सच का ताप न सह सकी कांग्रेस
जिनके गुरूजी अफजल हों ,साधू संतों में में जिन्हें कोई गुरु ही न मिले ,ऐसे कांग्रेस के सुरजेवाला नुमा प्रवक्ता सोच के भगोड़े संसद छोड़कर भाग गए ईरानी के सच की आंच को सह न सके। जबकि कश्मीरियों में गुरु सरनेम किसी का नहीं है।
लेकिन कहाँ तक भागेगी कांग्रेस अभी तो और सवाल पूछे जायेंगें।पूछा उनसे भी जाएगा जो इशरत जहां को अपने घर की बेटी बतलाते हैं। जिनकी बेटी आतंकवादी हो उनका बाप देश की सुरक्षा के लिए कितना बड़ा कमीना होगा। अब जबकि सच सामने आ चुका है इशरत जहां आतंकवादी थी जिसका इस्तेमाल तत्कालीन मुख्यमंत्री गुजरात को मारने के लिए एक खतरनाक षड्यंत्र के तहत किया जाना था। कोई अपराधी बच न पाये सुप्रीम कोर्ट सुओ मोटो पहल करके इन्हें न्यायालय तक लाये। ऐसा भारत की जनता का मानना है।
रोहित वेमुला को मौत के मुंह तक ले जाने वालों की भी परेड कराई जाए। जिनमें हैदराबादी ओवेसी बंधू ही शामिल नहीं रहें हैं तमाम मार्क्सवादी फासिष्ट तथा कांग्रेस के असली शहजादे मुख्य भूमिका में रहे हैं।
संसद में असली शहजादे दाढ़ी बढ़ाके बैठे थे नकली शहजादे की बगल में (सुनते हैं आजकल ये नकली शहजादे ही असली मतिमंद का भाषण लिखकर रिहर्सल करवाते हैं।) ईरानी जब बोलीं तो ये असली नकली दोनों संसद छोड़कर ऐसे भागे जैसे गधे के सिर से सींग। सच का ताप न तो कांग्रेसी सह सके न रक्तरंगी लेफ्टिए जो आजकल मुस्लिम कट्टरपंथ की गोद में मौज़ ले रहे हैं।
भागने नहीं देगी इन्हें भारत की जनता संसद से।भागो कहाँ तक भागोगे।
जिनके गुरूजी अफजल हों ,साधू संतों में में जिन्हें कोई गुरु ही न मिले ,ऐसे कांग्रेस के सुरजेवाला नुमा प्रवक्ता सोच के भगोड़े संसद छोड़कर भाग गए ईरानी के सच की आंच को सह न सके। जबकि कश्मीरियों में गुरु सरनेम किसी का नहीं है।
लेकिन कहाँ तक भागेगी कांग्रेस अभी तो और सवाल पूछे जायेंगें।पूछा उनसे भी जाएगा जो इशरत जहां को अपने घर की बेटी बतलाते हैं। जिनकी बेटी आतंकवादी हो उनका बाप देश की सुरक्षा के लिए कितना बड़ा कमीना होगा। अब जबकि सच सामने आ चुका है इशरत जहां आतंकवादी थी जिसका इस्तेमाल तत्कालीन मुख्यमंत्री गुजरात को मारने के लिए एक खतरनाक षड्यंत्र के तहत किया जाना था। कोई अपराधी बच न पाये सुप्रीम कोर्ट सुओ मोटो पहल करके इन्हें न्यायालय तक लाये। ऐसा भारत की जनता का मानना है।
रोहित वेमुला को मौत के मुंह तक ले जाने वालों की भी परेड कराई जाए। जिनमें हैदराबादी ओवेसी बंधू ही शामिल नहीं रहें हैं तमाम मार्क्सवादी फासिष्ट तथा कांग्रेस के असली शहजादे मुख्य भूमिका में रहे हैं।
संसद में असली शहजादे दाढ़ी बढ़ाके बैठे थे नकली शहजादे की बगल में (सुनते हैं आजकल ये नकली शहजादे ही असली मतिमंद का भाषण लिखकर रिहर्सल करवाते हैं।) ईरानी जब बोलीं तो ये असली नकली दोनों संसद छोड़कर ऐसे भागे जैसे गधे के सिर से सींग। सच का ताप न तो कांग्रेसी सह सके न रक्तरंगी लेफ्टिए जो आजकल मुस्लिम कट्टरपंथ की गोद में मौज़ ले रहे हैं।
भागने नहीं देगी इन्हें भारत की जनता संसद से।भागो कहाँ तक भागोगे।
2 टिप्पणियां:
असल में तो ये यब भागेंगे जब देश की जनता इनको रसातल में पहुंचाएगी ... जागो देश जागो ...
देश के लोगो जागो अभी से मन को मजबूत करना होगा ... छोटे छोटे आपसी मतभेद तो सुलट लेंगे अगर देश बचेगा ... इस लिए पहले ऐसे गद्दारों को बाहर निकालो जो देश को बांटना चाहते हैं ...
साधुओं (तथाकथित) में से गुरु भी मिले हैं, धीरेन्द्र ब्रह्मचारी की तरह के !
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