आध्यात्मिक शब्दावली (भाग पांच )
(२ ६ )मनमनाभव :सिर्फ एक को ही चित्त में लाओ .अपने को आत्मा समझ सिर्फ बाप(परम आत्मा ) को याद करो .उसी से सर्व सम्बन्ध स्थापित करो .नहीं तो दूसरा सम्बन्ध अपनी तरफ खींच लेगा .
Manmanabhav :Focus your mind on only one :Consider yourself to be a soul and remember God ,the Supreme soul.
(२ ७ )मन्त्र :किसी देवता या धर्म से सम्बंधित ऐसा पवित्र शब्द जिसे दोहराया जाता है जिसका जाप किया जाता है या जिसे गाया जाता है जिसके द्वारा हम निज के गुणों और स्वरूप को स्मृति में लाते हैं अनुभूत करते हैं .अपने ईष्ट देव का आवाहन करते हैं .
mantra : a sacred word with the properties to evoke which is original to the self .
(२ ८ )माया :कोई भी ऐसा दृश्य जो भ्रम पैदा करे ,निराधार विचार या धारणा ,बहकावा ,धोखा देने की क्रिया (छल )जैसे रावण का स्वर्ण मृग का रूप भरके सीता का हरण करना (माया रावण विवेक हर लेता है )माया है .इन्द्रियों द्वारा देखे गए दृश्यमान जगत को मिथ्या (माया )कहा गया है .अवास्तविक वस्तु (किसी और की वस्तु के प्रति सम्मोहन )माया है .विकारों का आत्मा पर पड़ने वाला सूक्ष्म प्रभाव माया है जिसकी वजह देह -भान ,देह -अभिमान(खुद को शरीर मान लेने की भूल,धन और शोहरत का अभिमान,खुद के खूब सूरत शरीर होने का गुमान ) बनता है .ललचाती है
माया ,ललचाने वाली जिंस बनके ,लालसा बनके चित्त में घर बना लेती है .
maya :illusion ,deceit ,deception .The world as perceived by the senses ,considered to be illusory .Infatuation with what is unreal.Subtle influence of the vices ,caused by body consciousness .Maya often comes in the form of temptation .
(२ ९ )संगम युग पर जब परमात्मा निराकार शिव साधारण मनुष्य तन(जिसे निराकार ज्योतिर्लिन्गम शिव ,ब्रह्मा नाम देते हैं ) का आधार ले बह्मा मुख कमल से जो ज्ञान वाणी ,महावाक्य सुनाते हैं वही ज्ञान गीता मुरली है .ऐसा एंटी वायरस है मुरली जिसे सुन आत्मा पे चढ़ी विकर्मों की पर्त उतरने लगती है .वह महा वाणी है मुरली जिसे सुन हम (आत्मा )अपने निज शांत ,आनंद और प्रेम स्वरूप में स्थिर हो जाते हैं .
यह बांस की बांसुरी नहीं है ज्ञान मुरली है .विश्व शान्ति का सन्देश है यह महा -वाणी .आत्मा और परमात्मा के बीच का संवाद है मुरली .रूह -रिहान है आत्मा का परम आत्मा के साथ .
murli :The body of teachings known as Raja Yoga is conveyed orally ,and it is referred to as the murli , or "flute of knowledge."
(३ ० )नमस्ते :आदर पूर्वक किसी के प्रति आदर अभिवादन स्वरूप बोले गए शब्द ,देह मुद्रा ,अपने को ईश्वर का बच्चा बूझ कर किसी के आगे नमन करना आदर से सर नवाना नमस्ते है .
namste : a greeting offered with respect : respectful salutation .The meaning is " I bow to you as a child of God.
(२ ६ )मनमनाभव :सिर्फ एक को ही चित्त में लाओ .अपने को आत्मा समझ सिर्फ बाप(परम आत्मा ) को याद करो .उसी से सर्व सम्बन्ध स्थापित करो .नहीं तो दूसरा सम्बन्ध अपनी तरफ खींच लेगा .
Manmanabhav :Focus your mind on only one :Consider yourself to be a soul and remember God ,the Supreme soul.
