झूठबोलकर देश को कलंकित करने में कांग्रेस केजर -वाल की माँ है या फिर ....
उस वेला जबकि पाकिस्तान का एक नामचीन अखबार भी बे -लाग होकर सच को सच कह रहा है नरेंद्र दामोदर मोदी को हीरो और शरीफ को ज़ीरो कह रहा है ये अराजकमल केजरवाल कहते हैं मोदी हाथ में कटोरा लेकर विदेशों में भीख मांग रहे हैं।
दा नेशन अखबार कहता है मोदी जहां भी जाते हैं सबको सम्मोहित कर लेते हैं अपनी वाक्माधुरी से ,फिर चाहें वह देश जापन हो या ऑस्ट्रेलिया और अमरीका। अपने शरीफ साहब अपनी बात तक ठीक से नहीं कह पाते।
इधर ये असत्यानन्द केजरवाल मोदी को सीख देते हुए कहते हैं पहले मेक इंडिआ की बात करो मेक इन इंडिआ तो अपने आप हो जाएगा।
आप जैसे पाकिस्तान विचार धारा से भी गए बीते लोग यदि इस देश की जनता द्वारा चुनाव पत्र द्वारा विदा कर दिए जाए तो ये काम पलक झपकते ही हो जाए। काठ की हंडिया एक ही मर्तबा चढ़ती है केजर।
झूठ बोलने और देश को कलंकित करने में कौन किससे आगे है "आप " और कांग्रेस में हमें भी ठीक से नहीं मालूम। कांग्रेस 'आप 'की माँ है या आप उसकी अगली पीढ़ी ?
https://www.youtube.com/watch?v=17HIk6bG804
http://publication.samachar.com/topstorytopmast.php?sify_url=http://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/PM-Narendra-Modi-conquers-Silicon-Valley
https://www.youtube.com/watch?v=3wco-84rnq8
http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/politics/statekejriwal-questions-modis-foreign-visits/articleshow/49153490.cms
मोदी ने 'फतह 'की सिलिकॉन वैली :अमरीकी मीडिया
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के सिलिकॉन वैली में जोरदार स्वागत और तकनीकी दिग्गजों से मुलाक़ात को अमरीकी मीडिया ने भी जमकर सराहा है। भारतीय अमरीकियों की ओर से मोदी का शानदार ग्रैंड रिसेप्शन किये जाने पर अमरीका के प्रतिष्ठित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि मोदी ने 'तकनीक के मक्का' को फतह कर लिया।
वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा मोदी की सिलिकॉन यात्रा किसी भी भारतीय नेता की गत बीस सालों में पहली यात्रा है। 'सिलिकॉन वैली 'दुनिया के देशों के लिए आज एक ज़रूरी डेस्टिनेशन बन गया है।
गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियां भारत में अपना कारोबार जमाने के होड़ में हैं।
उस वेला जबकि पाकिस्तान का एक नामचीन अखबार भी बे -लाग होकर सच को सच कह रहा है नरेंद्र दामोदर मोदी को हीरो और शरीफ को ज़ीरो कह रहा है ये अराजकमल केजरवाल कहते हैं मोदी हाथ में कटोरा लेकर विदेशों में भीख मांग रहे हैं।
दा नेशन अखबार कहता है मोदी जहां भी जाते हैं सबको सम्मोहित कर लेते हैं अपनी वाक्माधुरी से ,फिर चाहें वह देश जापन हो या ऑस्ट्रेलिया और अमरीका। अपने शरीफ साहब अपनी बात तक ठीक से नहीं कह पाते।
इधर ये असत्यानन्द केजरवाल मोदी को सीख देते हुए कहते हैं पहले मेक इंडिआ की बात करो मेक इन इंडिआ तो अपने आप हो जाएगा।
आप जैसे पाकिस्तान विचार धारा से भी गए बीते लोग यदि इस देश की जनता द्वारा चुनाव पत्र द्वारा विदा कर दिए जाए तो ये काम पलक झपकते ही हो जाए। काठ की हंडिया एक ही मर्तबा चढ़ती है केजर।
झूठ बोलने और देश को कलंकित करने में कौन किससे आगे है "आप " और कांग्रेस में हमें भी ठीक से नहीं मालूम। कांग्रेस 'आप 'की माँ है या आप उसकी अगली पीढ़ी ?
https://www.youtube.com/watch?v=17HIk6bG804
PM Modi's speech at the Indian Community reception at SAP Centre San Jose, California
http://publication.samachar.com/topstorytopmast.php?sify_url=http://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/PM-Narendra-Modi-conquers-Silicon-Valley
https://www.youtube.com/watch?v=3wco-84rnq8
http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/politics/statekejriwal-questions-modis-foreign-visits/articleshow/49153490.cms
मोदी ने 'फतह 'की सिलिकॉन वैली :अमरीकी मीडिया
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के सिलिकॉन वैली में जोरदार स्वागत और तकनीकी दिग्गजों से मुलाक़ात को अमरीकी मीडिया ने भी जमकर सराहा है। भारतीय अमरीकियों की ओर से मोदी का शानदार ग्रैंड रिसेप्शन किये जाने पर अमरीका के प्रतिष्ठित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि मोदी ने 'तकनीक के मक्का' को फतह कर लिया।
वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा मोदी की सिलिकॉन यात्रा किसी भी भारतीय नेता की गत बीस सालों में पहली यात्रा है। 'सिलिकॉन वैली 'दुनिया के देशों के लिए आज एक ज़रूरी डेस्टिनेशन बन गया है।
गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियां भारत में अपना कारोबार जमाने के होड़ में हैं।
1 टिप्पणी:
भाई वीरे्न्द्र कुमार शर्मा जी।
आपकी छवि प्रबुद्ध और प्रखर लेखक की थी। लेकिन आजकल आपको क्या हो गया है?
पार्टी विशेष का समर्थक होना अच्छी बात है लेकिन अन्धभक्त होना अच्छा नहीं है।
आपने तो "आपका ब्लाग" में "सात समुन्दर पार जा चुकी मोदी लहर को इस चुतियापे से कोई आंच न आएगी और बल ही मिलेगा -मेरे भाई ये देवनागरी में समझ लो" जैसे शीर्षक लगाने का क्या औचित्य. था?
कम से कम शोभनीय भाषा का प्रयोग तो करना ही चाहिए था।
क्या यही आपकी लेखनशैली की शोभनीय भाषा है?
इसीलिए मुझे भारी मन से आपको "आपका ब्लॉग" विदा करना पड़ा।
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