रविवार, 30 सितंबर 2018

छाड़ कपट नर अधिक सयानी , कहत कबीर भज सारंगपाणि।

कर्तुम अकर्तुम अन्यथा कर्तुम 

 न काहू कोई , सुख दुःख  दाता ,

निज कृत कर्म भोग सुन भ्राता। 

कबीर कहते हैं मनुष्य को करतबी ईश्वर पसंद है जो रिश्वत देने से साध लिया जाए। लड्डू देने से खुश हो जाए। करनी अकरनी ,गरज़ ये के कुछ भी करने की सामर्थ्य रखे है। सो ऐसा ईश्वर मन ने गढ़ लिया है। 

कबीर कहते हैं अपनी करनी के लिए मनुष्य स्वयं ही जिम्मेवार है। कोई ईश्वर उसे न दुःख देता है न सुख। करतम सो भोगतम। करोगे सो भरोगे।

कबीर वर्णव्यवस्था के प्रपंच पर कटाक्ष करते हैं।  

जन्मना जायते शूद्र ,संस्काराद भावेद द्विज ,विद्या ग्रहण ते ,विप्रा विप्रतम ,ब्रह्म जाणात ब्रह्मणा 

जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् द्विज उच्यते।
शापानुग्रहसामर्थ्यं तथा क्रोधः प्रसन्नता ।|31-34||


जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् द्विज उच्यते।
वेदाभ्यास भवति विप्र ब्रह्मम जानति ब्राह्मणः||


This shloka is given in Skanda Purana Vol.18 Book VI , Nagar Kanda , Chapter 239 , ( Efficacy of Adoration , Penance etc.) Verse 31-34

31 : A Man is no better than a sudra at his birth .He is called Brahmana (Twice Born) due to the consecration. The ability to curse and to bless, the state of being angry and pleased and the status of being the foremost in all three worlds occur only in Brahmana


This chapter is about adoration of Lord Vishnu is performed by means of Sixteen Upacharas. (Shodasopachara puja) (षोडशोपचार पूजा). This shloka is used in context of Achamana ,Yajnopavita , Dvija's. But the specific chapter talks about Devotion , Chatrumas puja and Panchyatana puja.

A Brahmin is compared with Shudra at his birth (just like a Shudra cannot able to learn Vedas throughout his entire life, a Brahmana also cannot learn until he undergoes Upanayana).
Then after he completed his Upanayana, he becomes a dwija, that is Samskara Bhaved Uchhyate.
So, this verse doesn't mean all humans are born Shudras.

जन्मते शूद्र पुनः गयी शूद्रा। कृत्रिम जनेऊ घाली जगधुदा।
By birth one become Shudra, Now blind Shudras Now again make dividing line among them. How futile. _By kabir
जन्मान जायते शूद्र। विप्रयत द्विज (ब्राह्मण)। Lo! Whoever took birth is Shudra. But by purification of mind and attaining Vedic knowledge by faith one become Dwija (Brahman) _ By Atri rushi
Buddha set this aside for vain ritual of casteism born from Vedic knowledge misunderstood by blind so called Kaliyuga duplicate Brahmin and said " By deeds one become brahmana."
Hence everyone should have faith in heart for Truth and become Brahman (cutting tie of birth n death) is the message behind the statement.

Everyone is born a shudra and by samskara one upgrades to dvija status.

कबीर ब्राह्मण और तुर्क दोनों को कटहरे में खड़ा करके पूछते हैं :

जो तू तुर्क तुरकणी  जाया ,पेट ही काहे न सुनत कराया। 

जो तू ब्राह्मण ब्राह्मणी जाया ,और राह ते क्यों नहीं आया। 

छाड़  कपट नर अधिक सयानी ,

कहत कबीर भज सारगपाणि। 

जो अपने हाथ में धनुष रखे वह सारंग पाणि है ,राम नहीं है अंतरात्मा है तुम्हारा ही चैतन्य  है।आत्मस्थित विष्णु स्वयं सत्ता है कबीर का सारंगपाणी।
कबीर कहते हैं जो मन वाणी से परे है लेकिन दोनों का प्रकाशक है मन को सोचने की सामर्थ्य  वाणी को सम्भाषण प्रदान करता है वह तुम्हारा ही आत्मा है तुम ही हो लेकिन जानने वाला वह आत्मा ही है इसलिए जो खुद देखता है उसे तुम कैसे देख सकते हो। वही तुम्हें देखने सोचने बूझने सुन ने की शक्ति देता है। वह चैतन्य तुम ही हो। तुम ही विष्णु हो सारंगपाणी हो। तुम ही धनुर्धर हो। 

