सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

आरक्षण के आलोक में :वर्णआश्रम व्यवस्था

आरक्षण के आलोक में :वर्णआश्रम व्यवस्था 

ब्राह्मण ,क्षेत्रीय ,वैश्य और शूद्र ये चार वर्ण बतलाये गए हैं। तथा ब्रह्मचर्य (बाल्यकाल और कैशोर्य अवस्था ,यानी पढ़ने -लिखने ,पठन ,पाठन की  अवधि ) ,ग्राहस्थ्य (युवावस्था से प्रौढ़ावस्था ),वानप्रस्थ और संन्यास ये चार अवस्थाएं (स्टेजिज़ ,आश्रम )बतलाये गए हैं।

ब्राह्मण उसे कहा गया है जिसने ब्रह्म को जान लिया है। इसका कुलगोत्र-जाति से सम्बन्ध नहीं माना गया है। कर्म प्रधान व्यवस्था है यहां -जो वेदपाठी है श्रोत्रिय है जिसने  श्रुतियों का मर्म जान लिया है और उसे अन्यों को समझा रहा है वह ब्राह्मण है।

जो प्रशासन और देश की रक्षा में संलग्न है वह क्षत्रीय है। (जाट इस कर्मप्रधान व्यवस्था के तहत क्षत्रीय हैं ,खासकर हरियाणा में जहां वे आगे  बढ़के लीड कर रहें हैं राजनीति और प्रशासन को ).देश की सुरक्षा की वह रीढ़ बने हुए हैं। देश के  परमशौर्य के प्रतीक माननीय जनरल दलबीर सिंह सुहाग  जी जाट हैं। 


वैश्य वह है जो खेती करता है पशुपालन करता है। व्यापार करता है लोगों को पेट भरने के साधन उपलब्ध करवाता है।

और शूद्र उल्लेखित वर्गों की सेवा के लिए नियुक्त था। सेवा ही उसका धर्म समझा गया है।

परहित सरिस धर्म  नहीं भाई ,

परपीड़ा सम नहीं अधमाई। 

(दूसरो के हित के लिए कार्य करना सबसे बडा धर्म है,


एवं दूसरो को हानि पहॅंचाना सबसे बडा पॅाप है)

इन चारों वर्णों में सामजस्य था। बड़े छोटे का भेदभाव नहीं था। सामाजिक समरसता और अनुशासन को बनाये रखने के लिए ये समाज के चार खम्भे माने गए थे। 

लेकिन यह व्यवस्था जड़ नहीं थी गत्यात्मक थी। ब्राह्मण परिवार में पैदा ऐसा बालक जो वेदज्ञान से शून्य रहा आया है शूद्र है। द्विज है।

शूद्र बालक जो वेदपरायण है ब्राह्मण हो सकता है इस व्यवस्था के तहत। महर्षि वेदव्यास शूद्र से ब्राह्मण  हो जाते हैं ,विश्वामित्र इस गत्यात्मकता के उदाहरण हैं। विश्वामित्र कभी ब्राह्मण हो जाते हैं कभी  क्षेत्रीय।

कृष्णा का मानव रूप में पूर्णअवताररूप जाट ही समझो।

द्रोण आचार्य क्षत्रीय ही कहे जायेंगें हालांकि वे ब्राह्मण थे। युद्धकला प्रवीण थे। और भारत ही क्यों दुनिया भर के तमाम देशों में आज भी  यही कर्मप्रधान व्यवस्था है।

जातिगत वर्ण विभाजन शाश्त्र सम्मत नहीं है। सामाजिक विचलन है।

इस आलोक में हमारा जाट वर्ण श्रेष्ठि वर्ग माना  जा सकता है ,पिछड़ा तो यह कहीं से भी नहीं है। आगे बढ़के लीड कर रहा है। करता रहे इसी प्रत्याशा के साथ।

जैश्रीकृष्णा।


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