शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

कोरोना ग्रस्त होने के अनन्तर भी वह लिखने से नहीं चूके . उनका दर्शन था कर्म प्रारब्ध से आगे है। यदि इस जन्म का पुरुषार्थ (प्रयास ,एफर्ट )प्रबल है तो वह कल के पुरुषार्थ को पटखनी देकर नया प्रारब्ध लिख सकता है।


साहित्य का एक और सूरज अस्त, कुंवर बेचैन साहब का निधन

kunwar bechain dies of corona
साहित्य का एक और सूरज कोरोना के चलते अस्त हो गया। गुरुवार को कुंवर बेचैन का निधन हो गया, वह लंबे समय से संक्रमण से लड़ रहे थे। हिंदी ग़ज़ल और गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर कुंवर बेचैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में हुआ था। मुरादाबाद से उनका विशेष लगाव था। चंदौसी के मेला गणेश चौथ और मुरादाबाद के जिगर मंच और कलेक्ट्रेट मैदान के कवि सम्मेलनों और मुशायरों में वह हर वर्ष आते थे।
कुंवर बेचैन साहब ने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। कवितायें भी लिखीं, ग़ज़ल, गीत और उपन्यास भी लिखे। 

बेचैन' उनका तख़ल्लुस है असल में उनका नाम डॉ. कुंवर बहादुर सक्सेना है। बेचैन जी गाजियाबाद के एम.एम.एच. महाविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष रहे। उनका नाम सबसे बड़े गीतकारों और शायरों में शुमार किया जाता था। उनके निधन को साहित्य जगत को एक बड़ी क्षति पहुंची है। व्यवहार से सहज, वाणी से मृदु इस रचानाकार को सुनना-पढ़ना अपने आप में अनोखा अनुभव है। उनकी रचनाएं सकारात्मकता से ओत-प्रोत हैं।

'पिन बहुत सारे', 'भीतर साँकलः बाहर साँकल', 'उर्वशी हो तुम, झुलसो मत मोरपंख', 'एक दीप चौमुखी, नदी पसीने की', 'दिन दिवंगत हुए', 'ग़ज़ल-संग्रह: शामियाने काँच के', 'महावर इंतज़ारों का', 'रस्सियाँ पानी की', 'पत्थर की बाँसुरी', 'दीवारों पर दस्तक ', 'नाव बनता हुआ काग़ज़', 'आग पर कंदील', जैसे उनके कई और गीत संग्रह हैं, 'नदी तुम रुक क्यों गई', 'शब्दः एक लालटेन', पाँचाली (महाकाव्य) कविता संग्रह हैं।

कवियों में शोक
उनके निधन पर उनकी समकालीन गीतकार डॉ. मधु चतुर्वेदी ने दुख प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि कुंवर जी का जाना बहुत दुखद है। हिंदी गीतों की वाचिक परंपरा के हस्ताक्षर के जाने से आए अवकाश को भरा नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि लंदन के हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में दो भारतीय गीतकारों के सम्मान हुआ था। मेरा सौभाग्य है कि वह मैं और कुंवर जी थे। उनके साथ अनेक कार्यक्रम और यात्राएं की, जो अब यादों में हैं। 

कुंवर बेचैन अमर उजाला काव्य के भी कार्यक्रम का हिस्सा रहे हैं। पढ़ते हैं उनकी कुछ रचनाएं

जिस मृग पर कस्तूरी है

मिलना और बिछुड़ना दोनों
जीवन की मजबूरी है।
उतने ही हम पास रहेंगे,
जितनी हम में दूरी है।

शाखों से फूलों की बिछुड़न
फूलों से पंखुड़ियों की
आंखों से आंसू की बिछुड़न
होंठों से बांसुरियों की
तट से नव लहरों की बिछुड़न
पनघट से गागरियों की
सागर से बादल की बिछुड़न
बादल से बिजुरियों की
जंगल जंगल भटकेगा ही
जिस मृग पर कस्तूरी है।
उतने ही हम पास रहेंगे,
जितनी हम में दूरी है।