गुणातीत के गायते आप ही गए गँवाय। 
माटी को तन माटी मिल गयो ,
पवन ए  पवन समाय।
कबीर ऐसा मानते हैं जीव ही सारे ज्ञान विज्ञान का स्वामी है।
जीव से अलग कोई और स्वामी नहीं।ईश्वर शब्द इसी जीव के लिए प्रयुक्त हुआ है आध्यात्मिक साहित्य में।कबीर के अनुसार ईश्वर काम काज की व्यवस्था है। ईश्वर कोई व्यक्ति नहीं है जो बैठा हुआ सब चला रहा है। 
चैतन्य के रूप में स्वामी के रूप में ईश्वर कबीर  यहां आत्मा है जो सबके अंदर में बैठा है। 
जगत की दृष्टि में नियम ईश्वर है। प्राकृतिक नियम। द्रव्य में गति स्वभाव सिद्ध है।कोई ईश्वर ऐसा नहीं है जो कृपाल हो सब कुछ चला रहा हो।       

सन्दर्भ -सामिग्री :

https://www.youtube.com/watch?v=4SIYYLXyT34



37 Ramaini-61-62 (21.8.95), SADGURU ABHILASH SAHEB, BIJAK PRAVCHAN, KABIR PARAKH SANSTHAN, ALLAHABAD, ... 



Sept. 30~ INTERNATIONAL TRANSLATION DAY आज अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस है

सुनीत जी आपका वाल पोस्ट पढ़ते पढ़ते चंद नाम जेहन में एक के बाद एक कौंधते चले गए -उसी क्रम में उनका उल्लेख कर रहा हूँ जिThe नके  अनुवाद कार्य के समक्ष मैं नतमस्तक हूँ एक जीवन में कोई कैसे इतना काम कर सकता है :

(१ )दारा शिकोह साहब :शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज़ महल के पुत्र दारा शिकोह ब्रह्म ग्यानी थे। आप कादरी सूफी संत मियाँ मीर के शिष्य थे। वेदों की दीक्षा लेने आप काशी भी पधारे थे। आपने वेदों के ज्ञान को फ़ारसी में अनूदित किया। ५५ उपनिषदों का आपने अरबी फ़ारसी में अनुवाद किया। फ्रेंच और जर्मन तर्जुमों के बाद यह ज्ञान अंग्रेजी के माध्यम से सारी दुनिया में फ़ैल गया। आपका काम "Sirre Akbar "सिर्रे अकबर The Greatest Mystery के नाम से मशहूर हुआ। उपनिषदों को 'किताब -उल -मकनून 'कहा गया। 

(२  )रांगेय राघव -शेक्स-पीयर को आप सबके सामने हिंदी में लाये। 

(३  )अभय चरण भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद जी: आपने भगवद गीता के अलावा श्रीमद भागवद पुराण के बारह स्कन्धों का अंग्रेजी में अनुवाद करने के साथ -साथ गौरांग प्रभु को प्रस्तुत किया। इनके तमाम काम का उल्लेख करने के लिए मुझे अपनी ही लाइब्रेरी में ही जुटाए  ग्रंथों को सरसरी तौर पर देखना पड़ेगा। 

(४  )एक बड़े काम को अंजाम दिया है :भुवन वाणी ट्रस्ट ,लखनऊ ने। फिलवक्त विनय कुमार अवस्थी जी इस ट्रस्ट को चला रहे हैं। सनातन धर्म के तमाम ग्रंथों के अलावा इस ट्रस्ट ने कुरआन शरीफ से लेकर श्रीगुरूग्रथ साहब जी ,श्री दशम गुरुग्रंथग्रंथ साहब इतर प्रांतीय भाषाओं के अध्यात्म साहित्य को हिंदी में उतारा है। 

चंद ग्रंथ मैंने इसी ट्रस्ट से जुटाए हैं जिनमें कुरआन शरीफ , आदि श्री  गुरुग्रन्थ साहब ,दशम ग्रन्थ आदिक प्रमुख हैं। इनमें से पहले ग्रंथ के अनुवादक डॉ मनमोहन सिंह जी सहगल ,दूसरे के डॉ.  जोध  सिंह जी रहे हैं। 

