कांग्रेस को बड़े बदलाव की ज़रुरत
हाथ की सफाई, आत्ममंथन पर मजबूर हुई कांग्रेस
December 10, 2013
आईबीएन -७ के सूत्रधार आशुतोष जो अपनी लम्बी नमस्कार के लिए जाने जाते हैं वे कांग्रेस की पराजय के
सम्बन्ध में जो परिचर्चा करा रहे थे (१० दिसंबर सांध्य ० ७ :५७ )उसे सुनकर लगा वह परोक्ष रूप से कांग्रेस के
सलाहकार भी बने हुए हैं। ऐसा लगता था कांग्रेस के पुनर -उद्धार में वह अपनी बौद्धिक क्षमता को नियोजित
करना चाहते हैं। परिचर्चा में हिस्सा लेने वाले प्रवक्ता अपनी अपनी पार्टी के हिसाब से अपना पक्ष प्रस्तुत कर
रहे थे। पत्रकार अपनी आभा से संपन्न थे। पर आशुतोष महाशय जहां मन करता हस्तक्षेप कर देते,और
अपनी ओर से प्रश्न के माध्यम से सुझाव प्रस्तुत कर देते। जैसे उन्होंने कहा - आप ये मानते हैं कि कांग्रेस
पार्टी राहुल गांधी की विचारधारा को छोड़कर सोनिया गांधी की विचारधारा का अनुसरण करे। उन्हें कमसे कम
ये तो बताना चाहिए इन दोनों की विचारधारा क्या है और उनमें अंतर भी क्या है ?
भारत के लोग तो यह भी जानना चाहते हैं क्या वे सचमुच दोनों विचार करते हैं। विचारधारा तो उनकी
होती है जो विचारक होते हैं। बार -बार कलफ लगा बाजू चढ़ाने और लिखे हुए को पढ़ देने वाले लोग विचारक
नहीं हुआ करते। जिन्हें ये डर हो कि पर्चा कहीं हाथ से न गिर जाए उनसे विचार की अपेक्षा क्या की जाए।
सन्दर्भ -सामिग्री :कांग्रेस में बड़े बदलाव की ज़रुरत
चर्चा: राहुल जनता से सीधा संवाद नहीं बना पा रहे हैं?
December 10, 2013
हाथ की सफाई, आत्ममंथन पर मजबूर हुई कांग्रेस
December 10, 2013
आईबीएन -७ के सूत्रधार आशुतोष जो अपनी लम्बी नमस्कार के लिए जाने जाते हैं वे कांग्रेस की पराजय के
सम्बन्ध में जो परिचर्चा करा रहे थे (१० दिसंबर सांध्य ० ७ :५७ )उसे सुनकर लगा वह परोक्ष रूप से कांग्रेस के
सलाहकार भी बने हुए हैं। ऐसा लगता था कांग्रेस के पुनर -उद्धार में वह अपनी बौद्धिक क्षमता को नियोजित
करना चाहते हैं। परिचर्चा में हिस्सा लेने वाले प्रवक्ता अपनी अपनी पार्टी के हिसाब से अपना पक्ष प्रस्तुत कर
रहे थे। पत्रकार अपनी आभा से संपन्न थे। पर आशुतोष महाशय जहां मन करता हस्तक्षेप कर देते,और
अपनी ओर से प्रश्न के माध्यम से सुझाव प्रस्तुत कर देते। जैसे उन्होंने कहा - आप ये मानते हैं कि कांग्रेस
पार्टी राहुल गांधी की विचारधारा को छोड़कर सोनिया गांधी की विचारधारा का अनुसरण करे। उन्हें कमसे कम
ये तो बताना चाहिए इन दोनों की विचारधारा क्या है और उनमें अंतर भी क्या है ?
भारत के लोग तो यह भी जानना चाहते हैं क्या वे सचमुच दोनों विचार करते हैं। विचारधारा तो उनकी
होती है जो विचारक होते हैं। बार -बार कलफ लगा बाजू चढ़ाने और लिखे हुए को पढ़ देने वाले लोग विचारक
नहीं हुआ करते। जिन्हें ये डर हो कि पर्चा कहीं हाथ से न गिर जाए उनसे विचार की अपेक्षा क्या की जाए।
सन्दर्भ -सामिग्री :कांग्रेस में बड़े बदलाव की ज़रुरत
चर्चा: राहुल जनता से सीधा संवाद नहीं बना पा रहे हैं?
December 10, 2013
3 टिप्पणियां:
राजनैतिक उथल पुथल के स्पष्ट संकेत
विचारधारा कहाँ है अब नेताओं व मीडिया के पास... बस बतकूचन में जुटे हुए हैं.....
आशुतोष तुम अवढर दानी |
करते रहते व्यर्थ बयानी |
कांग्रेस की ख़तम कहानी |
आफत तो आनी ही आनी |
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