सुबह हुए तो मिले रात-दिन
माना रोज बिछुड़ते हैं
धरती पर आते हैं पंछी
चाहे ऊंचा उड़ते हैं
सीधे सादे रस्ते भी तो
कहीं कहीं पर मुड़ते हैं
अगर हृदय में प्यार रहे तो
टूट टूटकर जुड़ते हैं
हमने देखा है बिछुड़ों को
मिलना बहुत जरूरी है।
उतने ही हम पास रहेंगे,
जितनी हम में दूरी है।

ग़ज़ल

देखते ही देखते पहलू बदल जाती है क्यूं
नींद मेरी आंखों में आते ही जल जाती है क्यूं

हाथ में 'शाकुंतलम' है और मन में प्रश्न है
याद की मछली अंगूठी को निगल जाती है क्यूं

ऐ मुहब्बत, तू तो मेरे मन में खिलता फूल है
तुझसे भी उम्मीद की तितली फिसल जाती है क्यूं

इक सुहानी शाम मुझको भी मिले, चाहा अगर
आने से पहले ही फिर वो शाम ढल जाती है क्यूं

ये सुना था मौत पीछा कर रही है हर घड़ी
ज़िन्दगी से मौत फिर आगे निकल जाती है क्यूं

मेरे होठों पर हंसी आते ही गालों पर मेरे
आंसुओं की एक सन्टी सी उछल जाती है क्यूं

आंसुओं से जब भी चेहरे को निखारा ऐ 'कुंअर'

ज़िन्दगी चुपके से आकर धूल मल जाती है क्यूं 

गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

इस तिकड़ी (राहुल -प्रियंका -सोनिया )को किसी ने आज तक वैक्सीन लगवाते नहीं देखा है। किसी ने देखा हो तो कृपया बतलाये।

स्वास्थ्य सबसे बड़ी दौलत है ,संतोष सबसे बड़ा खज़ाना है और आत्मविश्वास सबसे बड़ा मित्र है                                                      -लाओत्से 

दोस्तों ये वक्त है आस्तीन के साँपों तुच्छ और टुच्ची राजनीति करने वाले नेहरुवियन अवशेषी कुनबे को पहचानने का। इन्हें हर स्वदेशी चीज़ से चिढ़ है चाहे मामला देश के शीर्ष साइंसदानों के अनथक प्रयासों के बाद रिकॉर्ड समय में प्रस्तुत की गई वैक्सीन का हो ,हमारे देश के शीर्ष शौर्य के प्रतीकों जाबांजों के  स्वाभिमान का हो या कुछ और। मोदी ग्रंथि से ग्रस्त इन लोगों को यह इल्म ही नहीं है यह भारत राष्ट्र की अवमानना करते करते खुद अपनी ही नज़रों में गिर चुके हैं। इस ज़मानती  अवशेषी कुनबे के पास अब खोने के लिए कुछ नहीं है अपनी भंडास निकाल रहे हैं देश और देश वासियों के साथ। 

इस तिकड़ी (राहुल -प्रियंका -सोनिया )को किसी ने आज तक वैक्सीन लगवाते नहीं देखा है। किसी ने देखा हो तो कृपया बतलाये। 

अडानी -अम्बानी को दिन रात पानी पी पी कर कोसने वाले इन दिनों क्या कर रहें हैं किस कदर बौखलाए हुए हैं जबकि पूरा विश्व ,विकसित दुनिया भारत को संकट की इस घड़ी  में टेका लगाने को आगे आये हैं ये तिकड़ी लाशों के सर पे चढ़के लाशों की सीढ़ी बनाके देश में अव्यवस्था और बे -चैनी फैलाने की जी जान से कोशिश कर रहें हैं। 

रवीश कुमार सोच के कई मसीहा पत्रकार इनकी इस मुहिम में शामिल हैं। औरों को 'तू' खुद को 'आप' कहलवाने वाले स्वामी असत्यानन्द केजरीवाल भी इस षड्यंत्र में शामिल हैं। वह और उनके तमाम सांसद ,विधायक अपनी शेव बनाके साबुन अन्य राज्यों तथा केंद्र के  मुंह पे फेंक रहें हैं। 
भारत -धर्मी समाज सब देख रहा है दर्ज़ कर रहा है अपने मानसी सीसी कैमरों पर. २०२२ में मज़ा चखायेगा इन शातिर राजनीति के धंधे बाज़ों को।   


