गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

सावधान !स्तन पान से भी पहुँचती है शिशु तक केफीन .

सावधान !स्तन पान से भी पहुँचती है शिशु तक केफीन .
क्या आपका शिशु रात  को सो नहीं पा रहा है ? नींद के लिए तरस रहा है ?यदि ऐसा है तो कोफी का सेवन कम कर दीजिए बेहतर हो मुल्तवी कर दें .रिसर्चरों ने पता लगाया है स्तन पान के ज़रिये भी शिशु तक केफीन पहुंचता है .माँ के दूध में यह पैठ बना लेता है .
न्यूयोर्क के रोचेस्टर यूनिवर्सिटी की एक टीम के अनुसार स्तन पान करवाने वाली माताओं का बराबर चाय कोफी और सोफ्ट ड्रिंक्स (सोडा ,कोला पेय आदि पीना )यहाँ तक की चोकलेट का सेवन इनके खून में उद्दीपक (STIMULANT ),उत्तेजक नशीले पदार्थ का स्तर बढ़ा देता है .
ऐसे में 'स्तन- पानी' शिशु उत्तेजित हो ,बे -चैनी महसूस कर सकतें हैं . चिडचिडे हो सकतें हैं उनींदे हो सकतें हैं नींद के लिए छटपटाते रह सकतें हैं क्योंकि स्तन पान के ज़रिये यह उद्दीपक उन तक पहुँचने लगता है .
जीवन के खासतौर पर पहले पखवाड़े (पहले दो हफ़्तों )में इनके लिए इसकी गिरिफ्त से बाहर आना शरीर से इसकी निकासी कर पाना नामुमकिन हो जाता है .ऐसे में इसका  जमा होते चले जाना ,सांद्रण ,एकत्रण बद से बदतर लक्षण पैदा कर सकता है .

