रविवार, 19 अप्रैल 2009

आज भी द्रोपदी .

ये आकस्मिक नहीं पूर्व नियोजित है:महिलाओं को आज भी इस देश मैं द्रोपदी (मिल बैठकर खाने बांटने की चीज़ )समझा जाता है ,इसी लिए महिलाओं को सुरक्षा मुहैया करना ,कराना चुनावी मुद्दा नहीं बन पाता,उल्टे इस दरमियान उसे तरह तरह के अलंकरणों से सुशोभित किया जाता है ,सिलसिला इंदिराजी पर गुजरात की एक चुनाव सभा मैं जूता फेंकने से सुरु हुआ था ,जोर्ज साहिब ने कहा (१९६९):सोनिया ने दो बच्चे पैदा करने के अलावा और क्या किया ,योगदान ?आज मुन्ना भाई बहिन मायावती की पप्पी लेने की बात कहते हैं ,लालू दम्पति एक दूसरे से आगे चल रहेंहैं इस अलंकरण मैं.बकौल राबरी देवी नीतिश और लल्लन एक दूसरे के साले हैं .पूंछा जा सकता है :राबरी जी आपको कैसे पाता है ये सब ?लालू किसी को हरामजादा कहते हैं ,किसी को पूतना .इसी लिए यहाँ आए दिन बलात कार होतें हैं ,सेक्स एजूकेशन के नाम पर हमारी त्योरियां चढ़ जाती हैं ,ज़ाहिर है इस सूरते हाल को कोई बदलना नहीं चाहता .औरत भी इस लानत मलानत मैं शामिल है.सोनिआजी को प्रधान मंत्री बनाए जाने के मुद्दे पर सुष्माजी सर मूंडाने की धमकी दे चुकी हैं .इसीलिए औरत राजनीती के हाशिये पर है .

कोई टिप्पणी नहीं: