प्राचीन भारत में वैदिक ज्योतिष वेदांग का एक अप्रतिम अंग रहा है। 'ज्योतिषा' का अर्थ है खगोलीय प्रकाश ,दीप्ति (आकाशीय पिंडों का विज्ञान है ज्योतिष ऐसा भी कहा गया है ,संस्कृत मूल का एक शब्द है जिसका अर्थ लगाया गया चमक ,सितारों की चमक ,कांतिमान। ).
खगोलीय पिंडों का मानव पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाता है इस विज्ञान के तहत। इसे पुराण कहना समीचीन होगा जो प्राचीन है फिर भी नवीन है।
ऋग्वेद में इसे वेदों की आँख कहा गया है। जहां तक इसके स्कोप का सवाल है इसकी परिधि के बाहर न गणित था , न आर्किटेक्चर ,चिकित्सा के क्षेत्र में यह रोग निदान के बाद की प्रोग्नोसिस (रोग से मुक्त होने की संभावना )की खबर देता था।
महाभारत में भृगु ऋषि का ज़िक्र आया है जिन्होनें भृगु संहिता लिखी थी अब से कोई दस हज़ार बरस पहले जिसे दुनिया की ज्योतिष विज्ञान पर लिखी गई पहली किताब माना जाता है। इसमें देवता के प्रसादन (रूठे देव मनाने का ज़िक्र भी आता है ,कौन कहाँ कब सारी दुनिया में पैदा होगा भृगु जान लेते थे.).
यशोधर्मा (इन्हें मालवा प्रदेश का विक्रमादित्य कहा जाता था )के नवरत्नों में से एक थे मशहूर खगोलज्ञ ,गणिज्ञ तथा ज्योतिष शास्त्र के माहिर वराहमिहिर (507-587CE,बी ई बोले तो कॉमन ईयरा ). इनके पिता भी खगोलज्ञ थे। ये उज्जैन के रहने वाले थे। पांच सिद्धान्तिका इनकी लिखी अप्रतिम कृति थी। ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में इसे एक मील का पथ्थर कहा गया है। इसे गणितीय खगोलविज्ञान की माँ कहा गया है जिसके तहत सूर्यसिद्धांत ,रोमका सिद्धांत ,पौलिसा सिद्धांत (Paulisa Siddhanta ),वशिष्ठ सिद्धांत तथा Paitamaha Siddhanta आये हैं इन्हें ही खगोल विज्ञान के पांच स्तम्भ कहा गया है।
Varahamihira's main work is the book Pañcasiddhāntikā (or Pancha-Siddhantika, "[Treatise] on the Five [Astronomical] Canons) dated ca. 575 CE gives us information about older Indian texts which are now lost. The work is a treatise on mathematical astronomy and it summarises five earlier astronomical treatises, namely the Surya Siddhanta, Romaka Siddhanta, Paulisa Siddhanta, Vasishtha Siddhanta and Paitamaha Siddhantas. It is a compendium of Vedanga Jyotisha as well as Hellenistic astronomy (including Greek, Egyptian and Roman elements).[4] He was the first one to mention in his work Pancha Siddhantika that the ayanamsa, or the shifting of the equinox is 50.32 seconds.
ज्योतिष विज्ञान पर लिखा गया 'बृहद संहिता' इनका लिखा दूसरा महत्व पूर्ण ग्रन्थ रहा है।
Another important contribution of Varahamihira is the encyclopedic Brihat-Samhita. It covers wide ranging subjects of human interest, including astrology, planetary movements, eclipses, rainfall, clouds, architecture, growth of crops, manufacture of perfume, matrimony, domestic relations, gems, pearls, and rituals. The volume expounds on gemstone evaluation criterion found in the Garuda Purana, and elaborates on the sacred Nine Pearls from the same text. It contains 106 chapters and is known as the "great compilation".
