सुइयां सी चलतीं हैं कोई चीज़ माफिक नहीं आती ,कोई दवा सूट नहीं करती न पैन किलर्स न अवसाद रोधी .तब यकीन नहीं होता था .मैं मज़ाक कर लिया करता था -सारे जहां का दर्दो गम समेट कर जब कुछ न बन सका तो मेरा दिल बना दिया .अब समझ में आया जोड़ों में दर्द कैसा होता होगा अस्थि बंधों पे ,कंडरा(मांस पेशी को हड्डियों से जोड़ने वाली नसों टेंडन)पे  क्या गुज़रती होगी .बहिन जी कहतीं थीं नस नस में खिंचाव रहता है सारे शरीर में यहाँ से वहां वहां से यहाँ दर्द भागता रहता है .अब समझ आया यही है रेडियेटिंग पैन जो एक जगह टिकता नहीं है .न गर्मी बर्दाश्त न सर्दी न रौशनी अच्छी लगे है इस बीमारी में न अपना आपा अच्छा लगे , ,न जीते बने न मरते .

रातों की नींद हराम सो अलग .न सोते बने न जागते .

More Women Are Affected 

लाखों  लोग इस बीमारी (फाइबरो -मायल -जिया )की चपेट में हैं इनमें महिलायें ज्यादा हैं .क्या वजह है इस बीमारी की और क्यों यह महिलाओं को ही ज्यादा चपेट में लेती है कोई नहीं जानता .क्यों इससे पीड़ित लोगों की संख्या दिनानुदिन बढ़ रहीं है यह भी कोई नहीं बता सकता .

The Medical Approach 

नॉन स्टी -रोइडल एंटी -इन -फ्ले-मेट्री (NSAIDs)  ,दर्द -नाशी ,अवसाद रोधी दवाएं ,तथा अनेक प्रेस्क्रिप्शन ड्रग्स आजमाई जातीं है जो लक्षणों  को दबा भर देती हैं ,शमन कर देती हैं लक्षणों  का ,अस्थाई आराम भी आजाता है लेकिन पुख्ता इलाज़ के नाम पे ठन ठन पाल मदन गोपाल .

इसीलिए अब माहिर, मेडिकेशन (दवा दारु )के संग- साथ ,भौतिक चिकित्सा (फिजिकल थिरेपी ),सलाह मशविरा मरीज़ के साथ ,तथा सपोर्ट ग्रुप की मदद से रोगियों का (रोग का ?)प्रबंधन कर रहें हैं.सीमित लाभ मिल रहा है इस कोम्बिनेशन थिरेपी (थिरेपीज़ )का .

Non -Medical Approaches 

इसी  सब  के  चलते अब लोग कुदरती साधनों से मुखातिब हुएँ हैं .इनमे शामिल हैं ऐसी व्यायाम जिनमें  आपकी ऑक्सीजन की खपत बढ़ जाती है (एरोबिक एक्सरसाइजिज़ ,वातापेक्षी व्यायाम )मकसद होता है ऑक्सीजन की खपत में सुधार लाना .संगीत की लय पे थिरकना भी इसी एरोबिक्स के तहत आयेगा .इससे दर्द और अवसाद ,खिन्न मन की अवस्था में फ़ौरन सुधार आता है .आदमी रोज़ मर्रा के काम करने का सहस जुटाने लगता है रोज़ मर्रा के काम फिर से करने लगता है .

शुरुआत" लो इम्पेक्ट "एक्सर- साइज़ मसलन सैर करना ,तैरना आदि से की जा सकती है .सबसे आसान है आदमी   के लिए पैदल चलना .आदमी को पैदल  चलने के हिसाब से ही कुदरत ने बनाया है ...चौपाये  दो पैरों पे नहीं चलेंगे .और जब हम पैदा हुए थे तब ये मानव चक्कियां ( Tread Mills )नहीं थीं .ज़रूरी  नहीं है आप जिम जाएँ .कानफोडू शोर और तमाम बॉडी ओडर से भरी आधुनिक व्यायाम शाला (जीम खाना )में जाएँ .

