स्वास्थय विज्ञानी,खुराक विज्ञानी तथा चिकित्सविद हमें बारहा खबरदार कर रहे हैं :बच्चों ,बड़ों सभी की तंदरूस्ती के लिए ३ टाइम का नियमित और स्वस्थ्याकर भोजन जरूरी है। यह भी ,जीवन शैली रोग की बुनियाद बचपन का गलत खान पान और खान पान सम्बन्धी आदतें ही बनती हैं।
स्कूली बच्चों के लिए to हैल्थ फ़ूड के रूप मैं नाश्ता और भी जरूरी है । जो बच्चे सुबह नाश्ता नहीं करते उनका कक्षा मैं सीखने समझने सम्बन्धी कोशांक (लर्निंग कोशेंट )ही कम नहीं रहता ,परीक्षा मैं भी यह बच्चे पीछे रह जाते हैं। कारण जब आप सुबह का नाश्ता स्किप करते हैं दोपहर की खाने की छुट्टी मैं ही सब कुछ खाते पीते हैं तब जरा हिसाब लगाइए:रात का खाना खाने के बाद से लंच तक आपका दिमाग ग्लूकोस के रूप मैं कितने घंटों तक एनेर्जी से वंचित रहता है। ऐसे मैं आपका ब्लड शुगर लेवल भी गिर जाता है जिसका सीधा असर क्लास मैं आपके पर्फोर्मांस पर पड़ता है ,पढने के दौरान आपका ध्यान भंग होता है ,अटेन्सन लोस होता है। भूखे पेट आप चिद चिडे दीखते हैं । अतेह सुरुचिकर स्वादिष्ट विविधरूपा ब्रकेफास्त आपके लिए बेहद जरूरी है। जिसमे पूरिस (दलिया ,कोर्न्फ्ल्र्क्स ओट्स ,भरमा रोटी,सफ़ेद मख्खन घर के दूध दही से निकला हुआ ,आपकी रुचि का कोई फल जरूर हो,एक ग्लास दूध भी हो आपके एपेताईट के अनुरूप छोटा या बड़ा गिलास दूध।
दोपहर के स्कूली टिफन मैं सतरंगी सलाद (लाल,पीली,शिमला मिर्च,बेल पेपर ग्रेट की हुई विलायती गाजर,मूली चुकंदर,हरी मिर्च,सलाद पत्ता आदि मौसम के अनुरूप कुछ भी पसंदीदा सब्जी के साथ ,। और हाँ साथ मैं एक टुकडा पैनाप्प्ले केला, संतरा,सेब,कुछ भी जो आपको पसंद हो मोटे आते की रोटी के साथ जरूर हो। कभी मिक्ससब्जी कभी अंडे की भूजी या फिर उबला हुआ आलू ,शकरकंद कुछ भी जो आको अच्छा लगे। बट्टर मिल्क यानी छाछ को शामिल कीजिये लंच मैं जो हर तरेह का नमकीन या फिर मीठा पोल्य्पैक मैं भी मिलता है ।
रात के डिनर मैं एक चीज आप अपनी पसंद की जरूर बनवाये । खाना खाते समय खाने के रंग रूप स्वाद और गंध पर ध्यान दे .ईदिअत बॉक्स पर नहीं फिर देखिये अपना स्वास्थय रंग रूप ,नूर और क्लास मैं ऊपर जाता स्कोर ।
रोज़ रोज़ का देशी विदेशी फास्ट फ़ूड केनेद जूसेस ,समोसा खस्ता कचोरी। पीजा बर्गेर चिप्स ,फ़िनगेर चिप्स,मक दोनाल्दी पाक ब्रकेफास्त आपके ऊपर चर्बी चढ़ाएगा । एक पीजा मैं पूरा १०० ग्राम चीज होता है तथा एक कटोरी फ्राइड नमकीन मैं २ कटोरी आयल होता है। तो भाई साहब थोडा sवास्त्या सचेत बने स्वास्त्या रहिये स्वास्थय दिखिये आप चाहे तो पुरे घर का खान पान बदल सकते हैं.
रविवार, 12 अक्तूबर 2008
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2 टिप्पणियां:
आपने सही लिखा है, परंतु अधिसंख्य भारतीय बालगोपालों के लिए दो वक्त की रोटी भी महफूज नहीं. हाल ही में मध्यप्रदेश में कुपोषण से बालगोपालों के मरने की खबरें आई थीं...
sharma g koi coment hi nhin deta hmare blog par. ki kita jave
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