पप्पूजी उवाच :ये सूट बूट वाली सरकार है.…… । पूछा जा सकता है पिछली कार्यशील यूपीए की सरकार क्या दिगंबर थी ?वस्त्र नहीं पहनती थी ?और आज क्या सूट बूट विशेष परिधान का द्योतक रह गया है।आम बात है सूट और बूट का पैरहन।
दो महीने के अज्ञातवास के बाद आदमी का बौद्धिक विकास हो जाए ये बिलकुल जरूरी नहीं है। पांडव तो बारह बरस का वन प्रवास भुगतने के बाद पूरे एक बरस का अज्ञातवास भुगताये थे। फिर भी क्या प्रारब्ध ज़रा सा बदला था। पप्पूजी का यदि बदला हो तो वे सदन को इसकी जानकारी दें। उनके वक्तव्य से इसका बोध नहीं होता।
जिनके पास विषय का बोध नहीं होता विषय की जानकारी नहीं होती वे ऐसे ही असंगत बोलते हैं।पैन /कलम निकाल कर मुंह से चबाने लगते हैं। आस्तीन चढ़ा लेते हैं।
क्या पिछली सरकार में धौती फटकारने वाले नहीं थे ?क्या वे धौती खोल देते थे ?कुछ तो सोचो बबुआ।
दो महीने के अज्ञातवास के बाद आदमी का बौद्धिक विकास हो जाए ये बिलकुल जरूरी नहीं है। पांडव तो बारह बरस का वन प्रवास भुगतने के बाद पूरे एक बरस का अज्ञातवास भुगताये थे। फिर भी क्या प्रारब्ध ज़रा सा बदला था। पप्पूजी का यदि बदला हो तो वे सदन को इसकी जानकारी दें। उनके वक्तव्य से इसका बोध नहीं होता।
जिनके पास विषय का बोध नहीं होता विषय की जानकारी नहीं होती वे ऐसे ही असंगत बोलते हैं।पैन /कलम निकाल कर मुंह से चबाने लगते हैं। आस्तीन चढ़ा लेते हैं।
क्या पिछली सरकार में धौती फटकारने वाले नहीं थे ?क्या वे धौती खोल देते थे ?कुछ तो सोचो बबुआ।
2 टिप्पणियां:
२ महीनों के आत्मचिंतन के बाद ऐसा ही होता है ...
लगता है भाषा और गन्दी कर के आये हैं महाराज ...
लफ्फाजी से काम चलाना तो खूब जानते हैं पर बबुआ से धान का एक कण-भूसा भी नहीं उतरेगा..
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