रविवार, 17 नवंबर 2013

अध्यात्म क्षेत्र की शुचिता के अवतार,अध्यात्म जगत सूर्य को सजल प्रणाम

अध्यात्म जगत सूर्य को सजल प्रणाम 

प्रणाम !प्रणाम !


जगद्गुरुकृपालु महाराज से पूर्व जगत गुरु होने का सौभाग्य चार आचार्यों 

को मिला था। वे अपने अपने अध्यात्म जगत के सूर्य थे।सदियों के बाद ये 

ऐसे अध्यात्म भास्कर उदित हुए जिन्हें वेद ,पुराण ,स्मृति ग्रन्थ अन्य 

शास्त्र ,षड दर्शन और अध्यात्म दर्शन के अन्य सभी शिखर ग्रन्थ न 

केवल 

कंठस्थ थे बल्कि उनके मर्म का उदघाटन करने में जो सिद्धस्थता उन्हें 

प्राप्त थी  उन जैसा विद्वान पिछले सौ वर्षों में नहीं पैदा हुआ है। वे न 

केवल विद्वत्ता के उच्च शिखर पर थे बल्कि भक्ति रसावतार के पूर्ण 

पुरुष भी थे। राधा भाव की भक्ति करते हुए वे प्राय :भाव समाधि में चले 

जाते थे। 

वेदांत के साथ भक्ति भाव विवेचन अध्यात्म क्षेत्र का एक विरला संयोग 

है। जो उन्हें पूर्ण ब्रह्म की ओर से वरदान रूप में प्राप्त था। ऐसे पुण्य पुरुष 

युगों के बाद कभी अवतरित होते हैं। उनको सुनने देखने वाले हम सभी 

भाग्यवान हैं।ऐसे युगपुरुष हमारे उपस्थित वर्तमान के आशीर्वाद के रूप में 

हमारी दृष्टि विषय बने  . 

 http://www.youtube.com/results?search_query=kripalujimaharaj&sm=3

Did you mean: kripaluji maharaj
  1. Jagadguru Shree Kripaluji Maharaj speech on Corruption [with English subtitles]

    Shree Maharajji has very nicely explained in this lecture the reason why in spite of such holiness and worships in our country and ...


7 टिप्‍पणियां:

आशीष अवस्थी ने कहा…

आदरणीय ये मेरा दुर्भाग्य रहा कि मैं कभी श्री गुरुजी के सानिध्य में बैठ न पाया , लेकिन सौभाग्य से उनकी एक अनुयायी के सानिध्य में एकबार उनके श्रीमुख से दिव्य प्रवचन प्राप्त कर चुका हूँ , धन्यवाद
" जै श्री हरि: "

रविकर ने कहा…

सतत प्रणाम-
इस दिव्य ज्योति को-
सादर

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

नमन ...विनम्र श्रद्धांजलि

Unknown ने कहा…

कोटि कोटि नमन, पावन दिव्य ज्योति को

Arvind Mishra ने कहा…

एक रिक्तता आयी भारत के अध्यात्म जगत में -श्रद्धांजलि!

मन के - मनके ने कहा…

सतत प्रणाम

Vaanbhatt ने कहा…

सदगुरू को नमन...