चार उचक्के चालीस चोर ,अम्मा इनकी सीना ज़ोर
हुआँ हुआँ का मचा है शोर ,गीदड़ ,श्यार,लोमड़िया मोर।
लोमड़िया को माँ कहते वो कहने दो ,
झूठ नहीं वो कहते उनको कहने दो।
धन के हाथों गिरवीं हैं अपने सब क़ानून ,
निर्बल को कांटे मिलें ,सबल कू मिलें प्रसून।
हुआँ हुआँ का मचा है शोर ,गीदड़ ,श्यार,लोमड़िया मोर।
लोमड़िया को माँ कहते वो कहने दो ,
झूठ नहीं वो कहते उनको कहने दो।
धन के हाथों गिरवीं हैं अपने सब क़ानून ,
निर्बल को कांटे मिलें ,सबल कू मिलें प्रसून।
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