कहा जा सकता है कि ज्योतिष विज्ञान के व्यापक कलेवर में खगोल विज्ञान (ग्रहों की सटीक स्थिति और गति का अध्ययन स्वत : ही आ जाता था )ताकि खगोलीय पिंडों के मनुष्य पर पड़ने वाले असर की ठीक ठीक गवेषणा की जा सके। प्रागुक्ति (प्रिडिक्शनल पार्ट )बहुत बाद में इससे आ जुड़ी है जो चंद लोगों खासकर ब्राह्मणों की (पुरोहिताई )रोज़ी रोटी का धंधा बन गई।
भले प्रागुक्ति का एक सटीक विज्ञान रहा है ,फ्ला लेस (पूर्णतया निर्दोष और एक दम से सटीक।
बेहद कीमती रहें हैं ज्योतिष से जुड़े मूल ग्रन्थ जिनका अल्पांश ही आदिनांक हमारे हाथों में आ सका है।
पश्चिमी सोच के खगोल विज्ञान को ही विज्ञान कहने मानने वालों ने भारतीय ज्योतिष का बढ़चढ़ कर मज़ाक भी उड़ाया है जिसमें अंग्रेजी में लिखने वाले कई नामचीन लेखक संपादक भी शामिल रहें हैं। जिन्होनें यहां तक कहा :
What quackery is to medicine so is astrology to astronomy .
इन्हें नेहरुवियन कंडीशंड इंटेलेकुअल्स कहा जा सकता है। जो पश्चिम के चश्मों से ही आज तक भारत और तमाम प्राच्य विद्याओं (Oriental sciences ) को देखते समझते रहें हैं।
यानी इनके लिए पाश्चात्य शैली का खगोल विज्ञान तो महाविज्ञान था और वृहद विस्तार और अंग वाला ज्योतिष शास्त्र एक ठगी थी। आरोप यह था प्रागुक्ति करने की भविष्य कथन कहने की कोई सर्व स्वीकृत शैली भारतीय ज्योतिष शास्त्र के पास नहीं है। यह इकहरा दृष्टि कौण आज भी कई के दिलोदिमाग में बरकरार है जो हर भारतीय चीज़ को हेय दृष्टि से देखने के अभ्यस्त हो चलें हैं।
पूर्व में भी (खासकर मुरली मनोहर जोशी जी के कार्यकाल में जब वह केंद्र में मानव संशाधन मंत्री थे )बड़ी चिल्ल -पौ कुछ सेकुलर किस्म के प्राणियों ने मचाई थी। मुद्दा था :विश्व विद्यालयों में ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन क्यों ?
पूछा जाना चाहिए था :क्यों नहीं ?
जबकि ज्योतिष शास्त्र एक सटीक विज्ञान है। थोड़ी देर के लिए भारतधर्मी समाज के इस नज़रिये को बरतरफ करके चलिए हम मान लेते हैं :ज्योतिष महज़ एक शास्त्र है विज्ञान नहीं तब क्या शास्त्र का अध्ययन नहीं किया जाना चाहिए।
हमारा मानना है समस्त ज्ञान ही विज्ञान है। सृष्टि का एक अंग दूसरे से जुड़ा हुआ है परस्पर आश्रित है ,पोषक है। विभाजन विभिन्न अनुशासनों में महज़ सुविधा की दृष्टि से ही किया गया है।
अध्ययन सभी विद्याओं का सुसंगठित ,व्यवस्थित रूप ही हुआ है ,होगा।
देश में आज़ादी के बाद पहली मर्तबा भारतधर्मी समाज की अपने बूते बहुमत में आई केंद्रीय सरकार है। (मोदी सरकार बोलें तो सेकुलरों को लगेगा हमने उनकी भैंस खोलके बेच दी ,इसीलिए हम मोदी सरकार कहने से बचें हैं। ). भारत धर्मी समाज चाहता है ज्योतिष विज्ञान को उसका खोया हुआ दर्ज़ा दोबारा हासिल करवाने में जनता और जनार्दन दोनों अपने तईं आगे आएं।
http://www.integralworld.net/lane51.html
http://www.venoastrology.com/
As a mystical spiritual science, Jyotish helps us with our spiritual evolution because it uncovers the destiny of persons at their soul/causal plane. However Jyotish also provides guidance and solutions to every practical, material, psychological, emotional situation that we can possibly experience within our human realm.
Rather than being a fatalistic science, Jyotish offers us the gift of life. It is a tool to help us understand who we are, where we are going, where we have been and how to make the best use of our time here.It is the guiding light which illumines the brightest path to help us achieve more balance and harmony in our lives.
