रविवार, 15 जुलाई 2018

नीम्बू नीर पियो मेरे भैया , छोड़ पेप्सी कोक मेरे भैया

पेप्सी बोली सुन कोककोला ,

भारत का इंसान है  भोला।

विदेश से मैं आईं हूँ ,

मौत साथ में लाईं हूँ।

लहर नहीं ज़हर हूँ मैं ,

गुर्दों पर गिरता कहर  हूँ मैं।

पीएच मान मेरा दो पाइंट सात ,

गिरें जो मुझमें गल जाएँ दांत।

ज़िंक आर्सेनिक लेड हूँ मैं ,

काटे आँतों को वो ब्लेड हूँ मैं।

 दूध मुझसे बहुत  ,सस्ता है ,

पीये मुझे जो उसकी  हालत खस्ता है।

५४० करोड़ कमाती हूँ ,

विदेश में ले जाती हूँ।

मैं पहुंची हूँ आज वहां पर ,

पीने को नहीं जल भी जहां पर।

महंगा पानी मैं सस्ती हूँ ,

रहती अपनी मस्ती मैं हूँ।

छोड़  नकल  अब अक्ल से जियो ,
'
जो भी पियो भाई सम्भलके पियो।

नीम्बू नीर पियो मेरे भैया ,

छोड़ पेप्सी कोक मेरे भैया।

पार लगेगी तुमरी नैया।

सबका है यहां कृष्ण खिवैया।








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