मंगलवार, 1 दिसंबर 2015

सावधान (१ )मार्क्सवादी बौद्धिक फासिस्टों से ( २)विघटन वादी कांग्रेस से जो हमेशा देश को तोड़ने की चाल चलती है


यहीं मौजूद हैं वे लोग आपके आसपास ही बैठे हैं इस सदन में जिनके कुनबे ने इस देश का विभाजन करवाया था। आरएसएस जिसे ये सभी माननीय और माननीया पानी पी पी कर कोसते हैं , विभाजन के हक़ में नहीं था। ये ही वे लोग हैं जिन्होनें  ने १९७५ में देश पर दुर्दांत आपातकाल थोपा था। अ -सहिष्णुता क्या होती है तब देश ने पहली बार जाना था। यही वे लोग हैं जिन्होनें १९८४ में सिखों का नरसंहार करवाया था -जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती कांपती ही है। बाद नरसंहार के बोलने वाले यही लोग थे। 

आज ये देश के सामने कृत्रिम अ -सहिष्णुता का हौवा खड़ा करके देश के परम्परागत सौहार्द्र को आग लगाना चाहते हैं। 
ये ही स्तर था ऐसे ही वेदना भरे स्वर थे आदरणीया गृहमंत्री के जिन्हें सदन ने पूरी गंभीरता से सुना। 

सावधान 

(१ )मार्क्सवादी बौद्धिक फासिस्टों से 

( २)विघटन वादी कांग्रेस से जो हमेशा देश को तोड़ने की चाल चलती है। 

( ३) जातिपरस्त ,मज़हब परास्त गिरोह से जो लबारी लालू लालों के हांकने से ताकत पा रहा है। ऊपर लिखित दोनों ताकतें जिसका पल्लवन कर रहीं हैं ,इन्हें पाकिस्तान का भी आशीर्वाद प्राप्त है जहां जाकर ये अपना रोना रोते  हैं। मोदी को हटाओ ,हमें  वापस लओ तो बात बने। संवाद की टूटी हुई  कड़ियाँ आपके साथ जुड़ें।

(यही है 'इनके मन की बात ')

माननीय राष्ट्रपति जो ने आज पूरे देश को चेताया है। वे मोदी के राष्ट्रपति नहीं है। उन्होंने अमळ होने की बात की है मन का मल निकाल कर स्वच्छ भारत बनाने की बात की है। इस गंभीर वक्तव्य को भी एक चेपी की तरह ये ताकतें मोदी के माथे पे चस्पां करना चाहतीं हैं। मोदी तो देश के हालात उन्हें रिपोर्ट करते हैं। उनसे मशविरा करते हैं। वे तो मनमोहन सिंह जी की भी अनदेखी नहीं करते। उनके  अनुभवों से देश को आगे ले जाना चाहते हैं।  

कोई टिप्पणी नहीं: