गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

ENVIRONMENT Google Doodle celebrates Earth Day 2021 highlighting the importance of planting trees (HINDI )

 देखिये क्या दम्भ है आदमियत का - उस पृथ्वी की बहाली आप करेंगे जो आपका  पोषण करती है। बेटा उस माँ को आरोग्य प्रदान करेगा जो ताउम्र उसका पोषण करती है।  ख़ैर मनाती है। 

 ख़ैर  अक्ल अपनी -अपनी ख्याल अपना अपना । हमारा आरोग्य हमारा होना पृथ्वी से ही है उसके तमाम पारितंत्रों पारिस्थितिक प्रणालियों को होम करने के बाद हम कह रहें हैं पृथ्वी को उसका गौरव माँ का दर्ज़ा लौटाया जाए। 

दम्भियों नासमझों कमअक्लों !पृथ्वी फिर भी रहेगी जीवन झुलस जाएगा ,नौंच लें और हम उसका हरा ओढ़ना ,तार -तार कर दें उसका आँचल। न करें वनों से झाड़झंखाड़  की सफाई  , न  करें अवांछित वानस्पतिक बढ़वार की छंटाई -वन प्रांतर यूं ही झुलसते रहेंगे बरसों बरस जैसा कि बरसों से हो  रहा है। मार्च अप्रैल  में बर्फ़बारी अटल टनल भी कर्फ्यू ग्रस्त -

इब्तिदा-ए -इश्क है रोता है क्या ,

आगे आगे देखिये होता  है क्या। 

कोरोना तो एक नज़ीर है खाते जाओ वन्य पशुओं को ,तोड़ते उजाड़ते जाओ उनके घरोंदे ,बनाते जाओ पेट को  वनैले पशुओं का कब्रिस्तान। सबके सब मारे जाओगे पृथ्वी फिर भी रहेगी। 

कई दशकों से पानी बिक रहा है बरसों से प्राणवायु ऑक्सीजन  (मेडिकल ऑक्सीजन ,उद्योगिक ऑक्सीजन )और अब तो उसकी लूटमार हो रही है राज्यों के बीच। 

अगला युद्ध पानी ही नहीं हवा को लेकर भी हो सकता है। विनाश  के  और भी रास्ते हैं। अंतरिक्ष से कबाड़ गिरता रहा है। समुन्द्र में सुनामी उठती रही है। जलचर भी खाओगे ?

सामने दर्पण के जब तुम आओगे ,

अपनी करनी पर बहुत पछताओगे। 

पर्यावरण संधि  को ठेंगा दिखाने वाले ट्रम्प गए ,ऐसे तमाम लोग आगे भी जाएंगे। पृथ्वी के साथ माँ बेटे का ही रिश्ता चलेगा पनपेगा। 

हरित प्रौद्योगिकी ही अब हमें बचा सकती है। पारितंत्रों में पुन : प्राण फूंक सकती है। सूरज को लेब में कैद करने का दम्भ न भरें। चौबे जी छब्बे जी बन ने की कोशिश में दुबे जी ही  रह जाएंगे। चतुर्बेदी से दुबे जी और आगे बेदी ही रह जाएंगे। संभलिए माँ माफ़ कर देगी। 

महाकाल के हाथ पे गुल होते हैं पेड़ ,

सुषमा तीनों लोक की कुल होते हैं पेड़। 

यहां गुल में श्लेषार्थ है। गुल माने गुम होना  गुल पुष्प को भी कहते हैं। 

वनों का कटान रोकिये नए वृक्ष लगाइये -

पेड़ पांडवों पर हुआ जब जब अत्याचार ,

ढांप लिए वटवृक्ष  तब तब दृग के द्वार। 

बाड़ ही कहीं खेत को न खा जाए। जलवायु के अनुरूप वृक्षा रोपण कीजिये। फास्ट ग्रोइंग वेरायटी कहीं का भी न छोड़ेगी। यूकेलिप्टिस को खेत की बाड़ न बनाये ,भूजल स्तर और भी रसाताल को चला जाएगा। भूजल को संरक्षित करिये। 

पॉलिथीन बेग से कपड़े  का बना थैला भला -सौ दिन काम आये पर्यावरण बचाये। एक अरब लोग यानी दो अरब हाथ १९२ देशों का साथ समवेत प्रयास क्या नहीं कर सकता। सिर्फ २२ अप्रैल को ही नहीं बारह मास मनाइये पृथ्वी दिवस।

रोज़ लगाइये वृक्ष  सींचते रहिये तुलसी ,

फूली नहीं समायें रहें धरती माँ हुलसी। 


 

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