शनिवार, 11 अक्तूबर 2008

अच्छी बात तो अच्छी ही कहलाएगी

चाहे फिर वो किसी के भी श्री मुख से निकले । इस मायने मैं केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्री भारत सरकार बधाई के पात्र हैं उन्होंने एक सामाजिक मुद्दे को उठाया है । हमें बड़ा अजीब लगा जब एक अंग्रेजी अखबार के सम्पादक ने श्री रामोदास के बारे मैं कहा:स्मोकर्स के लिए वो आतंकवादी हैं। यदि इसी तर्क को आगे बढाया जाए तब मुंबई मैं राज ठाकरे जो अपने चाचा जान से आगे निकलने की नाकामयाब कोशिश कर रहे हैं वहाँ रह रहे उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के लिए आतंकवादी हैं। हमारा मानना है यह आतंकवाद के वजन को कम करने की साजिश है । धुर्म्पान एक सामजिक बुराई है ,सोशल एविल है । धुम्रपानी अपने धुएक के साथ चुपके से किसी के पर्सनल स्पेस मैं प्रवेश करता है और साड़ी फिजा को गंधा देता है ,सौंदर्या बोध का सत्यानाश कर देता है जबकि एक अगरबत्ती सारे वातायन को सुवासित कर देती है एक दफा का किस्सा है पूर्व रास्त्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद नो से नदी पार कर रहे थे उनके दायें तरफ एक अंग्रेज बैठा हुआ स्मोकिंग कर रहा था राजेंद्रा जी ने कहा :महोदया ये सिगेरेत्त आपकी है अंग्रेज ने हाँ मैं सर हिलाया राजेंद्र जी ने कहा फिर ये धुंआ भी अपने पास रखिये विश्वस्वस्थ्य संघटन ने एक नारा दिया था :यू कैन स्मोक अस लॉन्ग अस यू दो नोट एग्झेल । धूम्र्पानियों को और कहा भी क्या जाए :भाई साहब शौक़ से सिग्रेत्ते पीजिये लेकिन सिर्फ़ अपने फेफडो से । यू इन्टरनेट के ज़माने मैं सिगरेट के नुक्सानात बताना सूरज को लालटेन दिखाने के समान है फिर भी हम इतना जरूर कहेंगे की लंबे समय तक किया गया धूम्रपान युवाओं मैं स्पर्म काउंट को घटाता है धीरे धीरे पीनाइल आर्टरी को चोक कर देता है नतीजा होता है नपुंसकता फिर पीनैल इम्प्लांट लगवाते दोलो । युवतियों मैं गर्भास्त को बेत्रेह असर ग्रस्त करता है कम वजन के मरियल बच्चे पैदा होते हैं यानी प्रीमिज । ३६हफ़्ते से पहले पैदा हुए इन बच्चों को कृत्रिम गर्भाशेय यानी इन्चुबेटर मैं रखना पड़ता है ये टू वही बात हुई करे कोई भरे कोई । मतलब करे जुम्मा और पिटे मुल्ला । कॉल सेंटर कल्चर दुर्भाग्य से युवतियों मैं भी निकोटिन की लत दाल रही है । आज हम जो कुछ करते हैं उसका खामियाजा आइन्दा आने वाली नसले क्यूँ भुगते । मंत्री रामोदास ने अगर धूम्रपान को रोकने का बीडा उठाया है तो इसमे हम सबका सहयोग अपेक्षित है अकेला चना क्या भाद झोंकेगा। इम्तेहान हमारा है की हम कितना क़ानून प्रिय हैं.

2 टिप्‍पणियां:

Vikram ने कहा…

बहुत दिनों के बाद हिन्दी मैं कुछ अच्छा पढने को मिला | आपने लिखने के लिए जो भी विषय चुने हैं वो बहुत ही उपयोगी हैं | मैं कोशिश करूँगा की आप के ब्लॉग को अक्सर पढ़ सकूँ और ज्यादा लोगों को इसके बारे मैं बता सकूँ.|
बहुत बहुत शुक्रिया |

virendra sharma ने कहा…

vikramji visay vastu to hamaare netagan mohaiyya karate hain hamaari kya bisaat.