सोमवार, 22 जून 2009
एचाईवी -एड्स पाजिटिव कन्याएं ,समाज पल्लवित ही हैं .
इंदोर में इन दिनों पुलिस को एक एचाईवी -एड्स पाजिटिव कन्या की तलाश है .बताया गया है :ये कन्या सेक्स मेनिया से ग्रस्त है ,युवकों को बरगलाकर उनके साथ सम्भोग (सेक्स)कपुलेशन यानि मैथुन रत होती है .अब तक कितने ही युवक इसके जाल मैं फस चुके है । गनीमत है इसकी तलाश का काम प्रतिष्ठित "सिबिअई "को नहीं सोंपा गया है .एक और मामले में बतलाया गया है :एक एचाईवी -एड्स पाजिटिव ट्रक ड्राईवर ने पोलिस के एक सिपाही को काट लिया .सिपाही उसकी बीबी की शिकायत पर वहाँ पहुंचा था जिसके साथ वो मारपीट कर रहा था .एक और दुर्घटना में एक एचाईवी -एड्स पाजिटिव गर्भवती महिला को जाम नगर के एक सरकारी अस्पताल में महिला के माथे पर "एचाईवी पाजिटिव लेबल "लगाकर एक वार्ड से दुसरे में होते हुए पुरे अस्पताल में घुमाया गया .आए दिन एड्स मरीजों ,एचाईवी पाजिटिव व्यक्तियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार ,हद दर्जे की बदसुलूकी की खबरें भारत के एक सिरे से दुसरे तक कहीं न कहीं से आतीं है .खोफ्फ़ का ये सिलसिला बदस्तूर जारी है .सामाजिक तिरस्कार ,एक आमफहम रोग के प्रति हमारा रवैया ,हमारी अज्ञान- ता इसके मूल में हैं .यहाँ आकर पढ़ और अपढ़ दोनों यकसां हैं .ठीक से नहीं कह सकते "केवल अशिक्षा "ही इस सामाजिक नासमझी की वज़ह है .डाक्टरों -नर्सों को कैसी शिक्षा चाहिए ?मामला परस्पर लगाव हीनता से जुदा है ,जिससे आज पुरा भारतीय समाज ग्रस्त दिखाई देता है .क्या घर ,क्या परिवार ,दफ्तर ,वर्क प्लेस एक निस्संगता सर्व्याप्त है .इसी का नतीजा हैं "ये एचाईवी -एड्स कन्याएं ",विष कन्याएं इसी समाज की उपज थी .आज इस जेव -वेपन (बायोलोजिकल वेपन )का स्वरूप बदल कर "एचाईवी -एड्स पाजिटिव "हो गया है .विडंबना ये है :एचाईवी -एड्स पाजिटिव होना एड्स ग्रस्त होना नहीं है .आप वैसे ही इस विषाणु के संग भले चंगे रह सकतें है जैसे टीबी के जीवाणु के संग .आप सिर्फ़ वेक्टर (रोगवाहक )हो सकतें है ,रोगी नहीं ,यानि आपका रोग निरोधी तंत्र मजबूत है ,सालों साल एचाईवी लिए आप घूम रहें है और एड्स के लक्षणों से कोसों दूर हैं .सब प्रिकिरती की माया है .सब के इम्मुं सिस्टम जुदा हैं .खान पानी रहन सहन अलग है .किसी अफरा तफरी की ज़रूरत नहीं है .एक जीवन शेली रोग ही है "एचाईवी-एड्स ",पाजिटिव अनेक हैं रोगी कोई कोई है .जीवन शेली बदलकर रोग के संग आज कितने ही जी रहें हैं ,भले चंगें हैं .अपना नज़रिया बदलिए ,यही आपके ,आपके परिवार -समाज ,राष्ट्र हित में है .खुदा हाफिज़ .
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