शनिवार, 22 मार्च 2014

परग्रहों का अन्वेषण शुरू होगा २०२४ से

रहने लायक जीवन को आसरा देने वाले परग्रहों का बाकायदा अन्वेषण 

शुरू होगा २०२४ से 

सौरमंडल के बाहर आवासयोग्य ग्रहों की पड़ताल विधिवत २०१४ से 

आरम्भ होगी।इनमें परग्रहों के गिर्द परिक्रमारत पृथ्वी सरीखे धरती से 

छोटे बड़े सभी किस्म के ऐसे परग्रह हो सकते हैं जो  हमारे सौरमंडल 

से बाहर किसी सितारे के गुरुत्व की डोर से बंधे होंगें। असल बात है परग्रह 

की अपने पेरेंट सितारे से सही दूरी ,सही गुरुत्व ,जल की मौज़ूदगी और 


जीवन क्षम जीवन सह्य तापमान।  इसमें योरोपीय स्पेस एजेंसी मिशन 

बड़े पैमाने पर शिरकत करेगा। पार -सौरमंडल ऐसे परग्रहों  की निशानदेही 

की जायेगी जो सौरेतर किसी सितारे के आदेश पर नर्तन और भ्रमण करते 

होंगें।पितृ सितारे से जीवन के अनुकूल तापमान और दूरी बनाये हुए। 

असल बात है एक आवासक्षम क्षेत्र जहां पानी हो  जीवन के लिए आवश्यक 

नमी और धुर तापमान अंतर न हों अधिकतम और न्यूनतम तापमानों में। 
बारहा अनुमान लगाया गया है प्रत्येक दस सितारे के पीछे एक 

आवासयोग्य परग्रह अंतरिक्ष के किसी न किसी हिस्से में मौज़ूद है लेकिन 

हमारी पहुँच की बाहर छिपा हुआ है। 

प्रेक्षणीय अंतरिक्ष में टेन टू ट्वेंटीथ्री स्टार्स हैं बोले तो हंड्रेड थाउज़ेंड 
                                                               २३ 
मिलियन मिलियन मिलियन स्टार्स( १०        स्टार्स ). 

एक नीहारिका (गैलेक्सी )में औसतन २०० अरब सितारें हैं और औसतन 

एक हज़ार 

अरब नीहारिकाएं प्रेक्षणीय हैं।लेकिन प्रेक्षण योग्य सृष्टि इतनी भर नहीं है। 
श्रीमदभागवत पुराण में भगवान वेदव्यास ने लिखा है ऐसे अनंत कोटि 

ब्रह्माण्ड हैं। अनंत कोटिपरग्रह भी हैं जहां जीवन पर जब भी संकट आता 

है कृष्ण किसी न किसी रूप में अवतरित होतें हैं। कभी राम बनके साथ में 

अपना स्वांश लक्ष्मण भारत शत्रुघन के रूप में लिए रहते हैं कभी कृष्ण 

बनके बलराम के साथ आते हैं। 

कृष्ण ही वह आदिमअणु (प्राईमिवल एटम )हैं जिससे गोचर सृष्टि उद्भूत 

हुई है। यह प्रेक्षणीय सृष्टि कृष्ण की एक्सटर्नल एनर्जी है ,बहिरंगा शक्ति 

है मिथ्या (माया )नहीं है यह कृष्ण का अंश है फिर मिथ्या कैसे हो सकती 

है।अलबत्ता घोर उपभोक्ता दृष्टि लिए रजस गुण का प्रभुत्व लिए लोगों 

के लिए यह ज़रूर मिथ्या (माया )है।  छलना है। 

सृष्टि का विस्तार कृष्ण ही हैं।उसका अंत भी कृष्ण से उद्भूत हो कृष्ण में 

ही तिरोहित हो जाता  है गोचर -अगोचर सृष्टि के रूप में।  

परग्रहों  के इस अन्वेषण में ब्रितानियों की अहम भूमिका रहेगी। 

ग्रहों का पारवहन (पारगमन )और सितारों का दोलन बोले तो प्लेनेटरी 

ट्रांजिट्स एंड ओसिलेशन्स आफ स्टार्स (PLANET) दो अवधारणाओं पर 

काम करेगा :
(१) किन हालातों में ग्रह बनते हैं या उनके निर्माण के अनुकूल क्या 

परिस्थितियां होती हैं ?

(२)जीवन कैसे फूटता है विषम परिस्थितियों के बीच से ?और सौर मंडल 

कैसे अपना कारोबार कार्य व्यापार संचालित करता है। 

'प्लेनेट' का मुख्य काम होगा नज़दीकी सितारों की निगहबानी ,उनकी 

चमक में आने वाले बदलाव खासकर उस समय जब उनका पुत्र (परग्रह 

)उनके सामने से होकर गुज़रेगा (पारगमन करेगा ). रौशनी को रोकेगा। 

प्लेटो मिशन ३४ शक्तिशाली दूरबीनों और कैमरों की मदद से तकरीबन 

दस लाख सौरेतर सितारों की सम्भावित परिक्रमा करते परग्रहों का 

अन्वेषण करेगा। 


Hunt for Habitable Planets From 2024

A massive search for habitable planets orbiting alien stars will be launched in 2024.


The European Space Agency mission will identify and study thousands of exoplanetary systems (those orbiting a star other than the Sun) with stress on discovering Earthsized planets and super-Earths in the habitable zone of their parent star — the distance from the star where liquid water could exist. 

Britain will play a leading role in the search with the planet-hunting mission will seeing strong involvement from several UK institutes, with Don Pollacco from the University of Warwick heading the consortium.

PLATO (Planetary Transits and Oscillations of stars) will address two themes — the conditions for planet formation and the emergence of life and how does the solar system work. 

It will monitor nearby stars, searching for dips in brightness as their planets transit in front of them, temporarily blocking out starlight. By using 34 telescopes and cameras, PLATO will search for planets around up to a million stars.

Hunt for Habitable Planets From 2024





2 टिप्‍पणियां:

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुंदर जानकारी.अन्य ग्रहों पर जीवन के बहुत हलके संकेत हैं.ऐसे में यह कदम काफी खर्चीला होगा.लेकिन विज्ञान के लिए यह सफलता होगी.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कहते हैं कि यदि १२-१३ नियतांक यदि स्थिर नहीं होते तो पृथ्वी पर जीवन न होता।