सन्दर्भ -सामिग्री :Breastfeeding transfers caffeine to child :Study/THE TIMES OF INDIA,MUMABI ,FEB 23,2012 P17.
राम राम भाई !  राम राम भाई !
रोजाना टूथ ब्रश करने की एक और वजह .
कुछ भी खाने के बाद दांत साफ़ करना कुल्ला करना महज़ मुख स्वास्थ्य बनाए  रखना नहीं है उससे भी आगे  निकलके 'दिमाग की झिल्ली में सूजन  के गंभीर रोग मेनिंनजाईतिस  से भी बचाए रह  सकता है .
Brush your teeth to stave off deadly brain disease/TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA,MUMBAI,FEB23,2012,P17.
अलबत्ता मुख दुर्गन्ध ,  बेड ओडर ,दांतों को खोखला   होने तथा   अनेक   जबड़ों   की   बीमारियों   से   तो   बचाता   ही       है   भोजन    और   नाश्ते   के   बाद   ब्रश   करना .
स्विट्ज़रलैंड के रिसर्चरों ने पता लगाया है ,मुख में आम तौर पर पाए जाने वाले एक जीवाणु और दिमाग की झिल्ली की सूजन की बीमारी में एक अंतर -सम्बन्ध है .
Meningitis is a bacterial infection of the membranes covering the brain and spinal chord ,the Daily Telegraph reported.
ज्यूरिख  के रिसर्चरों ने पता लगाया है ,एक अभिनव जीवाणु जिसकी हाल ही में शिनाख्त हुई है 'Streptococcus tigurinus' मष्तिष्क  शोथ  से ग्रस्त मरीजों के खून में मौजूद रहता है .अलावा इसके 'Spondylodiscitis'or inflammation of the spine तथा दिल की बीमारी 'Endocarditis' से  ग्रस्त मरीजों में भी यह प्रगट हुआ है .
गंभीर रोग कारक है यह जीवाणु .ब्लीडिंग गम्स (पायरिया ,मसूढ़ों से खून जाना )के ज़रिये भी यह रक्त संचरण प्रणाली में दाखिल हो सकता है .बेशक इसका खासुलखास रिस्क फेक्टर अभी जाना जाना शेष है .
अलावा   इसके   दिमागी   झिल्ली   में   सूजन   की   और   भी   वजहें  हो  सकतीं  हैं  .
Meningitis ,the swelling of the tissue around the brain ,can be caused by bacteria,viruses or other micro-organisms.
राम राम भाई !  राम राम भाई !
जिम में घंटों बिताने के बनिस्पत तीन मिनिट की गहन तीव्रता  कसरत काफी है ?
जिम में घंटों व्यायाम करते रहने वर्क आउट्स में समय बिताने से बेहतर क्या आज की तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी के अनुरूप सिर्फ तीन मिनिट का ज़ोरदार (व्यक्ति विशेष की अधिकतम क्षमता के साथ किया गया व्यायाम )अतिरिक्त चर्बी को ठिकाने लगाने के लिए ज्यादा कारगर है ?
Just three minutes of exercise a week is key to fitness/  TIMES OF INDIA ,MUMBAI/FEB 22,2012.P17.
(British researchers claim that the secret to staying slim is short bursts of intense exercise -known as high intensity interval training (HIT) .' and as such a session once a week is far more effective at burning fat than slogging away for hours in gym.
साइंसदानों  के  मुताबिक़ HIT वसा को जलाने वाले हारमोनों का स्रावी तंत्र से स्राव करवाता है .इतना ही नहीं यह खून में घुली शक्कर (glucose ) को निकालकर पेशीय ऊतकों तक पहुंचाता है जहां यह ग्लूकोज़ ऊर्जा के रूप में जल खप जाता है .
अलावा  इसके  अधिकाधिक तीव्रता का अल्पकालिक ज़ोरदार व्यायाम भूख का शमन करता है .जबकि देर तक किया गया व्यायाम क्षुधा वर्धक साबित होता है .
इसका मतलब यह हुआ जिम में देर तक व्यायाम करते रहने के बरक्स तीव्रता लिए अल्पकालिक तेज़ कदमी ज्यादा लाभदायक है शरीर से अवांछित चर्बी उतारने में .अनहेल्दी ट्रीट्स,दावत  के प्रलोभन से भी ऐसा करने वाले बचे रहेंगें  बरक्स उनके जो देर तक पसीना निकालते हैं मानव चक्की पर इतर मशीनों उपकरणों पर .जब आदमी पैदा हुआ था ये मशीनें नहीं थीं .
बिर्मिन्ग्हम और नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों का यही कहना बूझना है .
तीव्र व्यायाम पेशियों द्वारा ग्लूकोज़ की खपत को बढाने में विधाई भूमिका निभाता है .और ऐसा देखते ही देखते होने लगता है यही कहना है इस शोध के अगुवा का .
तेज़ रफ़्तार व्यायाम से आप ऐसे हारमोनों का स्राव करतें हैं जो चर्बी सरलीकृत रूपों में फ़टाफ़ट तोड़ने लगतें हैं .व्यायाम के बाद भी यह चर्बी टूटती रहती है सरलीकृत रूपों में .
इन्द्युरेंस एक्सरसाइज़ के बरक्स माहिरों ने इस विधि को कहीं कारगर बतलाया है .वक्त की तंगी के इस दौर में इससे बढ़िया और क्या बात हो सकती है .भगवान् करे माहिरों का कहना सच साबित हो .कल कोई इसे गलत साबित न कर दे .
राम राम भाई !  राम राम भाई !
 बस एक गोली रोज़ और परेशां करने वाले हिप पैन से राहत .
एक मेडिकल कंडीशन होती है जिसमें जांघ की हड्डी का उपरला(Head of the femur) सिरा धीरे धीरे मृत होने लगता है .ऐसा यहाँ तक रक्तापूर्ति के निलंबित होने से होता है .This is death of a segment of a bone .चिकित्सा शब्दावली में इस स्थिति को अवेस्क्युअलर  नेक्रोसिस या फिर ओस्टियोनेक्रोसिस कहा जाता है .यह एक आम विकार है जो अकसर २०-५० साल की   उम्र के लोगों को अपना निशाना बनाता है .जोड़ों की बदली के कुल मामलों में १० %इसी ओस्टियो नेक्रोसिस से ताल्लुक रखतें हैं .५-२५ %मरीज़ दीर्घावधि कोर्तिकोस्तीरोइड्स का सेवन करने के बाद इस स्थिति में चले आतें हैं .