(२ ७ )मन्त्र :किसी देवता या धर्म से सम्बंधित ऐसा पवित्र शब्द जिसे दोहराया जाता है जिसका जाप किया जाता है या जिसे गाया जाता है जिसके द्वारा हम निज के गुणों और स्वरूप को स्मृति में लाते हैं अनुभूत करते हैं .अपने ईष्ट देव का आवाहन करते हैं .
mantra : a sacred word with the properties to evoke which is original to the self .
(२ ८ )माया :कोई भी ऐसा दृश्य जो भ्रम पैदा करे ,निराधार विचार या धारणा ,बहकावा ,धोखा देने की क्रिया (छल )जैसे रावण का स्वर्ण मृग का रूप भरके सीता का हरण करना (माया रावण विवेक हर लेता है )माया है .इन्द्रियों द्वारा देखे गए दृश्यमान जगत को मिथ्या (माया )कहा गया है .अवास्तविक वस्तु (किसी और की वस्तु के प्रति सम्मोहन )माया है .विकारों का आत्मा पर पड़ने वाला सूक्ष्म प्रभाव माया है जिसकी वजह देह -भान ,देह -अभिमान(खुद को शरीर मान लेने की भूल,धन और शोहरत का अभिमान,खुद के खूब सूरत शरीर होने का गुमान ) बनता है .ललचाती है
माया ,ललचाने वाली जिंस बनके ,लालसा बनके चित्त में घर बना लेती है .
maya :illusion ,deceit ,deception .The world as perceived by the senses ,considered to be illusory .Infatuation with what is unreal.Subtle influence of the vices ,caused by body consciousness .Maya often comes in the form of temptation .
(२ ९ )संगम युग पर जब परमात्मा निराकार शिव साधारण मनुष्य तन(जिसे निराकार ज्योतिर्लिन्गम शिव ,ब्रह्मा नाम देते हैं ) का आधार ले बह्मा मुख कमल से जो ज्ञान वाणी ,महावाक्य सुनाते हैं वही ज्ञान गीता मुरली है .ऐसा एंटी वायरस है मुरली जिसे सुन आत्मा पे चढ़ी विकर्मों की पर्त उतरने लगती है .वह महा वाणी है मुरली जिसे सुन हम (आत्मा )अपने निज शांत ,आनंद और प्रेम स्वरूप में स्थिर हो जाते हैं .
यह बांस की बांसुरी नहीं है ज्ञान मुरली है .विश्व शान्ति का सन्देश है यह महा -वाणी .आत्मा और परमात्मा के बीच का संवाद है मुरली .रूह -रिहान है आत्मा का परम आत्मा के साथ .
murli :The body of teachings known as Raja Yoga is conveyed orally ,and it is referred to as the murli , or "flute of knowledge."
(३ ० )नमस्ते :आदर पूर्वक किसी के प्रति आदर अभिवादन स्वरूप बोले गए शब्द ,देह मुद्रा ,अपने को ईश्वर का बच्चा बूझ कर किसी के आगे नमन करना आदर से सर नवाना नमस्ते है .
namste : a greeting offered with respect : respectful salutation .The meaning is " I bow to you as a child of God.
ॐ शान्ति
(ज़ारी )
10 टिप्पणियां:
यह ग्लाजरी सर्वतो भद्र कल्याणकारी बने
सर जी ,बहुत ही सुन्दर शब्दावली , शब्ग
व्याख्या भी मानक और स्तरीय ,सादर
शब्दावली की परिभाषाएं सहज,सरल और बोधगम्य है .बहुत अच्छा है .
latest post क्या अर्पण करूँ !
latest post सुख -दुःख
मन्त्र, जो मन को तार दे, मन को भयमुक्त कर दे..सुन्दर संकलन..
सर जी,सुन्दर आध्यात्मिक शब्दकोष सरल सहज और बोधगम्य
अनहद....
बढ़िया प्रस्तुतियों हेतु आभार आदरणीय-
गुरुपूर्णिमा के शुभ अवसर पर
परम गुरु की सादर वन्दना-
सादर नमन-
बहुत ही सुंदर जानकारी, आभार आपका.
रामराम.
सुंदर व्याख्या!
~सादर!!!
आत्मा समझ परमात्मा से लौ लगानी है...माया तब कुछ नहीं बिगाड़ सकती..सुंदर ज्ञान !
एक टिप्पणी भेजें