(५ )डॉ. नन्द लाल मेहता वागीश जी :मुझे इनके सहयोगी होने का सुअवसर मिला है। आपने गुरुगोविंद सिंह जी की आत्मकथा को हिंदी में अनूदित किया है। आपने  इसके अलावा भी अपने द्वारा  अनूदित किये कई ग्रन्थ मुझे भी भेंट किये हैं। निरंतर इस कार्य में जुटे हैं आज भी जब की वय में आप -मुझसे भी पांच बरस बड़े हैं। मूलतया आप शब्दों के अनुसंधान करता व्याकरण आचार्य (वैयाकरण पंडित हैं ),संस्कृति मंत्रालय के फेलो होने के अलावा हरियाणा ,उत्तरप्रदेश साहित्यअकादमी के सर्वोच्च पुरुस्कारों से आपको नवाज़ा जा चुका है। 
मुझे इनका 'शुक' होने का गौरव प्राप्त है। 

सन्दर्भ -सामिग्री :



Sept. 30~ INTERNATIONAL TRANSLATION DAY
आज अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस है
आज का दिन पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
यह बाइबिल का हिब्रू से लैटिन में अनुवाद करनेवाले संत जेरोम के दिन के रूप में मशहूर है। संत जेरोम को अनुवादकों का संरक्षक भी कहा जाता है। पहली बार 1991 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ट्रांसलेशन (फिट) ने उनके सम्मान में 30 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। प्रो. गोइनी बैंग और फिट की लोक संपर्क समिति ने अनुवादकों की निष्ठा और समर्पण को याद करने के उद्देश्य से इसे शुरू किया था। इस मौके पर दुनिया भर में अनुवाद के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
International Translation Day is meant as an opportunity to pay tribute to the work of language professionals, which plays an important role in bringing nations together, facilitating dialogue, understanding and cooperation, contributing to development and strengthening world peace and security.
On 24 May 2017, the General Assembly adopted resolution 71/288 on the role of language professionals in connecting nations and fostering peace, understanding and development, and declared 30 September as International Translation Day.
In preparation for collaboration with the United Nations in 2019, which has been declared International Year of Indigenous Languages, the FIT Council has selected as the theme for ITD 2018 ~Translation: promoting cultural heritage in changing times.

सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ )https://www.youtube.com/watch?v=7FeX1rLCvZs



बड़ा अनोखा हो गया राजनीति का भांड। जनता मुंह तकती रहे खुद ही खा लें खांड

Jai Prakash


चित्रकूट के घाट पर शह -ज़ादन की भीर ,

ममता जी चंदन घिसें माया लें तस्वीर।  

भारत भर में हो गए गली- गली शिव भक्त ,

रोटी सबको मिलेगी भैया दोनों वक्त। 

बड़ा अनोखा हो गया राजनीति का भांड। 

जनता मुंह तकती रहे खुद ही खा लें खांड। 

उठकर सुबह जापिये एक नाम राफेल ,

Sept. 30~ INTERNATIONAL TRANSLATION DAY आज अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस है

सुनीत जी आपका वाल पोस्ट पढ़ते पढ़ते चंद नाम जेहन में एक के बाद एक कौंधते चले गए -उसी क्रम में उनका उल्लेख कर रहा हूँ जिThe नके  अनुवाद कार्य के समक्ष मैं नतमस्तक हूँ एक जीवन में कोई कैसे इतना काम कर सकता है :

(१ )दारा शिकोह साहब :शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज़ महल के पुत्र दारा शिकोह ब्रह्म ग्यानी थे। आप कादरी सूफी संत मियाँ मीर के शिष्य थे। वेदों की दीक्षा लेने आप काशी भी पधारे थे। आपने वेदों के ज्ञान को फ़ारसी में अनूदित किया। ५५ उपनिषदों का आपने अरबी फ़ारसी में अनुवाद किया। फ्रेंच और जर्मन तर्जुमों के बाद यह ज्ञान अंग्रेजी के माध्यम से सारी दुनिया में फ़ैल गया। आपका काम "Sirre Akbar "सिर्रे अकबर The Greatest Mystery के नाम से मशहूर हुआ। उपनिषदों को 'किताब -उल -मकनून 'कहा गया। 

(२  )रांगेय राघव -शेक्स-पीयर को आप सबके सामने हिंदी में लाये। 

(३  )अभय चरण भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद जी: आपने भगवद गीता के अलावा श्रीमद भागवद पुराण के बारह स्कन्धों का अंग्रेजी में अनुवाद करने के साथ -साथ गौरांग प्रभु को प्रस्तुत किया। इनके तमाम काम का उल्लेख करने के लिए मुझे अपनी ही लाइब्रेरी में ही जुटाए  ग्रंथों को सरसरी तौर पर देखना पड़ेगा। 

