तोते को अब तो दूसरा वाक्य सिखाओ
शकील अहमद (बिहार )साहब फरमाते हैं :मोदी को कांग्रेसी तोते द्वारा प्रयक्त 'सूट बूट की सरकार सम्बोधन 'का ज़वाब देने में पूरा डेढ़ महीना लग गया। भाई जान डेढ़ महीने में माँ अपने तोतले बच्चे को भी दूसरा जुमला (वाक्य )सिखला देती है। आपका मंद बुद्धि तोता अभी पहले वाक्य पर ही अटका हुआ है। अब तो उसे दूसरा वाक्य सिखला दो। तोते की माँ तो पचास साल में भी हिंदी नहीं सीख सकी इसमें तोते का क्या दोष। जैसा बीज वैसा फल समझे ज़नाब शकील अहमद साहब।
शकील अहमद साहब और दिग्विजय सिंह जी जल्दी करो तोते की सुईं सूट बूट की सरकार पर अटक गई है।
खुदा हाफ़िज़ !
शकील अहमद (बिहार )साहब फरमाते हैं :मोदी को कांग्रेसी तोते द्वारा प्रयक्त 'सूट बूट की सरकार सम्बोधन 'का ज़वाब देने में पूरा डेढ़ महीना लग गया। भाई जान डेढ़ महीने में माँ अपने तोतले बच्चे को भी दूसरा जुमला (वाक्य )सिखला देती है। आपका मंद बुद्धि तोता अभी पहले वाक्य पर ही अटका हुआ है। अब तो उसे दूसरा वाक्य सिखला दो। तोते की माँ तो पचास साल में भी हिंदी नहीं सीख सकी इसमें तोते का क्या दोष। जैसा बीज वैसा फल समझे ज़नाब शकील अहमद साहब।
शकील अहमद साहब और दिग्विजय सिंह जी जल्दी करो तोते की सुईं सूट बूट की सरकार पर अटक गई है।
खुदा हाफ़िज़ !
5 टिप्पणियां:
हंसी आती है इनका दिवालियापन देखने के बाद ...
राम राम जी ...
विरेन्द्र जी सबसे पहले तो इतने दिनों बाद, विलंब से आपके लिखे हुए को पढ़ने के लिए क्षमा चाहता हूँ। आप एक अकेले समीक्षक हैं, जिन्होंने कांग्रेसियों की सही नस पकड़ रखी है। वरना यहां तो कई लोग ऐसे हैं, जिन्हें कांग्रेस से सीधे-सीधे तो कोई नागरिक लाभ नहीं मिलते,पर उसके धर्मनिरपेक्ष लबादे के भोंथरे दर्शन से वे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं और इसी में वे कांग्रेस की विचारधारा को महान बताते हैं, ये जाने बिना कि इस धर्मनिरपेक्षता के चक्कर में असल धर्म और इसके अनुयामी इतने उलझे हुए उल्लू बन गए हैं कि गाय के मांस खाना छाती ठाेककर स्वीकार करते हैं। (अच्छे दिनों) के जुमले को भी ये तोते की तरह रटे जा रहे हैं।
रोचक विषय
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
क्या बात है। सत्ता हाथ से निकल जाने के बाद पार्टी की हालत बेहद पतली नजर आ रही है।
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