धीरे धीरे ज्यादा कोशिश ओर मेहनत वाले कठोर व्यायाम की ओर अग्रसर हो सकतें हैं .strenuous exercise (थकाऊ कसरत कार्यक्रम )बना सकतें हैं .

एक्यु -प्रेशर ,एक्यु -पंक्चर ,शिथलीकरण व्यायाम (रिलेक्शेसन टेक्नीक्स ) ,पुष्टिकर तत्व प्रदाई न्यूट्रीशन थिरेपी से भी कुछ न कुछ आराम मिलता है फाइबरो -मायाल्जिया में .पूर्ण आराम के लिए संपर्क करें काइरो -प्रेक्टर से .आजमायें काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली .

The Chiropractic Approach 

काइरोप्रेक्टिक की तरफ अगर लोग मुड़े हैं तो इसीलिए यह चिकित्सा प्रणाली अच्छे परिणाम दे रही है .काइरोप्रेक्टिक व्यवस्था के  चिकित्सक का मुख्य काम हमारे शरीर में मेरुदंड में पाई जाने वाली एक गंभीर किस्म की स्ट्रेस से हमें मुक्ति दिलवाना है .vetibral subluxations कहा जाता है इस स्टेस को .


Vertebral subluxations 

यह हमारी स्पाइन या मेरु दंड (रीढ़ )का विक्षोभ है ,विरूपण है .इस विरूपण में कायिक संरचनात्मक विरूपण भी शरीक रहतें हैं .यही हमारे दिमाग और मेरु रज्जू (स्पाइनल कोर्ड )को दवाब में लातें हैं .तंत्रिकाओं (नसों ,स्नायुओं ),जोड़ों ,स्नायु अस्थि बंधों (ऊतक जो अस्थियों को जोड़तीं हैं ),पेशियों ,शरीर के तमाम अंदरूनी अंगों ,अन्य ऊतकों पर स्ट्रेस बनातें हैं .

इनकी (subluxations )की  मौजूदगी में  काया ठीक से काम नहीं करती .काया का काया पर ही पूरा नियंत्रण नहीं रहता .(loss of wholeness).ऐसे में आपको अपना आपा "आप "  नहीं लगता .
बीमारियों  से लड़ने का माद्दा  कम हो जाता है .रोग- रोधी ,प्रति -रोधक शक्ति छीजने  लगती है .ऊर्जा की कमी महसूस होने लगती है शरीर में .जैसे सब कुछ बे -जान होके रह गया है .उम्र से पहले बुढापा घेरने लगता है .कद भी छीजने लगता है हमारा .

सब -ल़क-सेशंस क्योंकि पीड़ा हीन होतें हैं इसलिए इनकी खबर भी हमको नहीं चलती है .अन्दर -अन्दर यह आपकी सेहत को छलनी करते रहतें हैं सालों साल जब तक की इनका समाधान न ढूंढा जाए .

गत सौ सालों के नैदानिक प्रेक्षणों से इल्म हुआ है ,subluxations हमारी  भौतिक और मानसिक सेहत को असर ग्रस्त करतें हैं .

Subluxations  And Trauma 

जो लोग किसी दुर्घटना की चपेट में आजातें हैं या फिर जिन्हें कोई सदमा पहुंचता है ,मानसिक या भौतिक आघात लगता है ,अकसर subluxations लिए  रहतें  हैं  .वजह बनतीं हैं यह दुर्घटनाएं subluxations की   . 

फाइबरो -मायल्जिया का सम्बन्ध भी ट्रोमा और आकस्मिक दुर-घटनाओं  से जोड़ा जाता रहा है .

एक अध्ययन में उन लोगों में फाइबरो -मायल्जिया का जोखिम १० गुना बढा हुआ पाया गया जिन्हें एक साल पहले ही गर्दन में चोट(नेक इंजरी हुई थी ) आई थी .

सालों से दस्तावेज़ संजोये गए हैं जिनमें  फाइबरो -मायल्जिया से ग्रस्त लोगों में काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा से हासिल फायदे का ज़िक्र है .