नयी दिल्ली, (भाषा) रिलायंस फाउंडेशन ने बुधवार को कहा कि वह गुजरात के जामनगर में ऑक्सीजन आपूर्ति के साथ 1,000 बिस्तरों वाला कोविड-19 अस्तपाल बना रहा है। इस अस्पताल में इलाज की सुविधाएं मुफ्त मिलेंगी।

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फाउंडेशन ने एक बयान में कहा कि 400 बिस्तरों वाला कोविड केयर सेंटर एक सप्ताह के भीतर जामनगर में गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज एंड हास्पिटल परिसर में स्थापित किया जाएगा। उसके बाद 600 बिस्तरों का केंद्र जामनगर में ही दूसरे केंद्र पर अगले दो सप्ताह में बनाया जाएगा।

Saudi Arabia sends oxygen to India to overcome acute shortage 


Saudi Arabia sends oxygen to India to overcome acute shortage

The urgent supply shipment is being undertaken in coordination with India’s Adani group and Linde company. (Twitter: Indian Embassy Riyadh)  

रविवार, 25 अप्रैल 2021

यही तिकड़ी है जो देश में मानसिक संक्रमण फैला रही है जो कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है। कोरोना तो चला जाएगा ये ट्रॉलर यूं ही भारत धर्मी समाज की छाती पे मूंग दलेंगे


Image result for Mamta Banrji and Rahul Gandhi images
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बेगमापा -राहुल- केजर बवाल को यदि मिला दिया जाए तो एक नया डिजिटल शख्स पैदा हो जाएगा जिसे ट्रोल या ट्रॉलर  भी कहा जाएगा। ये भले देखने में तीन दिखलाई देते हों काम तीनों का एक ही है ट्रॉल्लिंग। तमाम संविधानिक संस्थाओं के खिलाफ यह न सिर्फ भ्रम फैला रहें हैं अफवाहें भी फैला  रहें हैं। इनमें से एक बेगम आपा ट्रोल बनर्जी दो मई से पहले ही साबित कर रहीं हैं कि वह डोनाल्ड ट्रम्प का फीमेल संस्करण हैं। 

आप ने दो टूक कहा है बिना लारा लप्पा के मैं चुनाव आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाऊंगी। टिकैत के संरक्षक शेष दो की बात बाद में करेंगे पहले स्मरण कीजिये टिकैत को जो किसी की नहीं मानते किसी को नहीं मानते न कोरोना को न कोर्ट को।ना कर्फ्यू को।

यही तिकड़ी है जो देश में  मानसिक संक्रमण फैला रही है जो कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है। कोरोना तो चला जाएगा ये ट्रॉलर यूं ही भारत धर्मी समाज की छाती पे मूंग  दलेंगे। 

दोस्तों इनके खिलाफ खबरदारी ज़रूरी है आइंदा आने वाले विधानसभाई चुनाव २०२२ में भी इन्हें ज़ोरदार पटखनी देनी है। 

दोस्तों चलते चलते एक अच्छी खबर आपके साथ सांझा करता चलूँ -रेल रोड एयर मिलकर ग्रीन कॉरिडोर्स के ज़रिये ऑक्सीजन किल्लत को आगामी पांच दिनों में ठीक कर लेंगे। अगले लेख में इसके बारे में जानिये :क्या होता है ग्रीन कॉरिडोर ? 

विशेष :ट्रोल एक अवमानना परक भाषा में रची लिखी गई शब्दावली है जो सामने वाले को अपमानित करे गालीगलोच से आगे की चीज़ है ट्रोल ,ट्रॉलर हद दर्ज़े का पाज़ी होता है। 
The viral picture shows Arvind Kejriwal shaking hands with Rahul Gandhi. (Photo: Facebook)


 

गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

ENVIRONMENT Google Doodle celebrates Earth Day 2021 highlighting the importance of planting trees (HINDI )

 देखिये क्या दम्भ है आदमियत का - उस पृथ्वी की बहाली आप करेंगे जो आपका  पोषण करती है। बेटा उस माँ को आरोग्य प्रदान करेगा जो ताउम्र उसका पोषण करती है।  ख़ैर मनाती है। 

