इस्लामिक कट्टरपंथ की गोद में खेलने वाले मार्क्सवाद के टुकड़खोर बौद्धिक गुलाम इन्हीं के हाथों एक दिन मारे जाएंगे। इन्हें तब या तो जबरिया इस्लाम क़ुबूल करना पड़ेगा वगरना गैर -इस्लामियों के खून का सिलसिला इन्हीं से शुरूहोगा। क़ानून की नज़र में रोहित वेमुला का मामला भले आत्महत्या का रहा हो लेकिन उस मासूम को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों की तरफ ठेलने वाले ये ही बौद्धिक भकुए थे। जेएनयू (जनेऊ )की दामाद अब ये बौद्धिक गुलाम नहीं रहे है वह स्थान कट्टरपंथी इस्लाम के हाथों आ गया।
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