गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

बात बहुत छोटी सी है लेकिन सन्देश बहुत गहरा है........

बात बहुत छोटी सी है लेकिन सन्देश बहुत गहरा है। इन दिनों मुझे  'कोणार्क सम्पूर्ण चिकित्सा केंद्र ,विद्यारण्यपुरा

,बैंगलुरु  'के निदेशक शेखर जैमिनी का सानिध्य मिला हुआ है। HIV-AIDS Infection के कई मामले यहां आते हैं।

सस्नेह ऐसे तमाम मरीज़ों का अभिवादन शेखर उन्हें गले लगाकर करते हैं। उनके संग आये तीमारदार जब उन्हें घर के

अलहदा कमरे में रखने की बात करते हैं तो शेखर झिड़कते नहीं हैं प्यार से समझाते हैं। लाड़ -प्यार अपनापा इसके

इलाज़ को धारदार बनाता है। यह तपेदिक की भाँति मरीज़ के आपके निकट सांस लेने खांसने से नहीं फैलता है। मरीज़

के संग आप शौक से Dine कीजिये। हेंड शेक कीजिये छोटा है तो स्नेह से उसका माथा चूमिये। सामाजिक उपेक्षा से

मरीज़ हौसला खो देता है। मर्ज़ से नहीं मन से सामाजिक उपेक्षा से मरीज़ हार जाता है। पस्त हो जाता है।

अलबत्ता दवा तैयार करते वक्त शेखर अपने आप को अलग कमरे में बंद कर लेते हैं दीगर है ये सारा काम

रिकॉर्डिड मंत्रोच्चार के बीच संपन्न होता है। ब्लड साम्पिल्स  मरीज़ से जुटाए गए इतर नमूनों को हैंडिल करते वक्त

शेखर

उतनी ही सावधानी बरतते हैं जितनी की ज़रूरी है। अनावश्यक Fuss खड़ा नहीं करते हैं।

सन्दर्भ -सामिग्री :

www.ksct.net

जयश्रीकृष्णा !

1 टिप्पणी:

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत विचारणीय और सारगर्भित प्रस्तुति...