Shekhar Gemini ने Ramesh Mehta की चित्र साझा की.
ये तो बैंकों की मल्लिका है इसकी टोह
तो दुनियाभर के बैंक भी न जाने
जिसका अंत कबीर नहीं पा सके उसका अंत फ़कीर क्या पा सकेंगे। इस
महाठगिनी के बारे में हज़ारों बरसों से संत सुजान और ग्यानी ध्यानी भी
नहीं जान सके अब उस पर क्या टिप्पणी की जाए सिवाय इसके कि
समय
बदल गया है नाम बदल गया है पर महाठगिनी वही की वही है अब रूप
बदल के बाहर से दिल्ली में आ बैठी है। बेचारे मल्लिकार्जुन खड्गी की
क्या
औकात यहां तो बाबा कबीर भी कह गए हैं माया महाठगिनी हम जानी।
उन्होंने लगभग ६०० बरस पहले इसी ठगिनी के बारे में कह दिया था।
जब
सारी बात कबीर भी नहीं कह सके तो उस पर अब फ़कीर क्या कहेंगे
जिसका अंत कबीर नहीं पा सके उसका अंत फ़कीर क्या पा सकेंगे। इस
महाठगिनी के बारे में हज़ारों बरसों से संत सुजान और ग्यानी ध्यानी भी
नहीं जान सके अब उस पर क्या टिप्पणी की जाए सिवाय इसके कि
समय
बदल गया है नाम बदल गया है पर महाठगिनी वही की वही है अब रूप
बदल के बाहर से दिल्ली में आ बैठी है। बेचारे मल्लिकार्जुन खड्गी की
क्या
औकात यहां तो बाबा कबीर भी कह गए हैं माया महाठगिनी हम जानी।
उन्होंने लगभग ६०० बरस पहले इसी ठगिनी के बारे में कह दिया था।
जब
सारी बात कबीर भी नहीं कह सके तो उस पर अब फ़कीर क्या कहेंगे
ये तो साक्षात माया है राजनीति की (Political Maya personified )बार टेंडर बनके जिसने बड़े बड़ों का तप भंग किया हैं :
माया की गति माया ही जाने
कबीर दास ने गाया है :
माया महा ठगिनी हम जानि ,तिरगुन फांस लिए करि डोले बोले मधुरी बाणी
केसव के कमला होए बैठी ,शिव के भवन भवानी ,
पंडा के मूरत होए बैठी ,
तीरथ में भई पानी।
जोगी के जोगिन होइ बैठी ,राजा के घर रानी ,
काहू के हीरा होए बैठी ,काहू के कौणी काणी ,
भगतन के भगतन होए बैठी, ब्रह्मा के ब्रह्माणी ,
कहत कबीर सुनो हो संतो ,यह सब अकथ कहानी ,
माया महा ठगिनो हम जानि।
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