नेहरूवंश के चार अवशेष क्रमश :श्रीमती सोनिया नेहरू -राहुल नेहरू -प्रियंका नेहरू -राबर्टवाड्रा झूठ का पिटारा हैं (श्रीमती मेनका और वरुणगांधी को तो ये चारों नेहरू वंश का अवशेष मानते ही नहीं हैं )य़े चारों ही इस वक्त खुद तो चुप्पी साढ़े हैं , लेकिन झूठ बोलने के लिए इन्होनें जयराम रमेश ,सुरजेवाला जैसों को छोड़ा हुआ है। ये झूठ बोलने का धारावाहिक सिलसिला तब भी जारी है जबकि हंसराजरहबर की किताब -नेहरू बे -नकाब के चुनिंदा अंश इन दिनों पुन : चर्चा में हैं। जिसमें इनके प्रधान पुरुष नेहरू द्वारा बोला गया झूठ बारहा उजागर हुआ है।
ज़नाब जवाहर लाल नेहरू महात्मा गांधी के कंधे पे चढ़के प्रधानमन्त्री बने थे। जबकि १५ में से १२ राज्य सरदार पटेल के पक्ष में थे। सरदार पटेल गांधी जी की शेष भारत के लोगों की तरह ही बेहद इज़्ज़त करते थे उन्होंने सहर्ष उप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री बनना स्वीकार कर लिया था।लेकिन नेहरू झूठ पर झूठ बोले जा रहे थे। इसीक्रम को आगे बढ़ाते हुए ज़नाब ने एक पत्र तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी को इस आशय का लिखा कि कांग्रेस कार्यसमिति के बहुलांश सदस्य राजगोपालाचार्य को राष्ट्रपति बनाना चाहते हैं। इन लोगों में नेहरू ने सरदार पटेल को भी शामिल बतलाया।
राजेन्द्रजी नेहरू और सरदार दोनों को जानते थे। नेहरू की औकात और महत्वकांक्षाओं से भी वाकिफ थे। बात सरदार तक भी पहुंची। सरदार ने नेहरू को फटकारा नेहरू खिसियाकर बोले आपका उल्लेख उस पत्र में गलती से हुआ है।
कुछ तो नेहरू के इन कथित वंशधरों को भी शर्म आनी चाहिए जो अभी भी अपने प्रवक्ताओं से लगातार नए नए झूठ बुलवा रहें हैं.
नवीनतम झूठ है :धौलपुर का महल वसुंधरा राजे ने कब्ज़ा लिया था यह राजस्थान सरकार की संपत्ति थी। तथ्य यह है वसुंधराजी धौलपुर की महारानी थीं।
जिस कांग्रेस के प्रधान पुरुष नेहरू ने हद दर्ज़े के घटिया काम किये हों नेताजी सुभाष के परिवार की खुफियागिरी करवाई हो शहीदे आज़म भगत सिंह पे नज़र रखवाई हो ,कश्मीर का मामला अपनी आलमी छवि चमकाने की फिराक में यूएनओ में लेजाकर उलझाया हो उसके इन नामशेष अवशेषों को अब झूठ बुलवाये जाने से बाज़ आना चाहिए। बाद में ये प्रवक्ता भी सोनिया के उकसाने पर अपने द्वारा बोले गए झूठ पर बगलें झांकेंगे इसमें हमें ज़रा भी संदेह नहीं है। ईश्वर इन प्रवक्तानुमा लोगों को सद्बुद्धि दे इनकी हिफाज़त करे।
जैश्रीकृष्णा।
ज़नाब जवाहर लाल नेहरू महात्मा गांधी के कंधे पे चढ़के प्रधानमन्त्री बने थे। जबकि १५ में से १२ राज्य सरदार पटेल के पक्ष में थे। सरदार पटेल गांधी जी की शेष भारत के लोगों की तरह ही बेहद इज़्ज़त करते थे उन्होंने सहर्ष उप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री बनना स्वीकार कर लिया था।लेकिन नेहरू झूठ पर झूठ बोले जा रहे थे। इसीक्रम को आगे बढ़ाते हुए ज़नाब ने एक पत्र तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी को इस आशय का लिखा कि कांग्रेस कार्यसमिति के बहुलांश सदस्य राजगोपालाचार्य को राष्ट्रपति बनाना चाहते हैं। इन लोगों में नेहरू ने सरदार पटेल को भी शामिल बतलाया।
राजेन्द्रजी नेहरू और सरदार दोनों को जानते थे। नेहरू की औकात और महत्वकांक्षाओं से भी वाकिफ थे। बात सरदार तक भी पहुंची। सरदार ने नेहरू को फटकारा नेहरू खिसियाकर बोले आपका उल्लेख उस पत्र में गलती से हुआ है।
कुछ तो नेहरू के इन कथित वंशधरों को भी शर्म आनी चाहिए जो अभी भी अपने प्रवक्ताओं से लगातार नए नए झूठ बुलवा रहें हैं.
नवीनतम झूठ है :धौलपुर का महल वसुंधरा राजे ने कब्ज़ा लिया था यह राजस्थान सरकार की संपत्ति थी। तथ्य यह है वसुंधराजी धौलपुर की महारानी थीं।
जिस कांग्रेस के प्रधान पुरुष नेहरू ने हद दर्ज़े के घटिया काम किये हों नेताजी सुभाष के परिवार की खुफियागिरी करवाई हो शहीदे आज़म भगत सिंह पे नज़र रखवाई हो ,कश्मीर का मामला अपनी आलमी छवि चमकाने की फिराक में यूएनओ में लेजाकर उलझाया हो उसके इन नामशेष अवशेषों को अब झूठ बुलवाये जाने से बाज़ आना चाहिए। बाद में ये प्रवक्ता भी सोनिया के उकसाने पर अपने द्वारा बोले गए झूठ पर बगलें झांकेंगे इसमें हमें ज़रा भी संदेह नहीं है। ईश्वर इन प्रवक्तानुमा लोगों को सद्बुद्धि दे इनकी हिफाज़त करे।
जैश्रीकृष्णा।
1 टिप्पणी:
हंसराज रहबर की '''नेहरू बेनकाब'' और ''गांधी बेनकाब'' किताब कांग्रेसियों ने मार्किट से ही उठवा दी। इसमें तो नेहरू और गांधी दोनों का चिट्ठा पूरी तरह खोला गया हो और जो सच भी है। ये किताबें पढ़ीं तो नहीं पर किसी वरिष्ठ साहित्याकार से जो साहित्यकारों की गुटबाजी से अलग-थलग पड़ा है, से इनके बारे में ज्ञात हुआ है। कांग्रेसियों की औकात ही यही है कि इन्हें झूठ बोलना और नौटंकी करना अाता है। और इनका रहनुमा मीडिया जिसके बारे में लोग सब कुछ जान चुके हैं, अब भी बाज नहीं अा रहा है इनके झूठ और नौटंकियों को फ्रंटलाइन समाचार बनाने से।
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