 ख़ैर  अक्ल अपनी -अपनी ख्याल अपना अपना । हमारा आरोग्य हमारा होना पृथ्वी से ही है उसके तमाम पारितंत्रों पारिस्थितिक प्रणालियों को होम करने के बाद हम कह रहें हैं पृथ्वी को उसका गौरव माँ का दर्ज़ा लौटाया जाए। 

दम्भियों नासमझों कमअक्लों !पृथ्वी फिर भी रहेगी जीवन झुलस जाएगा ,नौंच लें और हम उसका हरा ओढ़ना ,तार -तार कर दें उसका आँचल। न करें वनों से झाड़झंखाड़  की सफाई  , न  करें अवांछित वानस्पतिक बढ़वार की छंटाई -वन प्रांतर यूं ही झुलसते रहेंगे बरसों बरस जैसा कि बरसों से हो  रहा है। मार्च अप्रैल  में बर्फ़बारी अटल टनल भी कर्फ्यू ग्रस्त -

इब्तिदा-ए -इश्क है रोता है क्या ,

आगे आगे देखिये होता  है क्या। 

कोरोना तो एक नज़ीर है खाते जाओ वन्य पशुओं को ,तोड़ते उजाड़ते जाओ उनके घरोंदे ,बनाते जाओ पेट को  वनैले पशुओं का कब्रिस्तान। सबके सब मारे जाओगे पृथ्वी फिर भी रहेगी। 

कई दशकों से पानी बिक रहा है बरसों से प्राणवायु ऑक्सीजन  (मेडिकल ऑक्सीजन ,उद्योगिक ऑक्सीजन )और अब तो उसकी लूटमार हो रही है राज्यों के बीच। 

अगला युद्ध पानी ही नहीं हवा को लेकर भी हो सकता है। विनाश  के  और भी रास्ते हैं। अंतरिक्ष से कबाड़ गिरता रहा है। समुन्द्र में सुनामी उठती रही है। जलचर भी खाओगे ?

सामने दर्पण के जब तुम आओगे ,

अपनी करनी पर बहुत पछताओगे। 

पर्यावरण संधि  को ठेंगा दिखाने वाले ट्रम्प गए ,ऐसे तमाम लोग आगे भी जाएंगे। पृथ्वी के साथ माँ बेटे का ही रिश्ता चलेगा पनपेगा। 

हरित प्रौद्योगिकी ही अब हमें बचा सकती है। पारितंत्रों में पुन : प्राण फूंक सकती है। सूरज को लेब में कैद करने का दम्भ न भरें। चौबे जी छब्बे जी बन ने की कोशिश में दुबे जी ही  रह जाएंगे। चतुर्बेदी से दुबे जी और आगे बेदी ही रह जाएंगे। संभलिए माँ माफ़ कर देगी। 

महाकाल के हाथ पे गुल होते हैं पेड़ ,

सुषमा तीनों लोक की कुल होते हैं पेड़। 

यहां गुल में श्लेषार्थ है। गुल माने गुम होना  गुल पुष्प को भी कहते हैं। 

वनों का कटान रोकिये नए वृक्ष लगाइये -

पेड़ पांडवों पर हुआ जब जब अत्याचार ,

ढांप लिए वटवृक्ष  तब तब दृग के द्वार। 

बाड़ ही कहीं खेत को न खा जाए। जलवायु के अनुरूप वृक्षा रोपण कीजिये। फास्ट ग्रोइंग वेरायटी कहीं का भी न छोड़ेगी। यूकेलिप्टिस को खेत की बाड़ न बनाये ,भूजल स्तर और भी रसाताल को चला जाएगा। भूजल को संरक्षित करिये। 

पॉलिथीन बेग से कपड़े  का बना थैला भला -सौ दिन काम आये पर्यावरण बचाये। एक अरब लोग यानी दो अरब हाथ १९२ देशों का साथ समवेत प्रयास क्या नहीं कर सकता। सिर्फ २२ अप्रैल को ही नहीं बारह मास मनाइये पृथ्वी दिवस।

रोज़ लगाइये वृक्ष  सींचते रहिये तुलसी ,

फूली नहीं समायें रहें धरती माँ हुलसी। 


 

शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

Delhi: In current Covid wave, docs say many kids younger than 5 among patients(Hindi )

