जीवन शैली रोग कैंसर से बचा जा सकता है .
कैंसर
एक रोग समूह है जिसकी नव्ज़ हमारे खान- पान, रहनी- सहनी ,कुलमिलाकर
आधुनिक भ्रष्ट जीवन शैली से जुडी है .जीवन शैली में बदलाव लाकर कैंसर रोग
समूह के ३० %मामलों से बचे रहा जा सकता है .विश्व -कैंसर दिवस (तीन फरवरी
,२०१२ )को यही उदगार विश्व -स्वास्थ्य संगठन ने व्यक्त किये हैं .
तमाबाकू और शराब का सेवन इस रोग समूह के वजन को बढाने वाला एक बड़ा जोखिम है ,रिस्क फेक्टर है .
अलावा
इसके खुराक में फल और तरकारियों की कमी ,जीवन शैली में अवकाश के लिए अवकाश
का न मिल पाना इस रोग समूह के जोखिमों में शुमार है .
अकेले
तम्बाकू का सेवन आलमी (भूमंडलीय स्तर )पर इस रोग समूह के लिए सबसे बड़ा
जोखिम है जो इस रोग समूह से होने वाली कुल मौतों में से २२%मौतों की वजह बन
रहा है .
अलावा इसके लंग कैंसर से आलमी
स्तर पर होने वाली मौतों में भी इसकी हिस्सेदारी ७१ %है .संयुनक्त राष्ट्र
स्वास्थ्य संस्था का यही कहना, मानना है .
ज़ाहिर
है तम्बाकू के सेवन को पूर्ण विराम देकर कैंसर से होने वाली मौत की दर को
कमतर किया जा सकता है .एक सिरे पर आपका शौक है दूसरे पर जीवन की गुणवत्ता
.देखना आपको है आप किसे तरजीह देतें हैं .
राम राम भाई !
आज का नीतिपरक दोहा /उक्ति :
आज रविदास जी की जयंती है उसी पर विशेष :
'मन चंगा ,तो कठौती में गंगा '
कहतें
हैं संत रविदास के शिष्य उन्हें गंगा स्नान पर ले जाना चाहते थे लेकिन
अपने कर्म को समर्पित रविदास जी गंगा स्नान को नहीं गए ,कठौती का वह गंदा
जल जिसमे वह राती लगाकर जूता बनाते थे वही उनके लिए गंगा जल था क्योंकि
उन्होंने वायदा किया था उस रोज़ जूता बनाके देने का .रवि दास जी ने कहा-मैं
उसे जूते बनाके न दे सका तो वचन भंग होगा .वचन का पालन ही उनका सबसे बड़ा
धर्म था .और इसीलिए अपने इसी धर्म को समर्पित रविदास जी गंगा स्नान नहीं गए
.
आज के नेता वचन भंग करने में माहिर हैं .
उनका लिखा एक और पद है -
प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी ,गुरु दिग्विजय इसका नया संस्करण प्रस्तुत करते होंगे मन ही मन -
राहुलजी तुम चन्दन हम पानी ,
राहुलजी तुम दीपक हम बाती,
स्तुति गान करू दिन राती ,
राहुलजी तुम दीपक हम बाती ....राम राम भाई !
राहुल गांधी और काले झंडे .
राहुल गांधी और काले झंडे .
राहुल गांधी और काले झंडे .
श्रीमान ! राहुल गांधी को काले झंडे
दिखलाने का क्या अर्थ है इसे बूझने के लिए उनके सदगुरु दिग्विजय सिंह को
कोई शब्द कोष देखने की ज़रुरत नहीं है .काले झंडे काले धन का प्रतीक हैं
.जनता चाहती है काला धन निकालो जो स्विस बैंक में राहुल गांधी के नाम फूल
कर कुप्पा हो रहा है .जनता राहुल को भगाना नहीं चाहती चुनाव सभा से,सुनना
चाहती है .भगाना ही चाहती तो लाल कपड़ा दिखाती (मंद मति ,अश्थिर ,अन
-स्टेबिल प्राणी ,भैंसे आदि को भगाने के लिए लाल कपड़ा हिलाया जाता है
)काला झंडा तो बस एक प्रतीक है ,जन अभिव्यक्ति है .दिग्विजय भी
यही चाहते हैं काला धन बाहर आये .यदि नहीं तो वह भी कोंग्रेसी कार्यकर्ताओं
के साथ काला झंडा दिखाने वालों को कूटने के लिए आगे क्यों नहीं आते .उनके
चेहरे को देख कर लगता है उफान आ रहा है भरे पड़े हैं कुछ कहना चाहतें हैं कह
नहीं पा रहें हैं .
10 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया आलेख!
बिगडती जीवन शैली का ही परिणाम है , डायबिटीज , हृदय रोग और कैंसर जैसे रोगों में वृद्धि।
sahi kaha aapne yadi ham thoda sa sochen to jeevan sudhar sakta hai
rachana
मन प्रसन्न रखना ही होगा..
जीवन की गुणवत्ता को तरजीह देना ही बेहतर है ....
मन चंगा ,तो कठौती में गंगा 'के संदर्भ में भी संत रविदास का कथन एक दम सही !और दिग्गी राजा के उपर आप की पेरोडी भी एक दम फिट :-))
दिल वालों की दिल्ली में आप का स्वागत !
राम-राम वीरू भाई !
दराल साहब की बात से सहमत (केवल इसीलिए नहीं कि वे स्वयं चिकित्सक हैं ☺)
सच है सेहत के प्रति सजगता ज़रूरी है, वो भी मन से ....
आपने भी संत रविदास जी की चर्चा दिग्गी राजा के साथ कर दी और उनका मान बड़ा दिया ... पर मज़ा आया पूरा पढ़ के ...
हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति हमेशा जागरूक रहना चाहिए ...प्रभावी आलेख
बहुत सुन्दर एवं उम्दा आलेख! बढ़िया लगा !
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