(४  )एक बड़े काम को अंजाम दिया है :भुवन वाणी ट्रस्ट ,लखनऊ ने। फिलवक्त विनय कुमार अवस्थी जी इस ट्रस्ट को चला रहे हैं। सनातन धर्म के तमाम ग्रंथों के अलावा इस ट्रस्ट ने कुरआन शरीफ से लेकर श्रीगुरूग्रथ साहब जी ,श्री दशम गुरुग्रंथग्रंथ साहब इतर प्रांतीय भाषाओं के अध्यात्म साहित्य को हिंदी में उतारा है। 

चंद ग्रंथ मैंने इसी ट्रस्ट से जुटाए हैं जिनमें कुरआन शरीफ , आदि श्री  गुरुग्रन्थ साहब ,दशम ग्रन्थ आदिक प्रमुख हैं। इनमें से पहले ग्रंथ के अनुवादक डॉ मनमोहन सिंह जी सहगल ,दूसरे के डॉ.  जोध  सिंह जी रहे हैं। 

(५ )डॉ. नन्द लाल मेहता वागीश जी :मुझे इनके सहयोगी होने का सुअवसर मिला है। आपने गुरुगोविंद सिंह जी की आत्मकथा को हिंदी में अनूदित किया है। आपने  इसके अलावा भी अपने द्वारा  अनूदित किये कई ग्रन्थ मुझे भी भेंट किये हैं। निरंतर इस कार्य में जुटे हैं आज भी जब की वय में आप -मुझसे भी पांच बरस बड़े हैं। मूलतया आप शब्दों के अनुसंधान करता व्याकरण आचार्य (वैयाकरण पंडित हैं ),संस्कृति मंत्रालय के फेलो होने के अलावा हरियाणा ,उत्तरप्रदेश साहित्यअकादमी के सर्वोच्च पुरुस्कारों से आपको नवाज़ा जा चुका है। 
मुझे इनका 'शुक' होने का गौरव प्राप्त है। 

सन्दर्भ -सामिग्री :



Sept. 30~ INTERNATIONAL TRANSLATION DAY
आज अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस है
आज का दिन पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
यह बाइबिल का हिब्रू से लैटिन में अनुवाद करनेवाले संत जेरोम के दिन के रूप में मशहूर है। संत जेरोम को अनुवादकों का संरक्षक भी कहा जाता है। पहली बार 1991 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ट्रांसलेशन (फिट) ने उनके सम्मान में 30 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। प्रो. गोइनी बैंग और फिट की लोक संपर्क समिति ने अनुवादकों की निष्ठा और समर्पण को याद करने के उद्देश्य से इसे शुरू किया था। इस मौके पर दुनिया भर में अनुवाद के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
International Translation Day is meant as an opportunity to pay tribute to the work of language professionals, which plays an important role in bringing nations together, facilitating dialogue, understanding and cooperation, contributing to development and strengthening world peace and security.
On 24 May 2017, the General Assembly adopted resolution 71/288 on the role of language professionals in connecting nations and fostering peace, understanding and development, and declared 30 September as International Translation Day.
In preparation for collaboration with the United Nations in 2019, which has been declared International Year of Indigenous Languages, the FIT Council has selected as the theme for ITD 2018 ~Translation: promoting cultural heritage in changing times.

पानी में मीन प्यासी रे ...

मेरा परम निदान मुझसे अलग है बाहर है। दूर के ढोल सुहावने लगते हैं। आदमी अपने पास से नहीं दूर से संतुष्ट होता है। लोग ब्रह्म को ,श्रेष्ठ -चेतन को भूल गए। जड़ चेतन सबको ईश्वर मान लिया गया। लोग ब्रह्म के वास्तविक स्वरूप को भूल गए। ब्रह्म का मतलब है महान श्रेष्ठ। उपनिषदों में चार महावाक्यों में कहा गया है ब्रह्म का स्वरूप :

मैं ब्रह्म हूँ -उत्तम पुरुष (अहंब्रह्मास्मि )

मैं श्रेष्ठ हूँ -अयं  आत्मा ब्रह्म -ये आत्मा ही ब्रह्म है 

वही तू है - तत् त्वं असि  (मध्यम पुरुष )

ये आत्मा ब्रह्म है -अन्य पुरुष 

ज्ञान ही ब्रह्म है। - प्रज्ञानं ब्रह्म 

ये बातें लोग भूल गए हैं। श्रेष्ठ तत्व को भूल जाने से रास्ता दूसरा हो गया।मान लिया ब्रह्म कहीं अलग है जड़ चेतन को मिलाकर ब्रह्म है।ब्रह्म है लेकिन हमारी समझ गलत है। बाहर ब्रह्म खोजने की बात -रोवो ,गाओ , नाँचो ब्रह्म को रिझाओ ... भक्त यही कर रहा है।  

दो दो अक्षरों को मिलाकर कहा नाम जपो ,राम जपो , .... 

