सोमवार, 7 मई 2012

भारत में ऐसा क्यों होता है ?

भारत में ऐसा क्यों होता है ?

HIV + prisoner seeks  mercy killing

Ostracized  HIV + couple struggles for power 

इन दिनों सलेम की केन्द्रीय कारावास कथित सुधार गृह (जेल) में एक ३८ साला ऐसा मरीज़ कैद में है जो HIV + है  .बेशक इस पर क़त्ल का अभियोग  चल रहा है लेकिन इसकी मेडिकल कंडीशन मांग करती है इसे अच्छी खुराक और एंटी -रेट्रो -वायरल दवाएं दी जाएँ .इसे दोनों से ही महरूम (वंचित )रखा जा रहा है जो अपने आप में एक अपराध है .
अपनी दिनानुदिन बिगडती हालत  से आजिज़ आकर पेरियासामी नामी इस व्यक्ति ने राष्ट्र पति ,तमिलनाडु के राज्यपाल महोदय और केन्द्रीय गृह मंत्री महोदय  से इच्छा  मृत्यु की इजाज़त माँगी है मर्सी किलिंग आत्म -मरण स्वीकृति युथ्नेज़िया (EUTHANASIA) माँगी है .

HIV+ लोगों के साथ यह अन्याय सामाजिक स्तर पर भी हो रहा है .जबकि  इन्हें गले लगाना समाज के ही हित में है ताकि आइन्दा लोग अपना HIV+ स्टेटस  न  छिपाए
.लेकिन हो ठीक इसके उलट रहा है इन्हें सामाजिक बहिष्करण से जूझना पड़ रहा है .अनिवार्य सुविधाओं सिविक एम्नीतीज़ से भी इन्हें वंचित रखा जा रहा है .कोई इन्हें किराए पे अपना मकान नहीं देता और लेदेके ये अपना मकान बना भी लें तो इन्हें बिजली पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं  के लिए भी धक्के खाने पड़ते हैं .

Ostracized  HIV +  couple struggles for power /TIMES NATION /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MAY 6, २०१२ ,P9


गत  कई  बरसों  से  एक  दम्पति ३६ साला आर कंथा एवं राधाकृष्णन इसी सामाजिक उपेक्षा का दंश झेल रहें हैं .चेंगल पेट,कांचीपुरम  (तमिलनाडु )की पेरियार स्ट्रीट पर लेदे के  इन्होने अपना एक घर ज़रूर बना लिया है 
लेकिन बिजली का कनेक्शन आज तक नहीं मिला है एडी चोटी का जोर लगाने के बाद भी टरकाऊ आश्वाशन ही हाथ आयें हैं .

जनवरी २०१२ से कंथा रोजाना एरिया ऑफिस तमिलनाडु इलेक्त्रिसिती  बोर्ड, चेंगल पेट के चक्कर काटती   रही   है .इस आश्वाशन के साथ उसे वापस भेज दिया जाता है आप चिंता न करें आपको कनेक्शन जल्दी ही मिल जाएगा .यह दम्पति अपनी दो बेटियों के साथ गत तीन माह से अपनी शाम अंधेरों में काट रहा है .

जनवरी २५ ,२०१२ को इस दम्पति ने बिजली कनेक्शन देने के लिए आवेदन किया था .सारे कागजों का पेट भर दिया था .३००० रूपये का भुगतान भी किया था .ग्राम पंचायत से' नो ओब्जेक्शन सर्टिफिकेट'एन. ओ.  सी.'  भी दम्पति हासिल कर चुका  है जनवरी माह में ही .

बाद इसके अधिशाषी अभियंता की शिकायत बैठक  में भी कंथा को वरीयता के स्तर पर ४ अप्रैल को आश्वश्त किया गया कि उसे बिजली जल्दी दे दी जायेगी .लेकिन हुआ कुछ नहीं .

राधाकृष्णन की समस्याओं की शुरू आत उसी दिन हो गई थी जिस दिन इसने चेंगल पेट में कुछ बरस पहले HIV + लोगों  के  लिए  एक  दफ़तर  खोला  था  .
एक बरस में ही फिर तो इस दम्पति को पांच मकान बदलने पड़े .मकान मालिकों  ने इनसे मकान खाली करवाए डाट डपट के हर बार .बस इनका HIV + स्टेटस  पता चलते ही मकान मालिक  यह कदम उठा लेते थे .

जब इन्होनें सरकार द्वारा अलाट की गई ज़मीन पर मकान बनाना शुरू किया तब आधे अधूरे बने मकान को पड़ोसियों ने खुंदक में  आग लगा दी
.यह जनवरी २०११ की घटना है .इन्होनें फिर भी हौंसला नहीं खोया मकान पूरा किया .लेकिन अब अन्धेरा इन्हें घूर रहा है .अंधे समाज  के अंधे क़ानून .ऐसा भारत में सरे आम होता है तो क्यों होता है ?

एक बानगी और देखिये  -

माँ की कोख ,
बेटी का कब्रिस्तान ,
ये है हिन्दुस्तान .

चाहे तो इसे 'हाइकु' कहिये .


5 टिप्‍पणियां:

डॉ टी एस दराल ने कहा…

HIV + स्टेटस की वज़ह से इस तरह का व्यवहार करना सही नहीं है . आजकल तो इलाज भी उपलब्ध है . न यह रोग किसी के साथ उठने बैठने से होता है .
लेकिन मर्सी किलिंग एक पॉलिसी मेटर है जिसे उच्च स्तर पर ही निर्णय लिया जा सकता है और डिबेटेबल है .

रविकर ने कहा…

मार्मिक |

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कडुवा सच है ये ... चाहे किसी भी रूप में ...
राम राम जी ...

SM ने कहा…

another example showing lack of knowledge

मनोज कुमार ने कहा…

यह एक ऐसा सच है जो हमें आतंकित करता है।