अनुज बधू भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी॥
भावार्थ :श्री रामजी ने कहा :हे मूर्ख सुन !छोटे भाई की स्त्री ,बहिन ,पुत्र की स्त्री और कन्या -ये चारों समान हैं।
इनको जो कोई बुरी दृष्टि से देखता है ,उसे मारने में कुछ भी पाप नहीं होता।
संदर्भ -सामिग्री :
धर्म हेतु अवतार गोसाईं ,मारेहु मोहे ब्याध की नाईं।
मैं बेरी सुग्रीव प्यारा ,औगुन कवन नाथ मोहे मारा।
(किष्किंधा काण्ड बाली भगवान राम से सवाल ज़वाब करता है भगवन आपने मु
झे क्यों मारा। )
हलाला एक दम एक विपरीत परम्परा है कुरीति है जिसे हलाला कहके जायज़ ठहराया जाता है। इसका मतलब साफ़ है यहां हलाला के हिमायती औरत को एक जिंस भोग्या मात्र मानते हैं उसे चाहे दूल्हा भोगे या दूल्हे के अब्बू (अब्बाजान ). उम्र का इस संबंध से कोई मतलब नहीं रखा जाता है। अब्बाजान चाहे नब्बे के पेटे में हों या उसके ऊपर।
यहां हरामी कोई नहीं है। सब हलाली हैं।
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अनुज बधू भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी॥ इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई। ताहि बधें कछु पाप न होई॥ (श्री रामजी ने ...
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