गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

प्याऊ तुड़वाने के सबब

प्याऊ तुड़वाने के सबब

जीवन के प्रवाह के बीच जल एक सेतु है। प्याऊ भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। इसका किसी मंदिर मस्जिद गुरद्वारे से संबंध न होकर जीवन की निरंतरता से जीवन के प्रवाह से रिश्ता है। कच्चे घड़ों में पानी को सुरक्षित तरीके से ढक के  आज भी दुकानों के रास्तों के आगे रख दिया जाता है ,क्या दिल्ली सरकार उन घड़ों को भी तुड़वाएगी ?

जब जल की कमी से जीवन ही  नहीं रहेगा तब चांदनी चौक के विकास का मतलब क्या  रह जाएगा। चांदनी चौक इलाके में गुरद्वारे की  बाहरी  छबील गिरवाने की बात हो या दिगंबर जैन लालमन्दिर तथा गौरी शंकर मंदिर की प्याऊ को ज़मींदोज़  करने की बात हो , केजर बवाल की सोची समझी चाल का नतीजा लगते हैं। अल्का लम्बा का दवाब रंग लाया है तभी तो हनुमान मंदिर और भाई मतिदास स्मारक भी अब स्मृति शेष होने हैं।

कहीं ये औरंगज़ेब के ज़ुल्मों के प्रतीकों को मटियामेट करने की साज़िश तो नहीं हैं जो केजरबवाल गैंग ने इस्लामिक कटटरपंथियों  ,इस्लामी जेहादियों की शह पर  रची हो।

आखिर भाई मतिदास स्मारक को तुड़वाने का क्या मतलब लगाया जाए ?

दिल्ली में तो अवैध सीढ़ियों मस्जिदों को जाल रास्तों के क्या नै दिल्ली रेलवे स्टेशन के रास्ते में आ रहा है। है किसी गैंगस्टर में हौसला हनुमान मंदिर की  तरह उसे भी हटाने का ?

न्यायपीठ तो कल जल को आईपीएल से ज़रूरी बतला चुकी है। ये प्याऊ पे शामत  कैसे आ गई ?किसका दवाब रंग दिखा गया ?  

1 टिप्पणी:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

दिल्ली वाले जागेंगे क्या ... लगता तो नहीं ...
कजरी बाबा के पास नस है मुफ्त में खाने वाले अधिकाँश नागरिकों की ... कुछ पानी बिजली मुफ्त में बांटो वोट लो ...