साकार वाणी (मुरली ),दिनांकित जुलाई २ ७ ,२ ० १ ३
मुरली सार:- ”मीठे बच्चे – अभी तुम्हें पवित्र जीवात्मा बनना है। इस समय कोई पवित्र जीवात्मा नहीं हैं इसलिए अपने को महात्मा भी नहीं कहला सकते।”
प्रश्न:- सतयुगी राजाई का इनाम किन बच्चों को प्राप्त होता है?
उत्तर:- जो श्रीमत पर याद की रेस में नम्बरवन जाते हैं, उन्हें ही राजाई का इनाम मिलता है। तीखी रेस होगी तो रजिस्टर में नाम अच्छा होगा और इनाम के अधिकारी बनेंगे। तुम बच्चे दूरादेशी बन बड़ी दूर की रेस करते हो। एक सेकेण्ड में निशान तक (परमधाम तक) पहुँच वापस लौटकर आते हो। तुम्हारी बुद्धि में है पहले हम मुक्ति में जायेंगे फिर जीवनमुक्ति में आयेंगे। तुम्हारे जैसी रेस और कोई कर नहीं सकता।
उत्तर:- जो श्रीमत पर याद की रेस में नम्बरवन जाते हैं, उन्हें ही राजाई का इनाम मिलता है। तीखी रेस होगी तो रजिस्टर में नाम अच्छा होगा और इनाम के अधिकारी बनेंगे। तुम बच्चे दूरादेशी बन बड़ी दूर की रेस करते हो। एक सेकेण्ड में निशान तक (परमधाम तक) पहुँच वापस लौटकर आते हो। तुम्हारी बुद्धि में है पहले हम मुक्ति में जायेंगे फिर जीवनमुक्ति में आयेंगे। तुम्हारे जैसी रेस और कोई कर नहीं सकता।
गीत:- आख़िर वह दिन आया आज……..
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) दूरादेशी बन तीनों लोकों और तीनों कालों को जान बुद्धि से रेस करनी है। इस छी-छी दुनिया, छी-छी शरीर से मुक्त होना है।
2) झूठ बोलने की आदत को मिटाना है। श्रीमत का उल्लंघन कर डिससर्विस नहीं करनी है।
वरदान:- खुशी के खजाने से अनेक आत्माओं को मालामाल बनाने वाले सदा खुशनसीब भव
खुशनसीब उन्हें कहा जाता जो सदा खुश रहते हैं और खुशी के खजाने द्वारा अनेक आत्माओं को मालामाल बना देते हैं। आजकल हर एक को विशेष खुशी के खजाने की आवश्यकता है, और सब कुछ है लेकिन खुशी नहीं है। आप सबको तो खुशियों की खान मिल गई। खुशियों का वैरायटी खजाना आपके पास है, सिर्फ इस खजाने के मालिक बन जो मिला है वो स्वयं के प्रति और सर्व के प्रति यूज़ करो तो मालामाल अनुभव करेंगे।
1) दूरादेशी बन तीनों लोकों और तीनों कालों को जान बुद्धि से रेस करनी है। इस छी-छी दुनिया, छी-छी शरीर से मुक्त होना है।
2) झूठ बोलने की आदत को मिटाना है। श्रीमत का उल्लंघन कर डिससर्विस नहीं करनी है।
वरदान:- खुशी के खजाने से अनेक आत्माओं को मालामाल बनाने वाले सदा खुशनसीब भव
खुशनसीब उन्हें कहा जाता जो सदा खुश रहते हैं और खुशी के खजाने द्वारा अनेक आत्माओं को मालामाल बना देते हैं। आजकल हर एक को विशेष खुशी के खजाने की आवश्यकता है, और सब कुछ है लेकिन खुशी नहीं है। आप सबको तो खुशियों की खान मिल गई। खुशियों का वैरायटी खजाना आपके पास है, सिर्फ इस खजाने के मालिक बन जो मिला है वो स्वयं के प्रति और सर्व के प्रति यूज़ करो तो मालामाल अनुभव करेंगे।
स्लोगन:- अन्य आत्माओं के व्यर्थ भाव को श्रेष्ठ भाव में परिवर्तन कर देना ही सच्ची सेवा है।
पूरी वाणी सुनने के लिए निम्न लिंक (सेतु )पर जा सकते हैं .
ॐ शान्ति
Madhuban Murli :- LIVE 26/07/2013 (7.05AM TO 8.05 AM IST). Murli ...
education.smashpipe.com/?f=di8tPHIseS0&e=1&z=1007 hours ago - Madhuban Murli LIVE - 5/7/2013 (7.05am to 8.05am IST). PublishedJuly 5, 2013 at 2:27 AM. By Madhuban Murli Brahma Kumaris. Murli is the ...
4 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर बात बताई, आभार.
रामराम.
thanks
अन्य आत्माओं के व्यर्थ भाव को श्रेष्ठ भाव में परिवर्तन कर देना ही सच्ची सेवा है।...
बहुत-बहुत सुन्दर भाव
ज्ञानप्रद..
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