 Passengers at Anand Vihar Bus Terminal in New Delhi, Wednesday, April 14, 2021. (PTI Photo/Manvender Vashist, File) 

ये समय लापरवाही का नहीं है जबकि हमारे नौनिहाल ,बालक -वृन्द  , छात्रागण  ,किशोर -किशोरियां  भी कोविड संक्रमण की दिनानुदिन चपेट में आते जा रहे हैं। विषाणु सार्स -कोविड -२ अपनी कांटेदार प्रोटीन -कोट बदल रहीं हैं  उत्परिवर्तित हो रही है। दो -दो बार। डबल म्युटेंट किस्म भारत में दर्ज़ हुई है। ब्रिटेन ,दक्षिण अफ्रिका और भारत म्युटेसन किस्म के मामले में एक दूसरे से बाज़ी मार रहे  हैं। 

कोई उम्र का लिहाज़ नहीं करता है यह आतताई विषाणु नवजात पैदा होते ही इसकी चपेट में आएं हैं। डेढ़ माह का  एक शिशु आईसीयू में  पहुंचा है। चार से छः हफ्ता शिशु ,०-१७ साला टोली इसकी जद में आ चुकी है। 

भले किशोर -किशोरियों में लक्षण उग्र न भी हों आगे काविड के तेज़ फैलाव का खतरा बदस्तूर कायम है। शिशुओं में बालकों में तीन दिन की अवधि तक तेज़ ज्वर बना रहे ,पेट दर के साथ उलटी दस्त शिकायत ,पेशीय दर्द बदन दर्द ,बे -हद की थकान नै लहर के कोविड रोग के ज्ञात लक्षण हैं। 

यह डरने का नहीं सम्भलने अपनी ज़िम्मेवारी समझने का वक्त है। जब आप अपना बचाव करते हैं तब आप अन्यों को भी बचा रहे हैं। खुद बचे रहे ,शिशुओं को बचाये रहें सब बच जाएंगे। 

एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।

‘रहिमन’ मूलहि सींचिबो, फूलहि फलहि अघाय॥   



The ongoing Covid-19 surge is taking a toll on children’s health with several hospitals reporting a sharp rise in the number of children between the age of one and five landing up in hospitals. Unlike last year, the virus is affecting infants, with some as young as one-and-a-half months old getting admitted to hospital.

Dr Dhiren Gupta, Pediatric Intensivist at Sir Ganga Ram Hospital, said, “The virus is spreading to the pediatric age group in the current surge. The number of children coming to the hospital with Covid-19 has increased five times as compared to last year. We even have a three-month-old infant admitted to the ICU with Covid-19 and pneumonia. While we are getting swamped with young children and teenagers, the most affected age group is between one to five years in this category.”

On Wednesday, Delhi reported the highest single-day spike with 17,282 new cases of Covid-19 and 104 deaths. A total of 1,08,534 tests have been conducted with 15.92 per cent people testing positive for the infection.

The most common symptoms observed in children include high fever, vomiting, diarrhea and headache.

Dr Rahul Nagpal, Director, Pediatric and Neonatology at Fortis Hospital Vasant Kunj, said, “We are getting a lot more children now across all age groups. The youngest child who has Covid-19 is six weeks old. The number was insignificant last year but it has increased exponentially this time. The families of most of the younger ones are also positive. Even teenagers are getting infected, and, in that case, only one or two family members are affected.”

At least 50 per cent of the children surveyed during the fifth round of serological surveillance in Delhi were found to have antibodies against Covid-19, indicating that children do have equal exposure and an adequate number of antibodies levels when compared to adults.

A total of 1,307 children above five years and less than 12 years were included in the survey that had tested 28,000 people between January 15 and January 23. The prevalence was higher among females with 52.49 per cent of those tested having antibodies, while 48.41 per cent males were found to have the antibodies against the virus.

According to the doctors, the surge in cases can be attributed to the laxity in the behaviour of the general public over the last few days. While the severity in younger children is not very high, experts feel that adults in the family should continue following Covid-appropriate behaviour to ensure no one else is infected in the family.

