सोमवार, 3 नवंबर 2014

चिदानंद रूप : शिवोहम शिवोहम

आत्मषट्कम /निर्वाणषटकम् 

मनोबुध्यहंकार चित्तानि नाहं ,

न च श्रोत्रजिव्हे न च घ्राण नेत्रे ,

न च व्योमभूूमिर्न तेजो न वायु :

चिदानंद रूप : शिवोहम शिवोहम।

I am neither the mind ,nor the intellect ,nor the ego ,nor the mind -stuff ;

I am neither the body ,nor the changes of the body ;I am neither the senses of hearing ,taste ,smell or sight ,

Nor  am I the ether ,the earth ,the fire ,the air ;I am Existence Absolute ,Knowledge Absolute ,Bliss

Absolute ; I am He,I am He.(Shivoham ,Shivoham ).

न तो मैं मन हूँ और न बुद्धि न ही तो मैं अहंकार (The feeling of I ) हूँ न ही मैं  चित (memory ,recalling the memory

is chit ) हूँ। न मैं देह हूँ न देह में

निरंतर होने वाले परिवर्तन न ही मैं श्रवण ,स्वाद ,गंध ,रूप -रंग (तन्मात्राएँ ,इन्द्रियों के विषय से सम्बन्ध रखने वाला )हूँ।

न ही मैं  आकाश ,वायु ,अग्नि ,जल और पृथ्वी (पांच महाभूत )हूँ।

मैं सनातन अस्तित्व हूँ। विश्वज्ञान हूँ (परम ज्ञान हूँ ,सर्वज्ञान हूँ ),परमआनंद हूँ (सच्चिदानंद हूँ ). सत्यम ज्ञानम् अनन्तं हूँ

मैं।मैं ही शिव हूँ मैं ही शिव हूँ।



न च प्राणसंज्ञो न वै पञ्चवायुः ,

न वा सप्तधातुर्न वा पञ्चकोश:.

न वाक् पाणिपादौ न चोपस्थपायू

चिदानंद रूप: शिवोहम्  शिवोहम्।


I am neither the Prana ,nor the five vital airs ; I am neither the materials of the body nor the five sheaths ;

Neither am I the organs of action , nor object of senses;

I am Existence Absolute ,Knowledge Absolute ,Bliss Absolute ; I am He (Shivoham ,Shivoham ).

न मैं प्राण हूँ न शरीर में व्याप्त पांच वायु कोष (पान ,अपान ,उदान ,व्यान ,समान),न तो मैं देह के पदार्थ (आकाश ,वायु

,अग्नि ,जल ,पृथ्वी ,रक्त मॉस मज्जा ,पित्त ,वायु ,कफ )ही हूँ न पांच कोष  (अन्नमय कोष ,प्राणमय कोष ,मनोमय कोष

,विज्ञानमय कोष ,आनंदमय कोष ).

न मैं कर्मेन्द्रियाँ  (हाथ ,पाँव ,गुदा ,मुख ,जनेन्द्रियां )हूँ न ज्ञानेन्द्रियाँ (आँख ,कान ,नाक ,मुख ,त्वचा )

मैं सनातन अस्तित्व हूँ ,परम ज्ञान हूँ ,परमआनंद हूँ। मैं ही शिव हूँ ,मैं ही शिव हूँ।


न मे द्वेषरागौ न मे लोभमोहौ

मदो नैव मे नैव मात्सर्यभाव: .

न धर्मो न चार्थो न कामो न मोक्ष :

चिदानंद रूप :  शिवोहम् शिवोहम्।


I have neither  aversion nor attachment ,neither greed nor delusion ; Neither egotism nor envy ,Neither

Dharma nor Moksha; I am neither desire nor objects of desire ; I am Existence Absolute ,Knowledge

Absolute ,Bliss Absolute ; I am He .(Shivoham ,Shivoham ).