"In the beginning of creation the essence of Jyotisha was taught to Brahma by Vishnu. Jyotisha is the supreme tattva (truth). It destroys the suffering of the beings. This scripture reveals everything- the past future as well as the present. It grants spiritual perfection and is the cause of liberation. This science is relevant to both this world as well as the future world because it follows the placement of of the planets." ....Lomasa Samhita
खगोलीय पिंडों का मानव पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाता है इस विज्ञान के तहत। इसे पुराण कहना समीचीन होगा जो प्राचीन है फिर भी नवीन है।
ऋग्वेद में इसे वेदों की आँख कहा गया है। जहां तक इसके स्कोप का सवाल है इसकी परिधि के बाहर न गणित था , न आर्किटेक्चर ,चिकित्सा के क्षेत्र में यह रोग निदान के बाद की प्रोग्नोसिस (रोग से मुक्त होने की संभावना )की खबर देता था।
महाभारत में भृगु ऋषि का ज़िक्र आया है जिन्होनें भृगु संहिता लिखी थी अब से कोई दस हज़ार बरस पहले जिसे दुनिया की ज्योतिष विज्ञान पर लिखी गई पहली किताब माना जाता है। इसमें देवता के प्रसादन (रूठे देव मनाने का ज़िक्र भी आता है ,कौन कहाँ कब सारी दुनिया में पैदा होगा भृगु जान लेते थे.).
यशोधर्मा (इन्हें मालवा प्रदेश का विक्रमादित्य कहा जाता था )के नवरत्नों में से एक थे मशहूर खगोलज्ञ ,गणिज्ञ तथा ज्योतिष शास्त्र के माहिर वराहमिहिर (507-587CE,बी ई बोले तो कॉमन ईयरा ). इनके पिता भी खगोलज्ञ थे। ये उज्जैन के रहने वाले थे। पांच सिद्धान्तिका इनकी लिखी अप्रतिम कृति थी। ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में इसे एक मील का पथ्थर कहा गया है। इसे गणितीय खगोलविज्ञान की माँ कहा गया है जिसके तहत सूर्यसिद्धांत ,रोमका सिद्धांत ,पौलिसा सिद्धांत (Paulisa Siddhanta ),वशिष्ठ सिद्धांत तथा Paitamaha Siddhanta आये हैं इन्हें ही खगोल विज्ञान के पांच स्तम्भ कहा गया है।
Varahamihira's main work is the book Pañcasiddhāntikā (or Pancha-Siddhantika, "[Treatise] on the Five [Astronomical] Canons) dated ca. 575 CE gives us information about older Indian texts which are now lost. The work is a treatise on mathematical astronomy and it summarises five earlier astronomical treatises, namely the Surya Siddhanta, Romaka Siddhanta, Paulisa Siddhanta, Vasishtha Siddhanta and Paitamaha Siddhantas. It is a compendium of Vedanga Jyotisha as well as Hellenistic astronomy (including Greek, Egyptian and Roman elements).[4] He was the first one to mention in his work Pancha Siddhantika that the ayanamsa, or the shifting of the equinox is 50.32 seconds.
ज्योतिष विज्ञान पर लिखा गया 'बृहद संहिता' इनका लिखा दूसरा महत्व पूर्ण ग्रन्थ रहा है।
Another important contribution of Varahamihira is the encyclopedic Brihat-Samhita. It covers wide ranging subjects of human interest, including astrology, planetary movements, eclipses, rainfall, clouds, architecture, growth of crops, manufacture of perfume, matrimony, domestic relations, gems, pearls, and rituals. The volume expounds on gemstone evaluation criterion found in the Garuda Purana, and elaborates on the sacred Nine Pearls from the same text. It contains 106 chapters and is known as the "great compilation".
कहा जा सकता है कि ज्योतिष विज्ञान के व्यापक कलेवर में खगोल विज्ञान (ग्रहों की सटीक स्थिति और गति का अध्ययन स्वत : ही आ जाता था )ताकि खगोलीय पिंडों के मनुष्य पर पड़ने वाले असर की ठीक ठीक गवेषणा की जा सके। प्रागुक्ति (प्रिडिक्शनल पार्ट )बहुत बाद में इससे आ जुड़ी है जो चंद लोगों खासकर ब्राह्मणों की (पुरोहिताई )रोज़ी रोटी का धंधा बन गई।
भले प्रागुक्ति का एक सटीक विज्ञान रहा है ,फ्ला लेस (पूर्णतया निर्दोष और एक दम से सटीक।
बेहद कीमती रहें हैं ज्योतिष से जुड़े मूल ग्रन्थ जिनका अल्पांश ही आदिनांक हमारे हाथों में आ सका है।
पश्चिमी सोच के खगोल विज्ञान को ही विज्ञान कहने मानने वालों ने भारतीय ज्योतिष का बढ़चढ़ कर मज़ाक भी उड़ाया है जिसमें अंग्रेजी में लिखने वाले कई नामचीन लेखक संपादक भी शामिल रहें हैं। जिन्होनें यहां तक कहा :
What quackery is to medicine so is astrology to astronomy .
