मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

ख्वाहिश थी मिरि :छोटी बहर की अतिथि नज़्म :संगीता स्वरूप गीत


ख्वाहिश थी मिरि , 



कभी मेरे लिए 

तेरी आँख से 

एक कतरा क़तरा  निकले 

भीग जाऊँ मैं 

इस क़दर  उसमें 

कि  समंदर भी 

उथला  निकले । 

छोटी नज़्म कहें या क्षणिका बेहद खूबसूरत ख्याल है। 

क्षेपक :

ख्वाइश थी मिरि ,

मौत बन तू आये ,

बादे मर्ग ,

तेरे साथ रहूं। 

विशेष :बादे मर्ग= मौत के बाद। 

छोटी बहर  की अतिथि नज़्म :संगीता स्वरूप गीत  

सहभावी -सहभागी :वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा )


1 टिप्पणी:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

शुक्रिया वीरेंद्र जी ।