ऐसे ही एक अध्ययन  में ऐसे २३ फाइबरो -मायल्जिया के मरीजों को शरीक किया गया था जो क्रोनिक फटीग सिंड्रोम (Chronic fatigue syndrome) से घिरे हुए थे .इनमें ५ पुरुष और १८ महिलायें थीं जिनकी उम्र ११-७६ साल थी .स्पाइनल केयर के बाद इन सभी  मरीजों में सुधार देखा गया जो आइन्दा भी एक साल तक फोलो अप्स में(काइरो -प्रेक्टिक विजिट्स में ) मिलता रहा .

ये सभी अपने काम पे लौट गए .रोज़ मर्रा के जीवन में भी लौट आये .इन की गाडी फिर से चल पड़ी .

रिसर्चरों ने बतलाया इनमें  से ९२-१००% मामलों में फाइबरो -मायल्जिया के साथ साथ क्रोनिक  फटीग सिंड्रोम में भी आराम आया .

एक और अध्ययन में १५ महिलायें शरीक थीं जो सभी फाइबरो -मायाल्जिया से ग्रस्त   थीं .इनमे से ६०%(९ महिलाओं में )दर्द के लक्षण ५०% कम हुए ,नींद की गुणवत्ता और थकान में भी सुधार आया .एक माह तक फोलो अप्स में भी यही लाभ मिलते देखा गया .

More Studies

एक और अध्ययन में जो अमरीकन जर्नल आफ मेडिसन में प्रकाशित हुआ ,रिसर्चरों ने पता लगाया ,४५.९ % मामलों में काइरो -प्रेक्टिक चिकित्सा लेने वाले फाइबरो -मायाल्जिया के मरीजों को आराम आया ,कुछ की हालत में मझौले दर्जे का तो कुछ में कॉफ़ी ज्यादा सुधार आया .

इसी अध्ययन में जिन मरीजों को अवसाद रोधी दवाएं (एंटी -डिप्रेसेंट )दिए गए केवल ३६.३% को तथा केवल कसरत पर रखे गए लोगों में से ३१.८ % को फायदा पहुंचा .

एक और अध्ययन में २१ मरीजों  को जिनकी आयु २५-७० वर्ष थी शामिल किया गया .सभी फाइबरो -मायाल्जिया से ग्रस्त थे .

All received  four weeks of chiropractic care and soft tissue stretching or passive stretching.All reported improved cervical and lumbar ranges of motion and decreased pain .

सारांश 

आपके शरीर में किसी भी स्थिति रोग की खुद- बा- खुद दुरुस्ती की कूवत  है .यौर बॉडी इज ए सेल्फ हीलिंग ओर्गेंन .

शर्त यही है आपका शरीर उल्लेखित "सब -ल़क -सेशंस" से मुक्त रहा आये .

When your body is free from subluxations ,your self healing ability ,your "inner healer" ,is better able to deal with all your health problems ,including fibromyalgia.

हर कोई चाहता है एक मुठ्ठी आसमां  ...सबकी काया" इन सब -ल़क -सेशंस "से आज़ाद रहे .भले उन्हें कोई हारी -बीमारी हो या न हो ,तभी यह आसमां  मुठ्ठी में आयेगा .कर लो दुनिया मुठ्ठी में .

जिस किसी को यह कष्टकर तकलीफ फाइबरो -मायाल्जिया है उन्हें स्पाइनल चेक अप के लिए काइरो -प्रेक्टर के पास आना चाहिए .

It may make the difference between recovery and continued illness ,between a life of pain and a life of ease .  

6 टिप्‍पणियां:

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बहुत मेहनत से बढ़िया जानकारी जुटाई है आपने .
तकनीकि शब्दों का हिंदी रूपांतर भी बहुत अच्छा है .
काम की जानकारी .

Shanti Garg ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन और प्रभावपूर्ण रचना....
मेरे ब्लॉग

जीवन विचार
पर आपका हार्दिक स्वागत है।

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सही और उपयोगी जान कारी...आभार..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

चलिये, अब और ध्यान देते हैं..

कुमार राधारमण ने कहा…

रोग और निदान दोनों से अनभिज्ञ था। ज्ञानवर्द्धन हुआ।

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत सी नई जानकारी मिली।