इन्हें नेहरुवियन कंडीशंड इंटेलेकुअल्स कहा जा सकता है। जो पश्चिम के चश्मों से ही आज तक भारत और तमाम प्राच्य विद्याओं (Oriental sciences ) को देखते समझते रहें हैं।
यानी इनके लिए पाश्चात्य शैली का खगोल विज्ञान तो महाविज्ञान था और वृहद विस्तार और अंग वाला ज्योतिष शास्त्र एक ठगी थी। आरोप यह था प्रागुक्ति करने की भविष्य कथन कहने की कोई सर्व स्वीकृत शैली भारतीय ज्योतिष शास्त्र के पास नहीं है। यह इकहरा दृष्टि कौण आज भी कई के दिलोदिमाग में बरकरार है जो हर भारतीय चीज़ को हेय दृष्टि से देखने के अभ्यस्त हो चलें हैं।
पूर्व में भी (खासकर मुरली मनोहर जोशी जी के कार्यकाल में जब वह केंद्र में मानव संशाधन मंत्री थे )बड़ी चिल्ल -पौ कुछ सेकुलर किस्म के प्राणियों ने मचाई थी। मुद्दा था :विश्व विद्यालयों में ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन क्यों ?
पूछा जाना चाहिए था :क्यों नहीं ?
जबकि ज्योतिष शास्त्र एक सटीक विज्ञान है। थोड़ी देर के लिए भारतधर्मी समाज के इस नज़रिये को बरतरफ करके चलिए हम मान लेते हैं :ज्योतिष महज़ एक शास्त्र है विज्ञान नहीं तब क्या शास्त्र का अध्ययन नहीं किया जाना चाहिए।
हमारा मानना है समस्त ज्ञान ही विज्ञान है। सृष्टि का एक अंग दूसरे से जुड़ा हुआ है परस्पर आश्रित है ,पोषक है। विभाजन विभिन्न अनुशासनों में महज़ सुविधा की दृष्टि से ही किया गया है।
अध्ययन सभी विद्याओं का सुसंगठित ,व्यवस्थित रूप ही हुआ है ,होगा।
देश में आज़ादी के बाद पहली मर्तबा भारतधर्मी समाज की अपने बूते बहुमत में आई केंद्रीय सरकार है। (मोदी सरकार बोलें तो सेकुलरों को लगेगा हमने उनकी भैंस खोलके बेच दी ,इसीलिए हम मोदी सरकार कहने से बचें हैं। ). भारत धर्मी समाज चाहता है ज्योतिष विज्ञान को उसका खोया हुआ दर्ज़ा दोबारा हासिल करवाने में जनता और जनार्दन दोनों अपने तईं आगे आएं।
http://www.integralworld.net/lane51.html
http://www.venoastrology.com/
As a mystical spiritual science, Jyotish helps us with our spiritual evolution because it uncovers the destiny of persons at their soul/causal plane. However Jyotish also provides guidance and solutions to every practical, material, psychological, emotional situation that we can possibly experience within our human realm.
Rather than being a fatalistic science, Jyotish offers us the gift of life. It is a tool to help us understand who we are, where we are going, where we have been and how to make the best use of our time here.It is the guiding light which illumines the brightest path to help us achieve more balance and harmony in our lives.
"In the beginning of creation the essence of Jyotisha was taught to Brahma by Vishnu. Jyotisha is the supreme tattva (truth). It destroys the suffering of the beings. This scripture reveals everything- the past future as well as the present. It grants spiritual perfection and is the cause of liberation. This science is relevant to both this world as well as the future world because it follows the placement of of the planets." ....Lomasa Samhita
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Ancient Astrology: The Lost Books of Bhrigu - YouTube
www.youtube.com/watch?v=6CQxcRrDR3w
Dec 13, 2012 - Uploaded by neuralsurferThis library is alleged to be the oldest astrological treatise inIndia and is said to contain the life story of those who are destined to arrive there.
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