गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

बहस किस बात पे करूँ आप तो मूल विषय से ही हट गए


बेंगलुरु से मेरा मतलब अब हो गया है -कोणार्क सम्पूर्ण चिकित्सा केंद्र
यूँ ,बेंगलुरु से मेरा नाता शेखर जैमिनी की वजह से ही जुड़ा है। मेरे लिए अब बेंगलुरु का एक मतलब और भी हो गया है -
Ksct Cure For Incurables
Ksct मूलतया एक शोध केंद्र है जो 'हर्बल और कॉस्मिक - रे -ट्रीटमेंट ' भी मुहैया कराता है ला -इलाज़ घोषित किए जा
चुके जीवन शैली रोगों का।
धीरे -धीरे ना -उम्मीदों की उम्मीद बनने लगा है ये केंद्र। यहां व्यक्ति विशेष के लिए टेलर मेड (कस्टमाइज़्ड
)इलाज़ मयस्सर है ,हर आम और ख़ास को। शेखर जैमिनी बुनियादी तौर पर एक चिकित्सा साधक है।शोध कर्ता हैं।
आज मुल्क के कौने -कौन से हर वह व्यक्ति यहां पहुँच रहा है जो हर तरह के इलाज़ को आज़माकर जीवन से हताश हो
बैठा था।
यहां आकर लोगों की आस्था लौटती है। जीवन की आंच उनमें फिर से दहकने लगती है। जीवन और मृत्यु तो प्रारब्ध का
खेल है लेकिन जीवन की गुणवत्ता को निश्चय ही सुधारा जा सकता है। जीवन को फिर से रौशनी में लाया जा सकता है।
निरानंद हो चुके जीवन को फिर से आनंद के क्षण मुहैया करवाये जा सकते हैं।
इस नवजीवन का अनुभव उसको ही हो सका है जो बेंगलुरु के साफ़ सुथरे उपनगर विद्यारण्यापुरा स्थित इस केंद्र तक
पहुंचा है।
कहा जा सकता है और जो कहा जा सकता है वह कहा ज़रूर जाना चाहिए जहां मोदी जी ने आस्था खो चुके इस मुल्क
को उसकी आस्था लौटाई है शेखर जैमिनी ने आश्वस्ति खो चुके मरीज़ों को उनका जीवन के प्रति अनुराग।
बेंगलुरु मैं आवूं और जनआस्था के इस केंद्र को सलाम न करूँ तो ये मेरी खुद के साथ भी ज्यादती होगी। गत ३७ -३८
वर्षों से मैं सेहत के मुद्दों से सक्रिय तौर पर जुड़ा रहा हूँ जनप्रिय विज्ञान लेखन की मार्फ़त। आपके साथ साँझा किया हूँ
नवीनतम मुद्दे सेहत से जुड़े। आज 'Ksct ' भी।
जय श्रीकृष्णा !
सन्दर्भ -सामिग्री :
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www.justdial.com/…/ksct-cure-for-incurables.../080P123121901...
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  • Virendra Sharma पहली मर्तबा आपने भारतीय होने पर भारत धर्मी समाज होने पर बोले तो हिन्दू होने पर गर्व है। ये आत्म विश्वास भारत की मिट्टी से पैदा एक सपूत एक प्रधान मंत्री ने दिया है। पहली मर्तबा लालकिले का उद्बोधन रस्मी नहीं लगा। देश प्रकट्या दो भागों में दिखता है :भारत धर्मी समाज बनाम कथित सेकुलर।
एक प्रतिक्रिया फेस -बुक पर मेरी उक्त (उल्लेखित ) पोस्ट पर  :

बहस किस बात पे करूँ आप तो मूल विषय से ही हट गए। मैं ने बात देसी जड़ी बूटी से सम्पूर्ण चिकित्सा मुहैया करवाने



वाले तंत्र Ksct की थी। मैं एक उपमान ढूंढ रहा था मिलता जुलता आस्था का केंद्र ,मुझे मोदी जी मिल गए एक सटीक

उपमान के रूप में। मैंने उनकी

प्रशस्ति में कोई कविता नहीं लिखी -यही लिखा है कि जिस प्रकार एलोपैथी द्वारा लाइलाज घोषित की जा चुकी मेडिकल

कंडीशन के लोग इस केंद्र में आकर आश्वस्त हो जातें हैं यह वैसे ही है जैसे आस्था खो चुका एक मुल्क मोदी जी के आने

से आश्वस्त हो गया ।

 यदि आप कहते मैं ksct का प्रचार कर रहा हूँ तो मैं आप से बहस करता। अब

किस बात पे बहस करूँ ?बहस करके अपना समय आपको क्यों दूँ। आपने मूल विषय तो छोड़ दिया। टिप्पणी आप उस

पे करते।

जब देश के लिए कुर्बानी देने वालों का ज़िक्र छिड़ेगा तो प्रतीक के तौर पर देश के लिए शहादत दे चुके शहीदों की बात

की जाएगी किसी पाकिट मार की नहीं ,बटमार की नहीं।

बात पगड़ी की चल रही थे आप पगड़ी छोड़कर कच्छे पे आ गए। मैं कच्छे पे बहस क्यों करूँ ?

एक प्रतिक्रिया फेस -बुक पर मेरी उक्त (उल्लेखित ) पोस्ट पर  

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