Dr A J Chitkara, director & HOD, pediatrics at Max Super Speciality Hospital, Shalimar Bagh, said, “Since people were taking due precautions, the number was much less last year. This second surge is affecting many children, especially those younger than five years. This is also because the overall number of adults getting infected is more and somehow people have stopped following the Covid-appropriate behaviour. Fortunately, younger children do not suffer much, but it doesn’t mean they don’t suffer at all. If the child runs a high fever beyond three days, is irritable, refuses to eat, breathes heavily or gets severe abdominal pain or diarrhea, then the patient must contact a pediatrician at the earliest.”

गुरुवार, 15 अप्रैल 2021

यजुर्वेद में आया है यह मंत्र -शैव इसे शौक से भजते गाते हैं आरती रूप में। कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेंद्रहारं , सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि

यजुर्वेद में आया है यह मंत्र -शैव इसे शौक से भजते गाते हैं आरती रूप में। 

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेंद्रहारं ,

सदावसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि। 

त्रिदेवों में एक ,देवो  में देव ,देवादिदेव ,शंकर ,रूद्र , भोलेनाथ,नीलकंठ ,महादेव ,पशुपतिनाथ सर्वाधिक लोकप्रिय लोकश्रुत हिन्दू देवता हैं। आकस्मिक नहीं हैं भारत में सबसे ज्यादा शिव मंदिर हैं। शिव का पूरा परिवार परम् पूज्य है। सेकुलर है यहां पूर्ण सामंजस्य है समरसता है। निर्वैर हैं यहां चूहा -सर्प -मोर - नंदी और बाघ में जबकि फ़ूड चेन में सर्प का भोजन चूहा और मोर का आहार सर्प बनता है। बाघ या शेर तो फिर शेर है नंदी को कहाँ छोड़ेगा। शिव परिवार में सब समरस हैं।प्रेमिल हैं।  

शिव मृत्यु का देवता है यमराज इन्हीं से आदेश लेते हैं। तांडव नृत्य सृष्टि का महाविस्फोटीय आगाज़ भी है अंजाम भी .

It is a dance of creation .  

संहार और रचना रचनान्तर का देवता है शिव। शिव सबसे बड़े वैष्णव है राम भक्त हैं । शिव का अर्थ ही है मांगलिक मंगल शुभ। सभी जीवों के रक्षक संरक्षक रूप आप पशुपतिनाथ है। पशु का एक अर्थ जीव होता है। पापेश्वर हैं शिव सदैव ही जीवों के लिए  कल्याणकारी हैं। शुभ करता शंकर कहलाते हैं आप। 

शुभंकर  है शिव। त्रिपुरारी हैं त्रिपुर राक्षस (आतंकी और आतंकवाद )दोनों का वध करने वाले हैं। जीव के  दैहिक ,सूक्ष्म ,कारणिक तीन शरीर हैं ग्रॉस ,सटल ,कौजल ,तीनों से मुक्त कर अंतिम मृत्यु प्रदान करते हैं शिव ,इसके बाद जन्म नहीं लेना पड़ता।मोहमाया ममता लोभ सबका नाश करते हैं शिव।  जीव के लिए आतंक रचते आतंकी हैं।  

शिव के स्वरूप लावण्य को रेखांकित करता है ये यजुर्वेदीय मन्त्र शिव विवाह के समय स्वयं महाविष्णु इसे गाते हैं। आनंदातिरेक  अनुभूति करता है शैव इसमें अवगाहन कर स्वेत कमल पुष्प अनघ शिव स्तुति से। शिव के रूप लावण्य का प्रतीक हैं पंक्तियाँ :कर्पूरगौरं

महज़ शमशान वासी नहीं हैं शिव विमुक्तेश्वर भी हैं ,परम वैरागी हैं। कपूर की तरह कांतिमान हैं शिव करुणा के मूर्त रूप हैं ,करुणा का आप मानवीकरण हैं। करुणा के सगुन रूप हैं। 

जिस सर्प से सब भय खाते हैं आप उसे कंठहार बनाते हैं लंगोट रूप (कोपीन ) भी उसी को धारण करते हैं। जीवों के हृदय के गह्वर में कमलरूप आप सदा विराजते हैं जीवों की आत्मा आप ही हैं। जिसे कलुष छू नहीं सकता जो पवित्र है सांसारिकता से ,संसार की कीच से परे है। ऐसे शिव की  जिनकी अर्धांगिनी देवी पार्वती हैं  हम वंदना करते हैं गुण -गायन  करते हैं शैलपुत्री संग। यही भाव सार है इस मंत्र का। 

