मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

जानकारी :(किस कदर)बे -तहाशा पिघलें हैं दुनिया भर के हिमनद ?


 पिघलते हिमनदों से (२००३-२०१० )की छोटी सी अवधि में किस कदर  हिम का सफाया हुआ है इसका जायजा लिया है  'ग्रेविटी रिकवरी एंड क्लाइमेट एक्सपेरिमेंट' (GRACE)ने .ग्रेस नाम है उस सांझा उपग्रह एक्सपेरिमेंट का जिसमें अमरीकी अन्तरिक्ष संस्था 'नासा 'और जर्मनी सरकार की संयुक्त भागेदारी रही है .
उपग्रहों की इस अति -विशिष्ठ जोड़ी ने नदारद होती हिम टोपियों दुनिया भर के लगातार पिघलते हिमनदों का मोनीतरण (MONITORING)  किया है .
गत दशक में हिमनदों से जितना पानी लापता हुआ है उससे ब्रिटेन की सबसे बड़ी झील ' WINDERMERE' को १३,००० बार लबालब भरा जा सकता .'ग्रेस' ने पृथ्वी के हिमगोल(FROZEN CRYOSPHERE)का विस्तृत आकलन किया है .दुनिया भर की हिम चादरें ,हिम टोपियाँ इस दरमियान बे -तहाशा पिघलीं हैं .फलस्वरूप एक हज़ार घन मील (CUBIK MILE) हिम का सफाया हो चुका है .
इसी के चलते ठीक इसी अवधि में दुनिया भर के समुन्दरों में जल का स्तर आधा इंच ऊपर उठ गया है .दूसरे शब्दों में हर साल डेढ़ मिलीमीटर जल स्तर ऊपर आया है . 
जल के तापीय प्रसार से उठने वाला स्तर इससे अलहदा है .जिसकी वजह सागरों का गर्माता जल, बढ़ता तापमान बन रहा है .
पता यह भी चला है ग्रीन लैंड और एंटार्कटिका के बाहर जो पर्बतीय हिम नद और हिमतोपियाँ हैं वह उतनी नहीं पिघलीं थीं जितना पूर्व के आकलनों ने दर्शाया था .इन बाहरी हिम नदों से इसी दरमियान कुल १४८ अरब टन हिम गायब हुआ है .ग्रीन लैंड और अन्टार्कटिका से गायब हिम राशि इस से अलहदा है .
ग्रीन लैंड और एंटार्कटिका के सीमान्त क्षेत्र से     ८० अरब टन हिम राशि गायब हुई है .अब इस  सबको जोड़ लीजिए .तस्वीर कुछ और साफ़ हो जायेगी .
पिघलाव ज़ारी है .उक्त अध्ययन विज्ञान साप्ताहिक 'नेचर 'में प्रकाशित हुआ है .
'INDEPENDENT ' अखबार  ने इसे बड़ी खबर बनाया है .
सन्दर्भ -सामिग्री :Eye in the sky reveals water loss from melting glaciers./TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,NEW -DELHI,P23.  
जानकारी :(किस कदर)बे -तहाशा  पिघलें हैं दुनिया भर के हिमनद ?      

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जो भी स्थूल था, गतिमयता सब पिघलाने में लगी है।