नाम जप आदि मन के निग्रह के लिए ठीक है लेकिन अंतिम तो 'नामी' को समझना है 'नामी' कौन है। फिर भी कुछ लोग ''ज्योत''/ज्योति  में अटक गए कुछ नाम जप में। जबकि ज्योत तो आपका दृश्य है आप उसके दृष्टा है , साक्ष्य है ज्योति , जिसके साक्षी तुम ही हो।  

ब्रह्म को बाहर खोजना है यह बात फ़ैल गई। सनत ,सनन्दन ,सनत कुमार (सनकादिक ऋषियों )ने भी इसे मान  लिया। वेद ,कतैब (कुरआन ,इंजील आदिक )ग्रंथों का ,प्रसार हुआ। ब्राह्मण (शतपथ ,गौ ब्राह्मण आदिक )लिखे  गए।पुराण ,उप -पुराण ,उपनिषद लिखे गए।  

मन अगम अपार में फ़ैल गया माने अनियंत्रित हो गया। 

'फ़ैल गइल मन अगम अपारा '

पृथ्वी के लोग दुखों से भयभीत होकर दसों दिशाओं में  भागे चले जा रहें हैं ,कैलाश काशी ,काबा ,बदरीनाथ आदिक। 
सत्य ,मोक्ष ,परमात्मा निर्भय स्थान खोजते हैं। निर्भय स्थल 

कहाँ से पावे मनुष्य ?

दौड़ना छोड़ संतों के पास जाओ समझो और मन को स्थिर करो। फिर शांति के लिए औषधि मिल गई। 

जो जीवन को क्षणिक समझा वही मुक्त है। जो चित्त को चंचल नहीं करता है उसका कल्याण है इधर उधर दौड़ों मत। अपना चेतन स्वरूप ही मालिक है लेकिन मनुष्य का मन कल्पनाओं में दौड़ता है। 'स्वरूप भाव' गया और बस नरक। जो आत्मा में प्रेम करता है आत्मा में संतुष्ट होता है उसके लिए कुछ करना बाकी नहीं। 
हंस की गति ज्ञान की तरफ होती है। विवेकी कर्म काण्ड में नहीं पड़ता। 
'पूरब दिशा हंस गति होइ ' 
आत्म ज्ञान की  ओर  चलता है विवेकी। 
जिसको मैं सोचता हूँ वह मैं ही हूँ -यही हंस का अर्थ है। हंस का मतलब जीव चेतन। 

भक्त लोग भक्ति का श्रृंगार करते ही रह गए बीच धार में डूब गए। नांच गाकर किसी बाहरी देव को ही रिझाते रहे। 
स्व : स्वरूप में स्थिर होना ही पराभक्ति है गुरु यही कराता है। 

गुरु से ज्ञान मिला नहीं इसीलिए जीव आज अपने स्वरूप को भूलकर बाहर भटकता है। 

आतम  ज्ञान बिना नर भटके कोई मथुरा कोई काशी रे ..... 

इच्छा करके दुःख से भरे हो और सुख खोजते हो। इच्छा त्यागो। कुछ खोजने  की फिर जरूरत ही नहीं है। जिसे तुम खोज रहे हो वह तुम ही हो। 

बिना गुरु ज्ञान के द्वंद्व में भटक रहे हो। 

कहाँ खसम ठहराए हो ?

सन्दर्भ -सामिग्री :

शीर्षक :पानी में मीन प्यासी रे  ... 

Kabir was a 15th century mystic poet, who composed poems in a pithy and earthy style, fused with imagery. His poems cover various aspects of life and call for a loving devotion for God. In this song, Kabir beautifully explains how to attain enlightenment in a simple and devoted way.