Karpoor Gauram Karunavataram with lyrics | कर्पूर गौरव करुणावतारम | Shiv Mantra

https://www.youtube.com/watch?v=3nATsNWJbmA   

बुधवार, 14 अप्रैल 2021

'ऐं 'बीज मंत्र की महत्ता :इस बीज मंत्र की महत्ता जानकर ही भारतीय मनीषियों ने नवजात शिशु की जिह्वा पर अष्टगंध में मधु मिलाकर 'ऐं ' लिखने की व्यवस्था दी है , जिससे बालक की वाणी और विद्या का विकास होता है। इससे ही मनुष्य जीवन सार्थक बनता है।

ऐं (सरस्वती बीज):बीज मंत्र की महत्ता 

इसका अर्थ है- जगन्माता सरस्वती मेरे दुख दूर करें। इस बीज मंत्र के जप से मां 

सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है और विद्या, कला के क्षेत्र में व्यक्ति दिन दूनी रात 

चौगुनी तरक्की करता चला जाता है।

आद्या शक्ति भगवती दुर्गा के नाना स्वरूप ,मुद्राएं और ध्यान विधियां हैं। इसमें माँ 

 सरस्वती ,महालक्ष्मी और महाकाली विशेष प्रसिद्ध  हैं ,जो क्रमश : चित् सत् और 

आनंद रूपिणी हैं।   

हालांकि यह स्वरूप और क्रिया भेद ही है। वस्तुत : वह परम सत्ता एक ही है। इनका 

नर्वाण मंत्र  : 

'ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे'सर्वार्थ सिद्धिदाता है। यहां हम उनके बीजाक्षर मंत्र 'ऐं 'की महत्ता विवेचित करते हैं। यह उनके महा सरस्वती रूप का मंत्र है ,जिसमें सृष्टि समाहित है। ऋक ,यजु और साम वेदों

 के प्रथम अक्षर को मिला देने से 'ऐं' बन जाता है ,जो अनुस्वार रहित सरस्वती का बीज मंत्र है। 

अनुस्वार सब वर्णों पर मुकुट मणि है ,जिसके योग से इसकी महिमा वर्णातीत हो जाती है। यह 'राम' 

के म का चिन्ह रूप है। गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा है कि अक्षरों में मैं अकार हूँ। इस प्रकार 

'ऐं ' बीज मंत्र में राम और कृष्ण समाहित हैं। 

देवी भागवद में इस  बीज मंत्र की महिमा पर ब्राह्मण बालक उतथ्य की कथा आई है , जिसके 

अनुसार अनपढ़ होने के कारण उसे घर से निकाल दिया गया था। वह वन में रहकर सत्यव्रती होकर 

तप करने लगा। एक दिन एक व्याध के शर से विद्ध हुआ शूकर उसकी कुटिया में आ गया। करुणा 

से द्रवित उतथ्य चिल्ला उठा ' ऐ ऐ ' .माता सरस्वती ने इसे अपने बीज मंत्र 


'ऐं 'का अनुस्वार रहित जप मान लिया और सिद्ध हो गईं। इससे उतथ्य महान विद्वान और कवि हो गया 

. जब व्याध आया और शूकर का पता पूछा तो वह कहा , '  जो देखता है यानी नेत्र वह बोल नहीं सकता और जो बोल सकता है यानी मुख उसने देखा नहीं। 'इस प्रकार सारस्वत सिद्धि होने से उस वन्य जीव

 और सत्य दोनों की रक्षा हो गई। 

इस बीज मंत्र की महत्ता जानकर ही  भारतीय मनीषियों ने नवजात शिशु की   जिह्वा पर अष्टगंध में मधु मिलाकर  'ऐं ' लिखने की व्यवस्था दी है , जिससे बालक की वाणी और विद्या का विकास होता है।

  इससे ही मनुष्य जीवन सार्थक बनता है। 

                             ---------------रघोत्तम शुक्ल 

सन्दर्भ -सामिग्री :

(१ )ऊर्जा ( दैनिक जागरण १३ अप्रैल २०२१ ),

(२ )गूगल सर्च बीजमंत्र