ये आउल बाबा सूझबूझ वाले प्रधानमन्त्री को ही सूट बूट वाला समझते हैं। अम्मा (माता )इनकी नज़र में सिर्फ जैविक माता ही होती है इसलिए इन्हें जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी का अर्थ नहीं पता है।(रामायण में यह श्लोक भगवान राम ने लक्षमण जी के सामने युद्ध में रावण को हराने के बाद बोला है (देखें वाल्मीकि रामायण )
"अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी"
पडोसी नेपाल देश का तो यह नेशनल मोटो ही है। जननी व्यक्ति को उसे जन्मदिन वाली अपनी जैविक माँ से भी ज्यादा प्यारी होती है।
अपनी एक चुनाव सभा में ये कल कह रहे थे मुझे एक किसान ने बतलाया -किसान की दो माताएं होतीं हैं एक जो उसे जन्म देती है और दूसरी उसकी जमीन। इससे पहले इन्हें ये बात नहीं मालूम थी यहां तक तो ठीक ये समझते थे ये औरों को भी नहीं मालूम है इसलिए ये साझा कर रहे थे इस बात कोअपनी चुनाव सभा में ।
इस मंद मति को तो वन्देमातरम का मतलब भी नहीं मालूम। यकीन न हो तो कोई पत्रकार पूछ देखे।
इस बालक को चाहिए अपनी जैविक माँ का ध्यान रखे भारत माता सूझबूझ वाली सरकार के हाथों में सर्वथा सुरक्षित हैं ।
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