सोमवार, 13 अक्तूबर 2008
अमर सिंह और राष्ट्रीय एकता
राष्ट्रीय एकता परिषद् में जैसे ही अमसर सिंह को शामिल किया गया उन्होंने एजेंडे से आतंकवाद को ही नादारद करवा दिया जबकि समाजवादी पार्टी में गांधी और लोहिया पर लिखने वाले मोहन सिंह जैसे विचारक मौजूद थे, इसे कांग्रेस का कौशल ही कहा जायेगा कि राष्ट्रीय एकता और अमर सिंह को एक जगह ला खड़ा किया। ये तो भला ही श्रीमती सुषमा स्वराज तथा बी जे पि के अन्य महानुभावों का जिन्होंने प्रधान मंत्री को पत्र लिख कर आखरी लम्हों में आतंकवाद को एजेंडे में डलवाया। राष्ट्रीय एकता परिषद् में पूर्व सांसद एवं मंत्री आरिफ मोह्हमद खान साहब को छोड़ कर एक पश्चगामी कदम उठाया गया, आरिफ साहब राष्ट्र वादी हैं, कॉम कि आवाज़ हैं, वे होते तो उन काफिरों को इस्लाम कि मुख्यधारा में ले आते, और मोहम्मद साहब कि शिक्षाओं को शर्मसार होने से बचा लेते लेकिन इंसपेक्टर महेश चंद्र शर्मा कि शहादत को सवालिया बनाने वाले अमर सिंह को परिषद् का सदस्य बनाया गया। देशवासिओं को ऐसे परिदृश्य पर शर्म आती है, ऐसे लडेंगे आप आतंकवाद से ? परिषद् की बैठक के बाद प्रधान मंत्री ने वही रटा रटाया जुमला दोहराया : आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला करेंगे। लगा गृह मंत्री की आत्मा उनकी काया में प्रवेश कर गई। आतंकवादियों से आप लड़ सकते हैं लेकिन उस आतंकवाद से कैसे लडेंगे जिसके पोषक सरकार को टेका लगाए हुए हैं। आश्चर्य इस बात का है के अफसल गुरु को एकता परिषद् में क्यों नही लिया गया ?
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