न मैं राग हूँ न ही तो मैं द्वेष हूँ ,न लोभ हूँ न मोह ,न मैं मद हूँ न ही ईर्ष्या ,न मैं धर्म हूँ न मोक्ष न काम। मैं वासना (desire

)हूँ न

वासना

(काम या

कैसी भी इच्छा )के विषय।

मैं शाश्वत अस्तित्व हूँ ,असीम ज्ञान असीम आनंद हूँ। मैं ही शिव हूँ। मैं ही शिव हूँ





न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखं

न मंत्रो न तीर्थम् न वेदा न यज्ञा :.

अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता ,

चिदानंदरूप : शिवोहम् शिवोहम्।


I am neither sin nor virtue ,neither pleasure nor pain ;  Nor temple nor worship , nor pilgrimage nor

scriptures ,Neither the act of enjoying , the enjoyable nor the enjoyer ;

I am Existence Absolute ,Knowledge Absolute ,Bliss Absolute; I am He .(Shivoham ,Shivoham ).

न मैं पाप हूँ न पुण्य हूँ ,न सुख न दुःख (Pairs of all opposities ), न मैं मंदिर (देवालय )हूँ न पूजा ,न तीर्थयात्रा  हूँ न

उपनिषद(धर्मग्रन्थ हूँ धर्म विशेष का ) हूँ। न मैं भोक्ता हूँ न भोग्य वस्तु ,न भोगने की क्रिया।

मैं सनातन अस्तित्व सनातन ज्ञान परमआनंद हूँ। मैं ही शिव हूँ। मैं ही शिव हूँ।


न मे मृत्युशंका ,न मे जातिभेद:, पिता नैव मे नैव माता न जन्म।

न बन्धुर्न मित्रं गुरुर्नैव शिष्य : , चिदानंद रूप :  शिवोहम् शिवोहम्।

I have neither death nor fear of death ,nor caste ; Nor was I ever born , nor had I parents ,friends , and

relations ;

I have neither Guru , nor disciple ;  I am Existence Absolute ,Knowledge Absolute ,Bliss Absolute ; I am He

.(Shivoham ,Shivoham ).

न मैं मृत्यु हूँ न मृत्यु का भय ,न मैं कोई जाति विशेष (species )हूँ ,न मैं कभी पैदा हुआ था (अज हूँ मैं जिसका कभी

जन्म ही नहीं हुआ है ),न मेरे मातपिता हैं न सखा न बांधव (रिश्तेदार ),न तो मैं गुरु हूँ और न ही शिष्य।

मेरा अस्तित्व सनातन है मैं वह ज्ञान हूँ जिसे जान लेने के बाद और कुछ भी जानना शेष नहीं रहता ,समस्त ज्ञान मैं ही हूँ।

I am all knowledge .

मैं परमानंद हूँ।

I am that eternal consciousness which is present everywhere .

मैं ही शिव हूँ। मैं ही शिव हूँ।




अहं निर्विकल्पो निराकाररूपो ,विभुर्व्याप्य सर्वत्र सर्वइन्द्रियाणि।

सदा मे समत्वं न मुक्तिर्न बंध : ,चिदानंदरूप : शिवोहम् शिवोहम्।



स्पर्श इन्द्रियाँ मुझे छू नहीं सकतीं , न मैं मुक्ति हूँ न ज्ञान ,मैं निराकार निर्विशेष हूँ ,असीम हूँ ,मैं आकाश से भी हूँ ()परे  से

भी परे हूँ। ),काल से पर हूँ , मैं सब कुछ में हूँ ,सृष्टि का मूल बीज (कारण )मैं हूँ। सब जगह मैं ही हूँ।

मैं ही शिव हूँ। मैं ही शिव हूँ।


I am untouched by the senses ,I am neither Mukti nor knowledge ; I am without form , without limit ,

beyond

space , beyond time , I am in everything ; I am the basis of the universe ; everywhere am I .

I am Existence Absolute ,Knowledge Absolute ,Bliss Absolute .I am He .(Shivoham ,Shivoham ).

Chidananda Roopah Shivoham Shivoham.flv

shiva.




















2 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मैं जब शिव हो जाऊँगा तो अनंत हो जाऊँगा ... मैं मैं नहीं रहूँगा ...
आलोकिक ...

Anita ने कहा…

हो जाऊंगा नहीं अभी हूँ..शिवोहम शिवोहम...आभार !