मेरो तरीके मज़हब क्या पूछती हो मुन्नी ,
शियों में मैं शिया हूँ ,सुन्नियों में सुन्नी।
इन दिनों भारतीय पत्रकारिता में एक नया शब्द चल पड़ा है CIC यानी कास्टिस्ट इस्लामिक कम्युनल इनका संक्षिप रूप है सीआईसी। इसकी जनक ललिता निझावन हैं। पेशे से आप पत्रकारा हैं। बला का लिखतीं हैं मज़बून कोई भी हो। पत्रकारिता के असल मायने आप समझा रहीं हैं प्रिंट और इलेक्त्रोनी मीडिया के उस अंश को जो सदैव बिकने को आतुर रहता है। समझ लीजिये हम उनके ही प्रवक्ता हैं।
प्रवक्ता बनो तो किसी अच्छी सख्शियत के बनो भाई कांग्रेसी चिरकुट तो बहुत सारे हैं कहीं से एक ईंट दरक जाए वहां से तीस सुरजेवाला और तिवारी मनीष और इनके जैसे निकलेंगे।
आज भारत के सत्तापक्ष विरोधियों को भलीभांति इस शब्द सीआईसी से नवाज़ा जा सकता है। यानी पूरा प्रतिपक्ष सीआईसी पर टिका हुआ है इसी का टेका लगाए हुए हैं। लेकिन ये सारे गुण जिस एक एकल दल में हैं उसका नाम है नेहरुपंथी कांग्रेस। इसके अवशेष राहुल में ,ये तमाम गुण कूट -कूट कर भरे हैं।गांधी तो मैं इन्हें मानता नहीं।
जब चाहे इन्हें जातिवादी होने दिखने की सुविधा प्राप्त है जब चाहे इस्लामी और मनमर्जी से सांप्रदायिक।यहां तक की अब आध्यात्मिक।
आजकल इनके बारे में एक चुटकुला चल पड़ा है इनसे इल्क्ट्रोनि मीडिया के एक चैनलिये ने जब पूछा राहुल जी ये मानसरोवर क्या है। "बहुत बड़ा पहाड़ है "-ज़वाब मिला।
इस दल की अम्मा ने सत्ता का रिमोट संभालने से पहले एक बड़ा काम किया चर्च से किये गए वायदे को पूरा किया। सत्ता की चाबी फैंट में खोंसने के साथ ही इन्होने सनातन धर्म की सर्वोच्च आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक कांची काम कोटि पीठम के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को फ़र्ज़ी मामले बनवाकर कैद करवा दिया।
(ज़ारी )
शियों में मैं शिया हूँ ,सुन्नियों में सुन्नी।
इन दिनों भारतीय पत्रकारिता में एक नया शब्द चल पड़ा है CIC यानी कास्टिस्ट इस्लामिक कम्युनल इनका संक्षिप रूप है सीआईसी। इसकी जनक ललिता निझावन हैं। पेशे से आप पत्रकारा हैं। बला का लिखतीं हैं मज़बून कोई भी हो। पत्रकारिता के असल मायने आप समझा रहीं हैं प्रिंट और इलेक्त्रोनी मीडिया के उस अंश को जो सदैव बिकने को आतुर रहता है। समझ लीजिये हम उनके ही प्रवक्ता हैं।
प्रवक्ता बनो तो किसी अच्छी सख्शियत के बनो भाई कांग्रेसी चिरकुट तो बहुत सारे हैं कहीं से एक ईंट दरक जाए वहां से तीस सुरजेवाला और तिवारी मनीष और इनके जैसे निकलेंगे।
आज भारत के सत्तापक्ष विरोधियों को भलीभांति इस शब्द सीआईसी से नवाज़ा जा सकता है। यानी पूरा प्रतिपक्ष सीआईसी पर टिका हुआ है इसी का टेका लगाए हुए हैं। लेकिन ये सारे गुण जिस एक एकल दल में हैं उसका नाम है नेहरुपंथी कांग्रेस। इसके अवशेष राहुल में ,ये तमाम गुण कूट -कूट कर भरे हैं।गांधी तो मैं इन्हें मानता नहीं।
जब चाहे इन्हें जातिवादी होने दिखने की सुविधा प्राप्त है जब चाहे इस्लामी और मनमर्जी से सांप्रदायिक।यहां तक की अब आध्यात्मिक।
आजकल इनके बारे में एक चुटकुला चल पड़ा है इनसे इल्क्ट्रोनि मीडिया के एक चैनलिये ने जब पूछा राहुल जी ये मानसरोवर क्या है। "बहुत बड़ा पहाड़ है "-ज़वाब मिला।
इस दल की अम्मा ने सत्ता का रिमोट संभालने से पहले एक बड़ा काम किया चर्च से किये गए वायदे को पूरा किया। सत्ता की चाबी फैंट में खोंसने के साथ ही इन्होने सनातन धर्म की सर्वोच्च आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक कांची काम कोटि पीठम के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को फ़र्ज़ी मामले बनवाकर कैद करवा दिया।
(ज़ारी )
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