(१ )https://www.youtube.com/watch?v=h33YJ7zQ_dc

(२ )https://www.youtube.com/watch?v=W4NTfnRxKT4&list=PLgXAaYytyNTQF2JbeuOg6UpSdQn-EKOIh&index=5



शनिवार, 29 सितंबर 2018

भारत भर में हो गए गली- गली शिव भक्त , रोटी सबको मिलेगी भैया दोनों वक्त।

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2COMMENTS
Rahul Gandhi, In Madhya Pradesh, Visits Famous Ram Temple In Chitrakoot
In Madhya Pradesh for poll campaign, Rahul Gandhi prayed at the famous Kamta Nath temple in Chitrakoot
CHITRAKOOT: 
Congress president Rahul Gandhi began a two-day visit to poll-bound Madhya Pradesh today with prayers at the Kamta Nath temple in Satna district's Chitrakoot.
Mr Gandhi reached Chitrakoot, a religious town closely associated with Lord Ram, from Allahabad by helicopter and stayed in the temple premises for about half-an-hour, where he prayed.
The Kamta Nath temple is located on the forested hill of Kamadgiri where, according to mythology, Lord Ram stayed during his exile.
Mr Gandhi addressed a corner meeting at Chitrakoot before leaving in a helicopter to Satna city, where he addressed a public meeting.
Mr Gandhi was accompanied by Madhya Pradesh Congress president Kamal Nath, state party campaign committee chairman Jyotiraditya Scindia and Leader of Opposition in MP Assembly Ajay Singh.
The Congress chief is scheduled to hold a roadshow in Rewa later this evening.
On Friday, Mr Gandhi will travel by bus to address public meetings at Saipur Mod, Baron, Baikunthpur, Lalgaon and Chunari villages across Rewa and Satna, party leaders.
The Congress has been out of power in Madhya Pradesh since 2003.
During his earlier visit on September 17, Rahul Gandhi held a roadshow in Bhopal after performing a puja and taking blessings from 11 priests.
He had visited the state after returning from the Kailash Mansarovar yatra, which he undertook to pay obeisance to Lord Shiva.
2 COMMENTS
Ahead of Mr Gandhi's last visit, posters were put up in Bhopal, calling him a 'Shiv bhakt' (devotee of Lord Shiva).

Veeru Sahab


to meveerusahab1947
चित्रकूट के घाट पर शह -ज़ादन की भीर ,

ममता जी चंदन घिसें माया लें तस्वीर।  

भारत भर में हो गए गली- गली शिव भक्त ,

रोटी सबको मिलेगी भैया दोनों वक्त। 

बड़ा अनोखा हो गया राजनीति का भांड। 

जनता मुंह तकती रहे खुद ही खा लें खांड। 
उठकर सुबह जापिये एक नाम राफेल ,

वोट मिले या न मिले ये सत्ता का  खेल। 

भारत भर में हो गए गली- गली शिव भक्त , रोटी सबको मिलेगी भैया दोनों वक्त।

अच्छे दिन अब आ गए गली गली में शोर ,

रामकृष्ण- शिवमय हुई ,भारत भर की भोर। 

चित्रकूट के घाट पर शह -ज़ादन की भीर ,

ममता जी चंदन घिसें माया लें तस्वीर।  

भारत भर में हो गए गली- गली शिव भक्त ,

रोटी सबको मिलेगी भैया दोनों वक्त। 

बड़ा अनोखा हो गया राजनीति का भांड। 

जनता मुंह तकती रहे खुद ही खा लें खांड। 

उठकर सुबह जापिये एक नाम राफेल ,

वोट मिलें  या न मिलें चलता रहे  ये   खेल। 

उन्नीस में मिट जायेगा नेहरुवी अवशेष ,

कविताओं में बांचिये कुंबाई बहुभेष। 

nanakjio.blogspot.com

veerubhai1947.blogspot.com

सुनो सभै मिल तात ,राहुल भी करने लगे कविताओं में बात।

चित्रकूट के घाट पर शहजादन की भीड़ ,



मायावत चंदन घिसें ,ममता लें तस्वीर। 

अखिलेश्वा माला जपें ,ये -चरि 'सीता -राम' 

राफेल राफेल बोलिये मिल के सुभो -शाम। 

भली करेंगे राम ,रहिये बिध जिस  राखें ,

मोह ममता  माया मिलकर सब त्यागें। 

और कह ढोला कबिराय किसी का बुरा न कीजे ,

कैसा भी हो काम हिय से सौ फीसद कीजे। 

शीर्षक :

सुनो सभै मिल तात ,राहुल भी करने लगे कविताओं में बात।

लेबल्स :राफेल ,राहुल ,ये -चरि  सीताराम ,मया ममता  अखिलेश्वा