यहाँ सब कुछ कितना व्यवस्तित है ,जब भी ,जबकि ,गेट के बाहर श्रीलंकाई प्रदर्शन जारी है ,इरान से आया ग्रुप अपनी बारी की प्रतीक्षा में कुछ दुरी पर खडा है .पुलिस के मात्र २-३,आफिसर आराम से हैं .दर्शनीय इस्थल है अम्रीका का वाईट हाउस ,गेट के बाहर पिकनिक का सा माहोल है ?ये कैसी डेमोक्रेसी ,कैसी व्यवस्था है ?इधर आस्ट्रेलिया में vयवस्थित भारतीय प्रदर्शन कारियों पर पुलिस टूट रही है ,बेसाख्ता ,उधर पटना के निकट लालू स्टाप पर गाड़ी क्या नहीं रुकी ,ममता की रेल जलादी गई ,यहाँ पुलिस की रीढ़ (स्पाइन) नेताओं के पास रहती है .किसी को दंड नहीं ,खुला खेल फरुख्खा बादी.अलबत्ता राजधानी दिल्ली में शांतिपूर्ण प्रधार्शन करते आप पार्लियामेन्ट स्ट्रीट पर रोक दिए जायेंगे .रास्त्रपति भवन के बाहर आप प्रदर्शन नहीं कर सकते .मुग़ल गार्डनमें केमरा क्या पानी की बोतल ,बच्चे का फीडर नहीं ले जा सकते .ये कैसी डेमोक्रेसी है ?है भी या नहीं .?यहाँ अलग अलग जगह पर इसकी अलग अलग किस्में मिलेंगी .सब को एक दुसरे का डर है ,कानून का नहीं हैं ,उससे क्या फर्क पड़ता है ?आम खास से और खास आम से डरता है .विअईपी सुरक्क्षा के और क्या मानी हैं ?सुरक्षा कवच लिए चलता है नेता ,आग लगा देती है जनता रेल को ,पब्लिक प्रोपर्टी को ,और क्या ?ये कैसी आज़ादी है ?लोकतंत्र है ?आप की समझ में आए तो हमें भी समझाएं ,बादी मेहरबानी होगी ,आपका ....आम आदमी .
सोमवार, 1 जून 2009
वाईट हाउस .
यहाँ सब कुछ कितना व्यवस्तित है ,जब भी ,जबकि ,गेट के बाहर श्रीलंकाई प्रदर्शन जारी है ,इरान से आया ग्रुप अपनी बारी की प्रतीक्षा में कुछ दुरी पर खडा है .पुलिस के मात्र २-३,आफिसर आराम से हैं .दर्शनीय इस्थल है अम्रीका का वाईट हाउस ,गेट के बाहर पिकनिक का सा माहोल है ?ये कैसी डेमोक्रेसी ,कैसी व्यवस्था है ?इधर आस्ट्रेलिया में vयवस्थित भारतीय प्रदर्शन कारियों पर पुलिस टूट रही है ,बेसाख्ता ,उधर पटना के निकट लालू स्टाप पर गाड़ी क्या नहीं रुकी ,ममता की रेल जलादी गई ,यहाँ पुलिस की रीढ़ (स्पाइन) नेताओं के पास रहती है .किसी को दंड नहीं ,खुला खेल फरुख्खा बादी.अलबत्ता राजधानी दिल्ली में शांतिपूर्ण प्रधार्शन करते आप पार्लियामेन्ट स्ट्रीट पर रोक दिए जायेंगे .रास्त्रपति भवन के बाहर आप प्रदर्शन नहीं कर सकते .मुग़ल गार्डनमें केमरा क्या पानी की बोतल ,बच्चे का फीडर नहीं ले जा सकते .ये कैसी डेमोक्रेसी है ?है भी या नहीं .?यहाँ अलग अलग जगह पर इसकी अलग अलग किस्में मिलेंगी .सब को एक दुसरे का डर है ,कानून का नहीं हैं ,उससे क्या फर्क पड़ता है ?आम खास से और खास आम से डरता है .विअईपी सुरक्क्षा के और क्या मानी हैं ?सुरक्षा कवच लिए चलता है नेता ,आग लगा देती है जनता रेल को ,पब्लिक प्रोपर्टी को ,और क्या ?ये कैसी आज़ादी है ?लोकतंत्र है ?आप की समझ में आए तो हमें भी समझाएं ,बादी मेहरबानी होगी ,आपका ....आम आदमी .
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