सोमवार, 29 अगस्त 2016

कहु कबीर छूछा घटु बोलै (खाली घड़ा ही बोलता है -थोथा चना बाजे घना )

कहु कबीर छूछा घटु बोलै (खाली घड़ा ही बोलता है -थोथा चना बाजे घना ).


संतु मिलै सुनीऐ कहीऐ। मिलै असंतु मसटि करि रहिऐ। बाबा बोलना किआ कहीऐ।

 जैसे राम नाम रवि रहीऐ। (रहाउ ). (१ )

संतन सिउ बोले उपकारी। मूरख संग बोले झख मारी। (२ )

बोलत बोलत बढ़हि बिकारा। बिनु बोले किआ करहि बीचारा। (३).

कहु कबीर छूछा घटु बोलै। भरिआ होइ सु कबहु न डोलै। (४).

संत से भेंट हो जाए तो उससे चर्चा चलाने बातचीत करने में आनंद मिलता है। असंत की मुलाक़ात दुःखदायी होती है ,ऐसे  में मौन बने रहना ही उपयुक्त है। (१ ). आखिर संतों के पास जाकर क्या चर्चा करें ?वही जिसके द्वारा राम नाम में लीन होना संभव हो। (१ )रहाउ ).

संतों के साथ की हुई बातचीत से उपकार होता है, किन्तु मूर्ख से की चर्चा बेकार जाती है। (२ ).

बेकार बोलने से अवगुण  बढ़ते हैं , किन्तु बिना बोले भी क्या कर सकते हैं ?(३ ).

कबीर जी कहते हैं कि खाली घड़ा ही बोलता है , यदि वह भरा हो तो वह कभी डगमगाता नहीं (यहां ऐसे मनुष्य का संकेत दिया है जो औछा होकर आत्म -प्रचार करता है ,किन्तु सही अर्थों में उसकी परमात्मा तक पहुँच नहीं होती।  (४ ). 






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