लाक्षणिक चिकित्सा चलती है .लगातार परेशांन करने वाला हिप पैन बर्दाश्त के बाहर हो जाता है .अश्थी तक रक्तापूर्ति न हो पाने के कारण यह स्थिति पैदा हो जाती है .
वजह बनतें हैं किसी प्रकार का सदमा (Trauma),स्तीरोइड्स ,एल्कोहल एब्यूज (शराब की लत ),कई आनुवंशिक विकार ,तकरीबन ५० %मामलों में यही कारण उत्तरदाई होतें हैं .इस स्थिति के लिए .
इलाज़ न करवा पाने से पैदा हो जाती है हिप आर्थ्राइतिस(Hip arthritis).
हर  साल एक लाखसे भी ज्यादा  लोग एवेस्क्युलर नेक्रोसिस की चपेट में आजातें हैं . अकेले मुंबई महानगरी में इसके २०,०० ० से भी ज्यादा नए मामले सामने आ रहें हैं .
हवा का ताज़ा झोंका भी वहीँ से आया है इस नेगिंग हिप पैन से निजात का .बस एक गोली रोज़ और परेशां करने वाले हिप पैन से राहत .
A pill a day can keep hip pain away/TIMES TRENDS ,THE TIMES OF INDIA,MUMBAI ,FEB 22,2012,P9
बाज़ी मारी है इस दिशा में माहिम स्थित पी डी हिंदुजा अस्पताल के माहिरों के एक दस साला अध्ययन ने .अब सर्जरी करवाना ज़रूरी नहीं रह गया है ओस्टियोनेक्रोसिस से ग्रस्त होने पर .जैसे प्रोस्तेटिक एनलार्जमेंट के मामले में सिर्फ एक गोली रोजाना काफी रहती है 'Urimax -0.4mg'(Tamsulosin Hydrochloride IP...400mcg as modified released pellets)वैसे ही अवेस्कुलरनेक्रोसिस के समाधान के लिए 'Bisphosphonate 'को कारगर पाया गया है .इसे तकरीबन ४० मरीजों पर आजमाया गया .दस साल तक यह दवा इनके दर्द का बराबर समाधान प्रस्तुत करती रही है .अध्ययन 'Journal of Arthroplasty' के ओक्टूबर २०११ अंक में प्रकाशित हो चुका है .इन तमाम मरीजों पर लगातार दस सालों तक नजर रखी गई थी .
इन्हें सर्जरी की ज़रुरत नहीं पड़ी है .
Avascular necrosis is a condition where the femoral head (upper most part of a thigh bone )stops getting blood and causes the bone to collapse slowly.As the bone dies the patient experiences excruciating pain and limited or no movement.
इस स्थिति से बाहर आने के लिए अब तक शल्य चिकित्सा ही समाधान था .'Surface replacement'या फिर 'टोटल हिप रिप्लेसमेंट 'का मतलब होता था डेढ़ से तीन लाख रूपये की खर्ची .हरेक के पास कहाँ होता है इतना पैसा भारत में ?
दस साल पहले डॉ संजय अग्रवाल ने पता लगाया ,ओस्टियोपोरोसिस के इलाज़ में प्रयुक्त दवा 'बिसफोस्फोनेट 'एवेस्कुलर नेक्रोसिस ऑफ़ हिप 'के प्रबंधन में भी कारगर रहती है .अब तक ४०० मरीज़ इस दवा से लाभान्वित हो चुकें हैं .
एक महीने में कुल खर्च आता है १५० रुपया .नै रक्त कोशायें पनपने लगतीं हैं इस दवा के स्तेमाल से और बस 'bone colapse 'से बचाव हो जाता है .
डॉ .अग्रवाल के पास ज्यादातर मरीज़ रोग की बढ़ी हुई अवस्था में ही पहुँच सकें हैं .तब जब शल्य ही एक समाधान था .
डायमंड विक्रेता जिग्नेश की उम्र उस वक्त ४३ वर्ष थी .२००६ में उन्हें रोग निदान किया गया 'एवेस्कुलर नेक्रोसिस ऑफ़ हिप 'वह बामुश्किल ही चल पाते थे .डॉ .अग्रवाल के इलाज़ के बाद से आप अपनी खोई हुई क्षमता प्राप्त कर सकें हैं .चलने फिरने में पूर्ण  समर्थ हैं .
आप एक दर्शनार्थी के रूप में हर बरस गुजरात के 'Palithana temple'3800 सीढियां चढ़के पहुँचते हैं .इलाज़ के दरमियान किसी भी मरीज़ ने दवा के गंभीर पार्श्व प्रभावों से आजिज़ आने की शिकायत नहीं की है .बेशक कुछ ने पेशियों में होने वाले आम दर्द और चक्कर आने भर की शिकायत की है .शुरूआती चरण में दवा के असर बेहद अच्छे रहें हैं .दवा ने ज्यादा कारगर तरीके से काम किया है .  
नुश्खे सेहत के :
बालों की रूसी सी छुटकारे के लिए रात को ताज़ा घी   कुंवार  ,अगरु      Aloevera gel  बालों  में मलके सोइए .सुबह बालों को धौ  डालिए .
To get rid of dandruff ,apply fresh aloevera gel overnight .Wash in the morning.   
चाय  में  छोटी  इलायची  मिलाकर  पीने  से  शरीर  में  ऑक्सीटोसिन का  स्राव  होता  है     जो  अवसाद  कम  करने में  सहायक  सिद्ध  होता  है  .

Adding ellaichi (cardamom)to tea releases oxytocin that helps lift depression.


6 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

स्तनपान बच्चों के लिए निहायत जरूरी है,
बहुत बढ़िया,उपयोगी अच्छी प्रस्तुति,.....

MY NEW POST...आज के नेता...

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सही कहा । इसीलिए आजकल ब्रेस फीडिंग पर विस्तार से ट्रेनिंग का कार्यक्रम चलाया जा रहा है ।
विसे पहले माएं ही बच्चे को मुघ्ली घुट्टी पिलाकर सुला देती थी ।

Rachana ने कहा…

achchhi jankari
rachana

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत बढ़िया,उपयोगी अच्छी प्रस्तुति| धन्यवाद।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सारी बातें उपयोगी हैं.... आभार

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

काफी कम पीने से बच्चे को अच्छी नींद आयेगी...बहुत उपयोगी।