बहस किस बात पे करूँ आप तो मूल विषय से ही हट गए। मैं ने बात देसी जड़ी बूटी से सम्पूर्ण चिकित्सा मुहैया करवाने
वाले तंत्र Ksct की थी। मैं एक उपमान ढूंढ रहा था मिलता जुलता आस्था का केंद्र ,मुझे मोदी जी मिल गए एक सटीक
उपमान के रूप में। मैंने उनकी
प्रशस्ति में कोई कविता नहीं लिखी -यही लिखा है कि जिस प्रकार एलोपैथी द्वारा लाइलाज घोषित की जा चुकी मेडिकल
कंडीशन के लोग इस केंद्र में आकर आश्वस्त हो जातें हैं यह वैसे ही है जैसे आस्था खो चुका एक मुल्क मोदी जी के आने
से आश्वस्त हो गया ।
यदि आप कहते मैं ksct का प्रचार कर रहा हूँ तो मैं आप से बहस करता। अब
किस बात पे बहस करूँ ?बहस करके अपना समय आपको क्यों दूँ। आपने मूल विषय तो छोड़ दिया। टिप्पणी आप उस
पे करते।
जब देश के लिए कुर्बानी देने वालों का ज़िक्र छिड़ेगा तो प्रतीक के तौर पर देश के लिए शहादत दे चुके शहीदों की बात
की जाएगी किसी पाकिट मार की नहीं ,बटमार की नहीं।
बात पगड़ी की चल रही थे आप पगड़ी छोड़कर कच्छे पे आ गए। मैं कच्छे पे बहस क्यों करूँ ?
एक प्रतिक्रिया फेस -बुक पर मेरी एक पोस्ट पर आई टिप्पणी पर :
मूल पोस्ट इस प्रकार थी :
वाले तंत्र Ksct की थी। मैं एक उपमान ढूंढ रहा था मिलता जुलता आस्था का केंद्र ,मुझे मोदी जी मिल गए एक सटीक
उपमान के रूप में। मैंने उनकी
प्रशस्ति में कोई कविता नहीं लिखी -यही लिखा है कि जिस प्रकार एलोपैथी द्वारा लाइलाज घोषित की जा चुकी मेडिकल
कंडीशन के लोग इस केंद्र में आकर आश्वस्त हो जातें हैं यह वैसे ही है जैसे आस्था खो चुका एक मुल्क मोदी जी के आने
से आश्वस्त हो गया ।
यदि आप कहते मैं ksct का प्रचार कर रहा हूँ तो मैं आप से बहस करता। अब
किस बात पे बहस करूँ ?बहस करके अपना समय आपको क्यों दूँ। आपने मूल विषय तो छोड़ दिया। टिप्पणी आप उस
पे करते।
जब देश के लिए कुर्बानी देने वालों का ज़िक्र छिड़ेगा तो प्रतीक के तौर पर देश के लिए शहादत दे चुके शहीदों की बात
की जाएगी किसी पाकिट मार की नहीं ,बटमार की नहीं।
बात पगड़ी की चल रही थे आप पगड़ी छोड़कर कच्छे पे आ गए। मैं कच्छे पे बहस क्यों करूँ ?
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बहस किस बात पे करूँ आप तो मूल विषय से ही हट गए। मैं ने बात देसी जड़ी बूटी से सम्पूर्ण चिकित्सा मुहैया करवाने
वाले तंत्र Ksct की थी। मैं एक उपमान ढूंढ रहा था मिलता जुलता आस्था का केंद्र ,मुझे मोदी जी मिल गए एक सटीक
उपमान के रूप में। मैंने उनकी
प्रशस्ति में कोई कविता नहीं लिखी -यही लिखा है कि जिस प्रकार एलोपैथी द्वारा लाइलाज घोषित की जा चुकी मेडिकल
कंडीशन के लोग इस केंद्र में आकर आश्वस्त हो जातें हैं यह वैसे ही है जैसे आस्था खो चुका एक मुल्क मोदी जी के आने
से आश्वस्त हो गया ।
यदि आप कहते मैं ksct का प्रचार कर रहा हूँ तो मैं आप से बहस करता। अब
किस बात पे बहस करूँ ?बहस करके अपना समय आपको क्यों दूँ। आपने मूल विषय तो छोड़ दिया। टिप्पणी आप उस
पे करते।
जब देश के लिए कुर्बानी देने वालों का ज़िक्र छिड़ेगा तो प्रतीक के तौर पर देश के लिए शहादत दे चुके शहीदों की बात
की जाएगी किसी पाकिट मार की नहीं ,बटमार की नहीं।
बात पगड़ी की चल रही थे आप पगड़ी छोड़कर कच्छे पे आ गए। मैं कच्छे पे बहस क्यों करूँ ?
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